नई दिल्ली: केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह गुरुवार को 10 हजार जीनोम के बायो बैंक के डेटा को जारी किया गया. इसके साथ ही उन्होंने डेटा के आदान-प्रदान के लिए दिशानिर्देश और पोर्टल को भी लॉन्च किया. बायो बैंक के डेटा को सरकार, शोधकर्ता, स्टेकहोल्डर इस्तेमाल कर सकेंगे. इस जीनोम डेटा तैयार करने का उद्देश्य देश में अनुवांशिक और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सटीक दवाएं तैयार करना है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने वीडियो संदेश मे खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आज भारत ने रिसर्च की दुनिया में एक ऐतिहासिक कदम उठाया. पांच साल पहले जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी. कोरोना से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद हमारे वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट को पूरा किया है. अब प्रोजेक्ट का डेटा इंडियन बायोलॉजिकल डेटा सेंटर में उपलब्ध है. यह प्रोजेक्ट बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च विभाग में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा.
इस मौके पर सीएसआई आर के महानिदेशक राजीव बहल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विभाग के सचिव राजेश गोखले सहित कई वैज्ञानिक मौजूद थे.
गुरुवार को विज्ञान भवन में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जनवरी, 2020 में भारतीयों की आनुवंशिक जांच व पहचान के लिए जीनोम कार्यक्रम शुरू किया. जिसके तहत अलग-अलग राज्यों में 20 संस्थानों का चयन किया गया. इन संस्थानों ने देशभर में कुल 83 जनसंख्या समूहों की आनुवंशिक जानकारी जुटाई. केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि बीस हजार से ज्यादा नमूने एकत्रित कर दस हजार जीनोम का बायो बैंक बनाया. जीनोम डेटा के क्षेत्र में भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है. जीनोम डेटा इकत्रित करने वाला भारत विश्व का चौथा देश बन गया है. इस मौके पर उन्होंने वैज्ञानिकों से जीनोम के नमूनों को एकत्रित करने की संख्या को एक मिलियन तक पहुंचाने का आह्वान किया. जीनोम कार्यक्रम के तहत भारतीयों की आनुवंशिक जांच व पहचान के लिए अलग-अलग राज्यों में 20 संस्थानों का चयन किया गया. इन संस्थानों ने देशभर में कुल 83 जनसंख्या समूहों की आनुवंशिक जानकारी जुटाई. उन्होंने बीस हजार से ज्यादा नमूने एकत्रित कर दस हजार जीनोम का बायो बैंक स्थापित किया है. कुल 10,074 की संयुक्त जीनोटाइपिंग पूरी हो चुकी है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश गोखले ने कहा कि जीनोम विज्ञान में यह भारत की सबसे बड़ी कामयाबी है. जीनोम-आधारित सटीक दवा विकसित करने की दिशा में यह पहला बड़ा कदम है. भारत विविधताओं का देश है. अबतक करोड़ों आनुवंशिक विविधताओं की पहचान हुई है. इनमें से कई आनुवंशिक वैरिएंट दुर्लभ या अस्तित्वहीन हैं, जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं है. जीनोम डेटा से जटिल बीमारियां का पता लगाकर उसका सटीक इलाक करना संभव हो सकेगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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