नई दिल्ली: 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने शुक्रवार को नई दिल्ली में नीति आयोग की रिपोर्ट “राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (एफएचआई) 2025” को जारी किया. इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी, नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी, नीति आयोग के सीईओ वीवीआर सुब्रह्मण्यम और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. रिपोर्ट में पांच प्रमुख उप-सूचकांकों: व्यय की गुणवत्ता, राजस्व संग्रहण, राजकोषीय विवेकशीलता, ऋण सूचकांक और ऋण स्थिरता के आधार पर 18 प्रमुख राज्यों के राजकोषीय स्वास्थ्य का व्यापक मूल्यांकन प्रस्तुत किया गया है. साथ ही राज्य-विशिष्ट चुनौतियों और सुधार के क्षेत्रों के बारे में भी जानकारी दी गई है.
एफएचआई का उद्देश्य उप-राष्ट्रीय स्तर पर राजकोषीय स्थिति पर प्रकाश डालना और टिकाऊ और लचीले आर्थिक विकास के लिए नीति सुधारों का मार्गदर्शन करना है. रिपोर्ट राज्यों को समग्र राजकोषीय सूचकांक के आधार पर रैंक करती है, जो पांच प्रमुख उप-सूचकांकों जैसे व्यय की गुणवत्ता, राजस्व जुटाना, राजकोषीय विवेक, ऋण सूचकांक और ऋण स्थिरता पर आधारित है. रिपोर्ट में खनिज प्रधान राज्यों का राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक औरों से बहुत बेहतर है. 67.8 के संचयी स्कोर के साथ ओडिशा 18 प्रमुख राज्यों में राजकोषीय स्वास्थ्य की रैंकिंग में शीर्ष पर है, इसके बाद क्रमशः 55.2 और 53.6 स्कोर के साथ छत्तीसगढ़ और गोवा का स्थान है. उपलब्धि प्राप्त करने वाले राज्यों ने मजबूत राजकोषीय स्वास्थ्य, राजस्व जुटाने, व्यय प्रबंधन और ऋण स्थिरता में उत्कृष्टता प्रदर्शित की है. झारखंड जैसे राज्यों में सुधार देखा गया है, जिसने राजकोषीय विवेक और ऋण स्थिरता को मजबूत किया है जबकि कर्नाटक को व्यय गुणवत्ता और ऋण प्रबंधन में कमजोर प्रदर्शन के कारण गिरावट का सामना करना पड़ रहा है. ये अंतरराज्यीय असमानताएं विशिष्ट राजकोषीय चुनौतियों से निपटने और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए लक्षित सुधारों की आवश्यकता को उजागर करती हैं.
16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. पनगढ़िया ने रिपोर्ट जारी करते हुए संतुलित क्षेत्रीय विकास, दीर्घकालिक राजकोषीय स्थिरता और विवेकपूर्ण शासन के लिए राज्यों द्वारा स्थिर राजकोषीय पथ का अनुसरण करने की आवश्यकता को रेखांकित किया. उन्होंने उल्लेख किया कि एफएचआई राज्य-स्तरीय राजकोषीय प्रदर्शन को मापने के लिए एक व्यापक और व्यवस्थित दृष्टिकोण प्रदान करता है और व्यापक राजकोषीय रुझानों में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिससे देश भर में राजकोषीय स्वास्थ्य की बेहतर समझ हो सके.
इस अवसर पर सुमन बेरी ने इस बात पर जोर दिया कि एफएचआई राजकोषीय समेकन प्राप्त करने, पारदर्शिता में सुधार करने और प्रभावी संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है. उन्होंने आगे कहा कि एफएचआई केवल एक रैंकिंग नहीं है बल्कि राज्यों के राजकोषीय स्वास्थ्य का आकलन करने और उसके अनुसार सुधार करने के लिए डिज़ाइन किया गया एक उपकरण है.
बीवीआर. सुब्रह्मण्यम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एफएचआई रिपोर्ट नीति निर्माताओं को सूचित निर्णय लेने में मदद करने में सहायक होगी. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट राज्यों में राजकोषीय परिदृश्य की एक वस्तुनिष्ठ तस्वीर प्रदान करती है और राजकोषीय लचीलेपन को मजबूत करने और राज्यों के सतत आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि भी प्रदान करती है. उन्होंने जोर देकर कहा कि एफएचआई के निष्कर्ष भारत के “विकसित भारत @2047” को प्राप्त करने के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जहां राज्य स्तर पर राजकोषीय अनुशासन राष्ट्र के आर्थिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
डॉ. विरमानी ने टीम को बधाई दी और इस बात पर प्रकाश डाला कि एफएचआई रिपोर्ट भारत के शासन ढांचे को मजबूत करने में सहकारी संघवाद की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करेगी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने और समग्र आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने की कुंजी है.
हिन्दुस्थान समाचार
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