अमेरिकी कंपनियों में नौकरी करने का सपना हजारों भारतीयों का होता है. इसके लिए भारतीयों पर अमेरिका की सरकार से परमिट जरूरी होती है और परमिट के लिए एच-1 बी वीजा अनिवार्य रूप से लेना होता है. लेकिन अब अमेरिका में 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में नई सरकार का गठन होने जा रहा है. ट्रंप की नीतियों की वजह से हजारों भारतीयों का सपना टूट सकता है.
दरअसल, बीते कुछ महीनों में अमेरिकी कंपनियों ने कई भारतीयों के जॉब ऑफर्स रद्द कर दिए. तो कई कंपनियों द्वारा जॉब ऑफर्स वापस लिए जा रहे हैं. अब जब ट्रंप दूसरी बार शपथ लेने जा रहे है तो भारतीयों को अपने-अपने सपने टूटते नजर आ रहे हैं. एच-1 बी वीजा पर छिड़ी यह बहस अमेरिकी कंपनियों में काम कर रहे या काम करने का सपना संजोए भारतीय कर्मचारियों को टेंशन में डाल दिया है.
बता दें कोई भी विदेशी नागरिक अगर अमेरिका की कंपनियों में नौकरी करना चाहता है तो उसे एच-1बी वीजा दिया जाता है. इसके बिना कोई भी विदेशी अमेरिका में नौकरी नहीं कर सकता. 2023 की एक प्यू रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में अप्रवासियों की संख्या में 16 लाख की बढ़ोत्तरी हुई है जो पिछले दो दशकों में सबसे ज्यादा है. ट्रंप ने चुनाव में सख्त इमीग्रेशन पॉलिसी को लागू करने का वादा किया हुई है और उनके सत्ता में आ जाने से हजारों भारतीय आईटी प्रोफेशनल के लिए मुश्किलें खड़ी होने वाली हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एच-1बी वीजा हासिल करने में 72 प्रतिशत लोग भारत के हैं. वहीं 12 प्रतिशत लोग चीनी नागरिक हैं. अपनी होम-कंट्री से ज्यादा उन्हें अमेरिका में सैलरी मिलती है इसलिए वो अमेरिका का रूख करते हैं. ऐसे में ये लोग अवसरों से वंचित हो जाएंगे और उनकी आर्थिक स्थिति पर भी इसका असर पड़ेगा. कई लोगों के लिए एच-1 बी वीजा अमेरिका में स्थायी निवास का रास्ता भी खोलता है. बता दें ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में एच-1बी वीजा को लेकर नियम सख्त कर दिए थे. इस बार भी वो कठोर नियम लागू कर सकते हैं.
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