देहरादून: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी कार्रवाई की है. पूर्व मंत्री की दून में स्थित लगभग 101 बीघा जमीन को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया गया है. ईडी ने इसकी अधिकारिक जानकारी 22 जनवरी को अपने ट्वीटर हैंडल पर शेयर की है.
बता दें कि ईडी ने एक माह पहले हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत, पुत्र तूषित रावत समेत अन्य लोगों से घंटों पूछताछ की. पूछताछ में देहरादून के नजदीक सहसपुर में स्थित 100 बीघा जमीन का खुलासा हुआ. यह जमीन हरक सिंह की पत्नी दीप्ति रावत ने खरीदी और वर्तमान में जमीन दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (डीआईएमएस) का हिस्सा है और इसे पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट संचालित कर रहा है। दीप्ति रावत इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं.
ईडी का कहना है कि ट्रस्ट का नियंत्रण हरक सिंह रावत के परिवार और उनके मित्रों के पास है. ईडी ने दावा किया है कि अदालत के जमीनों की बिक्री को रद्द करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद, दिवंगत सुशीला रानी ने अन्य लोगों के साथ साजिश करते हुए कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया (इन जमीनों के लिए) के नाम पर दो पावर ऑफ अटॉर्नी (पीओए) पंजीकृत की. एजेंसी ने कहा कि कंडारी ने ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ का उपयोग करके पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को मामूली राशि पर ये जमीनें बेच दीं. यह सरकारी राजस्व प्राधिकरण के निर्धारित सर्किल दरों से बहुत कम थी. ईडी का आरोप है कि ‘दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा ने बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, दिवंगत सुशीला रानी और अन्य व्यक्तियों ने साजिश के तहत भूमि अपने नाम पर पंजीकृत करा ली थी.
हिन्दुस्थान समाचार
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