भारतीय सेना हर साल 15 जनवरी को आर्मी डे के रूप में मनाती है. इसी दिन साल 1949 में जनरल केएम करिअप्पा सेना के सबसे पहले भारतीय प्रमुख बने थे. उनसे पहले इंडियन आर्मी की कमान अंग्रेज अफसर के हाथ में थी. जनरल करिअप्पा की याद में प्रति वर्ष 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है. इन 76 वर्षों में भारतीय सेना ने कई बार विषम परिस्थिति में भी अपनी ताकत का लोहा मनावाय है. इंडियन आर्मी के जवान हर पल देश की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहते हैं. सरकार ने भी इंडियन आर्मी को बदलते युग के साथ कई हाइटैक हथियारों से लैस करावाया है. आइए जानते हैं इस समय भारतीय सेना के पास कौन से वो हाइटेक हथियार है जो दुश्मन का हर मोर्चे पर सामना करने में मदद करते हैं.
T-90 भीष्म टैंक
भारतीय सेना के पास 2 हजार से ज्यादा टी-90 भीष्म मेन बैटल टैंक मौजूद हैं. यह टैंक इंडियन आर्मी के बेड़े में 2001 में शामिल किए गए थे. ये टैंक 125mm की गन से लैस होते है और इनमें ऑटोमेटिक फायर प्रोटेक्शन सिस्टम लगा होता है. इस टैंक से टकराने वाले सभी विस्फोटक चाहें वह रॉकेट हो, मिसाइल हो, ग्रेनेड हो या आरपीजी सब निष्क्रिय हो जाते हैं. ये दुश्मन की एंटी टैंक मिसाइल को भी निष्क्रिय कर देता है. यह टैंक लेजर से निशाना साधने की दुश्मन की कोशिश को भी नाकाम कर देता है. अगर इनकी स्पीड़ की बात की जाए तो यह नॉर्मल रास्तों पर 60 Km/h और ऊबड़खाबड़ रास्तों पर 50km/h की गति से चलता है.
BMP-2, T-72 और अर्जुन टैंक
BMP-2 टैंक 30mm मशीनगन से लैस होता है. यह 360 डिग्री घूमकर चारों तरह से दुश्मन पर हमला कर सकता है. बता दें इसका वजन सिर्फ 14 हजार किलो है जिसकी वजह से इसे आसानी से पहाड़ों पर भी ले जाया सकता है. पहले भारत इस टैंक को रूस से खरीदता था लेकिन अब अपने देश में ही इसका निर्माण किया जाता है.
टी-72 टैंक की बात करें ये इंडियन आर्मी का दोस्त कहा जाता है. इस टैंक ने कई युद्धों में अपनी भूमिका निभाई है. इस समय भारतीय सेना के पास 2400 से भी ज्यादा टी-72 टैंक मौजूद है.
अर्जुन टैंक- महाभारत के महान धुरंधर अर्जुन के नाम पर इसका नाम रखा गया है. यह तीसरी पीढ़ी का बैटल टैंक हैं. जिसमें 120mm की तोप लगी होती है. इसे कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डिवेलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट ने इसे विकसित किया है. इसमें चार लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है.
जोरावर
डीआरडीओ और लार्सन एंड टुब्रो ने मिलकर जोरवार नाम हल्के टैंक को बनाया है. उम्मीद है कि साल 2027 तक इसे सेना में शामिल कर लिया जाए. जोरावर का वजन 25 टन है और इसे दुर्गम रास्तों पर भी आसानी से ले जाया जा सकता है. फ्लाइट के माध्यम से भी इसका आवागमन काफी सुलभ है. इसके अलावा 1,770 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (एफआरसीवी) को खरीदने की मंजूरी मिल चुकी है.
बोफोर्स तोप
1999 में कारगिल युद्ध के दौरान बोर्फ तोपो पाकिस्तान के छक्के छुड़ा चुकी है. इस युद्ध की विजय में इन तोपों का अहम योगदान है. यह तोप 30 किमी दूर तक दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने की ताकत रखती हैं.इसके अलावा इंडियन आर्मी के पास होवित्जर तोपें भी है. इनको डीआरडीए ने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और भारत फोक्ज लिमिटेड ने साथ मिलकर किया है.
परमाणु हथियार ले जाने वाली मिसाइलें
ब्रहमोस मिसाइल का निर्माण रूस के सहयोग से किया गया है. यह 3400 से 3700 Km/h की गति से भूमि या पानी की सतह से 450 किमी और हवा से 400 किमी दूरी पर मारने की क्षमता रखती है. ये मिसाइल 300 किलो तक विस्फोटक ले जा सकती है. वहीं इससे परमाणु हथियार भी ल़न्च किए जा सकते हैं.
अग्नि मिसाइल के पहले वर्जन की 700 किलोमीटर तक मारक क्षमता है जबकि अग्नि-6 की 10 हजार किमी तक मारक क्षमता है. इस मिसाइल से भी परमाणु हथियार लॉन्च किए जाते हैं.
अन्य हथियार
स्नापर राइफल की रेज 800 मीटर है और इस राइफल से 30 राउंड गोलियां एक मिनट में दागी जा सकती है. कारगिल युद्ध में इंडियन आर्मी ने इसी का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को धूल चटाई थी. स्वदेशी अस्मि मशीन पिस्टल को सेना में अभी शामिल किया गया है.
इंडियन आर्मी का पोर्टेबल हथियार एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल स्पाइक की रेंज 1.5 से 25 किमी तक होती है. इससे 30 सेकंड में एक मिसाइल दाग कर दुश्मन के टैंक को नस्तेनाबूत किया जाता है.
वहीं नैनो ड्रोन को इंडियन आर्मी ने अपने बेड़े में शामिल किया है. इसाक नाम ब्लैक हॉरनेट रखा गया है. यह केवल 33 ग्राम का है और यह ड्रोन देखने में खिलौने जैसा लगता है. इसमें दो कैमरे होते हैं. जो बिना आवाज किए दुश्मन की खबर देता है. आतंकवादियों को खोजने में सेना के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है.
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