एलन मस्क लगातार अपनी बात प्रखरता से रखने को लेकर लगातार चर्चाओं में बने रहते हैं. इन दिनों उन्होंने वोक कल्चर और इस पर होने वाली राजनीति को अपने निशाने पर लिया हुआ है. वो राजनीतिक दलों के साथ लगातार मिलकर इन विषयों पर चार्चा कर रहे हैं. हाल ही में हुए अपने इंटरव्यू में उन्होंने जर्मनी के राष्ट्रवादी के प्रमुख से बात की है.
बता दें कि हाल ही में एलन मस्क ने वोकिज्म के खिलाफ खुलकर अपने विचार रखे हैं. इससे पहले कम्युनिस्ट और वोक विचारधारा के कट्टर विरोधी नव निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप इस पर अपना पक्ष पूरी दुनिया के सामने रख चुके हैं. एलन मस्क ने एक ब्रोडकास्ट के दौरान लोगों से आग्रह किया है कि वो फरवरी में होने वाले चुनावों में एलिस वेडेल का दिल खोलकर समर्थन करें. लगभग एक घंटे तक चले इस ब्रोडकास्ट में उन्होने जर्मनी की नाते से बातचीत की.
जर्मनी में इन दिनों अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं साथ ही मुस्लिम शरणार्थियों के निशाने पर पूरा देश आ गया है. वहीं महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में भी वृद्धि हुई है. महिलाओं पर होने वाली इस क्रूरता की कहानियों को शायद कोई न लिखे और जाने. वो जर्मनी ही थी जहां शरण लेने वालों को समझाया जाता था कि जर्मनी से प्यार कैसे किया जाए. एलिस ने जर्मन की शिक्षा नीति पर विचार करते हुए बताया कि वहां बेकार, वोकिश, समाजवादी एजेंडा चलता है जोकि कम्यूनिस्ट विचारधारा का पर्याय है. यही कारण है कि वहां के युवा स्कूल और यूनिवर्सिटी में जेंडर स्टडीज के बारे में कुछ नहीं जानते.
चर्चा के दौरान मस्क ने भी उन्हे समर्थन करते हुए कहा कि जर्मनी को वोक वायरस ने प्रभावित किया है. चर्चा के दौरान एलिस की तरफ से यह भी बताया गया कि मीडिया ने उनकी पार्टी को नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया है. वे लोग ब्यूरोक्रेसी को आजाद करना चाहते हैं. एलिस की तरफ से एलन मस्क की तारीफ भी की गई. इसके जबाव में मस्क ने कहा कि लोग जिन्हें पसंद नहीं करते उन पर रोक लगाने की कोशिशे करते हैं.
बातचीत के दौरान एलिस की तरफ से बताया गया कि जर्मनी में सबसे अखिक टैक्स प्रणाली है वहां के लोग ज्यादातर समय काम में गुजारते हैं इसके बाद भी उन्हें सामाजिक न्याय जैसी आधारभूत जरूरतें नहीं मिलती हैं. यहां के युवा वोक विचारधारा के मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं. उनकी तरफ से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की भी बात की गई. दोनों की तरफ से कौशल पर केंद्रित शिक्षा की बात की और वर्तमान शिक्षण संस्थाओं को प्रौपेगेंडा बताया.
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