नई दिल्ली: कांग्रेस ने मंगलवार को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के हाल ही में जारी मसौदा नियमों को कठोर और संविधान विरोधी करार दिया. कांग्रेस ने मांग की कि इन्हें तुरंत वापस लिया जाए.
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि यूजीसी ने हाल ही में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यताएं और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के लिए उपाय विनियम, 2025 का मसौदा जारी किया है. जयराम रमेश ने कहा कि एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि इसमें कई नियम खतरनाक उद्देश्यों के साथ लाए गए हैं, कुछ उदाहरण देखिए-कॉन्ट्रैक्चुअल प्रोफेसरशिप से 10 प्रतिशत की सीमा को हटाकर उच्च शिक्षा की टीचिंग में बड़े पैमाने पर संविदाकरण के लिए द्वार खोलना. यह हमारे संस्थानों की गुणवत्ता और अकादमिक स्वतंत्रता को नष्ट करने वाला है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने हाल ही में UGC (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और प्रमोशन के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय) रेगुलेशन, 2025 का मसौदा जारी किया है। इममें कई नियम ख़तरनाक उद्देश्य के…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 14, 2025
कांग्रेस महासचिव जयराम ने दावा किया कि मसौदा नियमों में राज्यों के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य सरकार की सभी शक्तियों को छीन लेने और अब इसकी एकतरफा शक्ति (यूजीसी और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, जो आमतौर पर राज्य में केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल होते हैं, के माध्यम से) केंद्र सरकार के पास है. उन्होंने कहा कि नॉन-एकेडमिक्स को कुलपति बनाने की छूट देने के लिए भी नियमों में संशोधन किए गए हैं. यह एक ऐसा कदम है जिसका उद्देश्य पूरी तरह से शिक्षा जगत में प्रभावशाली पदों पर आरएसएस के लोगों को बिठाने के लिए राह आसान करना है.
जयराम ने कहा कि कर्नाटक सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर ने पहले ही इन कठोर, संविधान विरोधी नियमों के खिलाफ केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है. कांग्रेस इन्हें खारिज करती है और इन मसौदा नियमों को तत्काल वापस लेने की मांग करती है.
हिन्दुस्थान समाचार
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