नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को नई दिल्ली में वीर गाथा 4.0 के सुपर-100 विजेताओं को सम्मानित किया. 100 विजेताओं में से 66 देश के विभिन्न हिस्सों की लड़कियां हैं. सम्मान समारोह के दौरान प्रत्येक विजेता को 10,000 रुपये का नकद पुरस्कार, एक पदक और एक प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। ये सुपर-100 लगभग 10,000 विशेष अतिथियों में से हैं, जो 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस परेड देखेंगे.
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युवाओं को देश के वीरों के गौरवशाली इतिहास से जोड़ने के वीर गाथा के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त प्रयासों की सराहना की। उन्होंने परियोजना के चौथे संस्करण में 1.76 करोड़ से अधिक छात्रों की अखिल भारतीय भागीदारी को स्वीकार करते हुए कहा कि यह शिक्षा के माध्यम से वीरों को पहचान प्रदान कर रहा है। उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्रों की बुद्धिमत्ता, उत्साह और देशभक्ति की सराहना की.
राजनाथ सिंह ने वीर गाथा 4.0 के सुपर-100 विजेताओं में से दो तिहाई लड़कियों के होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मणिपुर की 10वीं कक्षा की छात्रा ‘नेमनेनेंग’ का विशेष उल्लेख किया, जिसने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया था। रक्षा मंत्री ने अनेक कठिनाइयों के बावजूद अपनी पढ़ाई न छोड़ने और विजेताओं में स्थान पाने के लिए उसकी दृढ़ता की सराहना की.
इस अवसर पर उपस्थित छात्रों को ‘हीरो’ का सही अर्थ समझाते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हीरो राष्ट्र के उत्थान के लिए काम करता है जिसका काम समाज को नई दिशा देता है। उन्होंने कहा कि युवा भारत के भविष्य के नायक हैं और वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे.
राजनाथ सिंह ने कहा कि “प्रधानमंत्री के गतिशील नेतृत्व के कारण वैश्विक मंच पर भारत का कद बढ़ा है। आज जब हम किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर बोलते हैं, तो पूरी दुनिया सुनती है. यह हमारे बहादुर सैनिकों, वैज्ञानिकों और युवा उत्साही दिमागों सहित हर भारतीय की कड़ी मेहनत के कारण संभव हुआ है। हमारे पास लगभग 50 करोड़ युवाओं की एक बड़ी आबादी है। ऐसे रचनात्मक दिमाग वाला देश कैसे विकसित नहीं हो सकता?”
रक्षा मंत्री ने छात्रों से स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, अशफ़ाक़उल्ला खान जैसे वीरों से प्रेरणा लेते रहने का आह्वान किया, जिनकी बहादुरी और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा। उन्होंने राष्ट्रीय गौरव की भावना को किसी भी देश के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू बताया.
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कहा कि वीर गाथा जैसी पहल स्कूली छात्रों को वीर वीरता पुरस्कार विजेताओं की वीरता और बलिदान के बारे में शिक्षित करती है और युवा दिमाग की रचनात्मकता को बढ़ावा देती है। उन्होंने 2.5 लाख से अधिक स्कूलों के 1.76 करोड़ छात्रों की रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी पर प्रकाश डाला, जिन्होंने ड्राइंग, पेंटिंग और निबंध लेखन जैसी गतिविधियों में भाग लिया और देश के लिए उनकी अपार सेवा और बलिदान के लिए नायकों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.
शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि यह पहल देशभक्ति, साहस और राष्ट्रीय गौरव के मूल्यों को विकसित करने में मदद करेगी, जिससे छात्रों को राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरणा मिलेगी। वीरता पुरस्कार विजेताओं के प्रति उत्साह और सम्मान के साथ भाग लेने वाले प्रत्येक छात्र को बधाई देते हुए, उन्होंने सुपर-100 पुरस्कार विजेताओं की उनकी सफलता की सराहना की। उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए उन्होंने कहा कि उनका उत्साह और रचनात्मकता जीवन में उनके लिए बहुत उपयोगी साबित होगी.
कार्यक्रम के दौरान परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर संजय कुमार ने 1999 के कारगिल युद्ध से जुड़े अपने प्रेरक अनुभव साझा किए और छात्रों से अपने जीवन में वीरता, निस्वार्थता और ईमानदारी के मूल्यों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने युवा प्रतिभागियों को प्रेरित करते हुए कहा, “सच्ची बहादुरी केवल युद्ध में ही नहीं बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी में सही के लिए खड़े होने में भी निहित है।”
इस कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार, सचिव (रक्षा उत्पादन) संजीव कुमार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत, उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.
हिन्दुस्थान समाचार
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