महाकुंभ नगर: विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में संतों ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग उठाई. इसकी मांग को लेकर विहिप आंदोलन भी करेगी. इसके साथ ही अयोध्या के बाद काशी और मथुरा को मुक्त किए जाने और देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की भी मांग उठाई गयी. वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर संतों ने एक स्वर से कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है.
महाकुंभ क्षेत्र में विहिप की ओर से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि अंग्रेजों के समय से हमारे प्रमुख मंदिर सरकार के कब्जे में हैं. मंदिरों को मुक्त करने के लिए विहिप आंदोलन करेगी. इस दौरान मंच पर जगद्गुरु आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि, विहिप के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार और केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा उपस्थित रहे. अवधेशानंद गिरि ने बताया कि केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल के पूज्य संतों ने दुनियाभर के हिंदू समाज की धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आवश्यकताएं, चुनौतियां और संकटों के संदर्भ में विचार करते हुए हिंदू समाज का मार्गदर्शन किया है. इसमें निम्नलिखित विषय-बिंदुओं पर संतों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.
देशभर में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने का जागरण अभियान प्रारम्भ हुआ है. आन्ध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से इस अभियान का शंखनाद हो चुका है. संतों ने आग्रह किया कि सभी मंदिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त किये जाएं, सरकारी नियंत्रण स्थापित करने वाले कानून हटाए जाएं और मंदिरों का प्रबंधन आस्था रखने वाले भक्तों को सौंपा जाए. हिन्दू समाज के घटते जन्मदर का प्रमुख कारण हिन्दू जनसंख्या में हो रहा असंतुलन है. हिन्दू समाज के अस्तित्व की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण दायित्व के रूप में हर हिन्दू परिवार में कम से कम तीन बच्चों का जन्म होना चाहिए. मार्गदर्शक मंडल के संतों ने आह्वान किया है कि हिन्दू समाज की जनसंख्या को संतुलित बनाये रखने के लिए हिन्दू समाज के जन्मदर को बढ़ाने की आवश्यकता है.
अवधेशानंद गिरि ने बताया कि वक्फ बोर्ड के निरंकुश एवं असीमित अधिकारों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार संशोधन अधिनियम लाने वाली है, उसका केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल स्वागत करता है. साथ ही यह आह्वान करता है कि यह कानून पारित होना चाहिए तथा सभी दलों के सांसदों को इसमें सहयोग करना चाहिए. वर्ष 1984 के धर्म संसद से लेकर अयोध्या, मथुरा, काशी के मंदिरों की प्राप्ति के लिए संत समाज, हिन्दू समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप संकल्पबद्ध थे, हैं और रहेंगे. भारत के उत्थान के लिए सामाजिक समरसता, पर्यावरण की रक्षा, कुटुम्ब प्रबोधन से हिन्दू संस्कारों का सिंचन तथा सामाजिक कुप्रथाओं का निर्मूलन, अपने स्व का आत्मबोध तथा अच्छे नागरिकों के कर्तव्य, ये राष्ट्रीय चारित्र्य का विकास समाज के लिए आवश्यक है.
बैठक प्रमुख रूप से जगद्गुरु शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानन्द, महामंडलेश्वर विश्वात्मानन्द भारती, महामंडलेश्वर बालकानन्द, स्वामी चिदानंद मुनि, स्वामी राजेंद्र देवाचार्य, स्वामी कौशल्यानन्द गिरि, स्वामी अश्विलेश्वरानन्द, स्वामी हरिहरानन्द, श्रीमहंत निर्मोही अखाड़ा राजेंद्र दास, महंत रविन्द्र पुरी जी महाराज, पूज्य भास्कर गिरि जी आदि उपस्थित रहे.
हिन्दुस्थान समाचार
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