नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक पर शुक्रवार को हुई संसद की संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में एक बार फिर हंगामा हुआ. हंगामे के चलते विपक्ष के 10 सदस्यों को समिति की कार्यवाही से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया. निलंबित सदस्यों ने अब लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है और समिति के कामकाज को तय करने में विपक्षी सदस्यों को स्थान देने का अनुरोध किया है. वक्फ पर अगली बैठक अब 27 जनवरी को होगी.
वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति आज और कल प्रस्तावित संशोधनों पर खंड-दर-खंड चर्चा करने वाली थी. विपक्षी सदस्यों का कहना है कि बैठक के एजेंडे को अचानक बदला गया है. आज समिति के समक्ष हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और कश्मीर के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक के प्रतिनिधिमंडल ने अपना पक्ष रखा. इसके अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के प्रतिनिधिमंडल ने अपने विचार रखे.
समिति की कार्यवाही से निलंबित सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, एम अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक और इमरान मसूद शामिल है. समिति की कार्यवाही को हंगामे के चलते दो बार जबरन स्थगित करना पड़ा. इस दौरान कांग्रेस नेता नासिर हुसैन और बनर्जी समिति की कार्यवाही से बाहर आए और समिति के बारे में शिकायतें की.
विपक्षी 10 सदस्यों का आरोप है कि उन्हें वक्फ में संशोधन से जुड़े सुझावों पर अपनी बात रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला है. देर शाम पत्रकार वार्ता कर विपक्षी नेताओं ने बताया कि जेपीसी की आज की बैठक के बाद लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर उन्होंने अपनी मांगें रखी हैं.
कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ऐसा लगता है कि एक एजेंडे के तहत समिति की कार्यवाही को संचालित किया जा रहा है ताकि एक पहले से तय दिशा में कार्यवाही को ले जाया जा सके. विपक्षी सदस्यों से चर्चा किए बिना समिति की बैठक बुलाई जा रही है. इस संबंध में हमने लोकसभा अध्यक्ष से पत्र लिखकर मांग की है कि विभिन्न हितधारकों के मतों पर विचार करने के लिए और अधिक समय दिया जाना चाहिए. हमें आशा है कि हम अध्यक्ष को इस संबंध में सक्रिय जवाब देंगे.
वहीं द्रमुक नेता ए राजा ने कहा कि समिति की कार्यवाही में सभी को समान और निष्पक्ष अवसर मिलने चाहिए. विपक्षी नेताओं के भी तारीख, एजेंडे और समय को लेकर विचार शामिल किया जाना चाहिए. सभी कार्य पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अचानक रात में मैसेज प्राप्त होता है कि आज संशोधनों पर चरणबद्ध विचार होगा. हम एजेंडे में महत्वपूर्ण विषय होने के कारण यहां पहुंचते हैं लेकिन पता चलता है कि एजेंडा बदल दिया गया है. अब बैठक 27 जनवरी को होगी और हमें नहीं पता कि इसका एजेंडा क्या है.
उन्होंने कहा कि हमसब ने मिलकर निर्णय लिया है कि कल लोकसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपेंगे. उनसे अनुरोध करेंगे कि वे जेपीसी अध्यक्ष को इस संबंध में दिशा-निर्देश दें. इससे पहले समिति की कार्यवाही से बाहर आए तृणमूल नेता कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया था कि समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल विपक्षी सदस्यों के पक्ष को नहीं सुन रहे हैं और आरोप लगाया कि बैठक अघोषित आपातकाल की तरह चलाई जा रही है. अध्यक्ष बैठक को किसी की सुने बिना ही आगे बढ़ा रहे हैं.
समिति के अध्यक्ष जगदंपिका पाल ने बैठक होने के बाद कहा कि आज दो महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल समिति के समक्ष आया. पहले में जम्मू कश्मीर के मीरवाइज उमर फारूक और दूसरे लॉयर ऑफ़ जस्टिस जिसमें हाईकोर्ट और उच्च न्यायालय के वकील शामिल रहे. उन्होंने हमारे समक्ष एक प्रस्तुति रखी. समिति के दायरे से बाहर के विषयों को हमने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से उठाया है.
विपक्षी नेताओं खासकर कल्याण बेनर्जी के व्यवहार को दुखद बताते हुए जगदंपिका पाल ने कहा कि यह दुखद है कि आज की महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने गैर-जरूरी हंगामा किया. उन्होंने सभी मर्यादाओं को लांघ दिया. उनके हंगामे के चलते दो बार मीटिंग को स्थगित करना पड़ा है और ऐसे में निशिकांत दुबे की ओर से कुछ सदस्यों को बाहर भेजे जाने का अनुरोध किया गया. हालांकि इसके बावजूद भी हम सरकारात्मक है. तीन तलाक, अनुच्छेद 370 और 33ए के दौरान चर्चा में भी ऐसा ही व्यवधान पैदा किया जा चुका है. समिति की अगली बैठक 27 जनवरी को होगी.
वहीं इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के सदस्य निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया था कि इन सांसदों का व्यवहार संसदीय परंपराओं के खिलाफ है और वह असल में बहुमत के पक्ष को दबाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से औवेसी के कहने पर आज चर्चा के बजाये जम्मू-कश्मीर के मीरवाइज उमर फारूख को सुनने के लिए समय दिया गया. इसके बावजूद हंगामा किया.
उन्होंने कहा कि आज विपक्ष के विचार उजागर हो गए हैं. उन्होंने एक हंगामा बनाया और मीरवाइज के सामने दुर्व्यवहार किया. जेपीसी में बोलने के लिए जब भी उन्हें माइक मिला. विपक्ष ने हमेशा उनकी आवाज का गला घोंटने की कोशिश की.
भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी का कहना है कि आज हम यहां दो पक्षों को सुनने आए थे, एक जम्मू-कश्मीर का संगठन था और दूसरा दिल्ली के वकीलों का संगठन था. संगठन के सदस्य इंतजार कर रहे हैं. लेकिन कल्याण बनर्जी के नेतृत्व में विपक्षी सदस्य हंगामा कर रहे हैं. जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल के लिए असंवैधानिक भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है.
वहीं मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की कई चिंताएं हैं जिन्हें हम आज जेपीसी के सामने रखने जा रहे हैं. हमारा मानना है कि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए जिससे भाईचारे का माहौल खराब हो.
उल्लेखनीय है कि 22 जनवरी को द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएम) नेता ए राजा ने वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के अध्यक्ष जगदंबिका पाल से विपक्षी पार्टियों के सदस्यों की ओर से आज और कल आयोजित होने वाली बैठक को 30 से 31 जनवरी तक आगे बढ़ाए जाने के लिए पत्र लिखा था. ए राजा ने आज इस बात को दोहराया भी.
उनका कहना है कि हाल ही में जेपीसी सदस्यों ने पटना, कोलकाता और लखनऊ में हितधारकों से उनकी राय जानने के लिए कल (21 जनवरी) को ही अपना टूर पूरा किया है. साथ ही वहां के हितधारकों को एक सप्ताह का समय दिया है कि वे अपने सुझाव लिखित तौर पर भेजें. इसके अलावा सदस्यों की अपने क्षेत्र से जुड़ी कुछ स्थानीय प्रतिबद्धताएं भी हैं जिन्हें हमें पूरा करना है.
हिन्दुस्थान समाचार
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