Maha Kumbh 2025: सदगुरु कबीर साहब ने पंथ संचालन के लिये धर्मदास साहब के गृह में अवतरित चूरामणि नाम साहब की परंपरा में बयालिस वंशों का अखंड और अटल राज्य स्थापित किया था. इसी परंपरा का सुंदर निर्वहन और संचालन वर्तमान में प्रकाश मुनि नाम साहब कर रहे हैं. उन्हीं के मार्गदर्शन में महाकुम्भ के मेला क्षेत्र में कबीर धर्मदास वंशावली प्रतिनिधि सभा की छावनी में एक अलग ही संसार बसा है.
शिविर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही आपको ठीक सामने एक बड़ा पंडाल दिखाई देगा. जिसमें हजारों श्रद्धालु भजन कीर्तन और सत्संग के सागर में डुबकी लगाते मिल जाएंगे. दायीं और धर्मदास वंशावली के सद्पुरुषों का पूजा स्थल बना है. जिसमें वंशावली के सभी महापुरुषों के चित्र लगे हैं. शिविर में आने वाले श्रद्धालु वहां अपना शीश नवाते हैं. मुख्यद्वार के ठीक बायीं और पुस्तक बिक्री स्टाल और पंजीकरण कार्यालय बना है. बायीं ओर मैदान में जमीन पर कबीर धर्मदास वंशावली के महापुरुषों के चित्र, विभिन्न प्रकार की मालाएं, कंठी, पूजा पाठ ओर पंथ से जुड़ी सामग्री की दुकानें सजी हैं. चारों ओर आपको सिर ही सिर दिखाई देंगे. हजारों का जनसमूह ‘बंदगी साहेब’ के अभिवादन के साथ आपको मुख्य कार्यक्रम पण्डाल, भोजनशाला, रसोईघर और शिविरों में मिलेगा. रसोईघर में सैकड़ों स्त्री और पुरुष मिलकर हजारों श्रद्धालुओं और अनुयायियों के लिये बड़े प्रेम से भोजन बनाते हैं. इतना बड़ा जनसमूह, देश विभिन्न-विभिन्न प्रातों के श्रद्धालु और अनुयायी एक ही प्रांगण में इतने हिल मिलकर रहे हैं, मानो वो एक ही परिवार के सदस्य हों.
क्या है 42 वंश की परंपरा?
प्रतिनिधि सभा के महन्त राजकुमार दास ने बताया, ‘कबीर पंथ का आविर्भाव सदगुरु कबीर साहब के जीवन काल में ही हो चुका था. उन्होंने अपने पश्चात पंथ संचालन हेतु कतिपय नियम बनाकर चार गुरुओं की नियुक्ति की. सदगुरु कबीर साहब के अनेक शिष्य रहे होंगे किन्तु उन सभी में धर्मदास जी की प्रधानता थी. चार गुरुओं की स्थापना होने पर भी धनी धर्मदास साहेब प्रमुख अंश माने जाते है. सदगुरु कबीर साहब के आशीर्वाद से सत्यपंथ के प्रचार-प्रसार का भार धर्मदास जी साहेब एवं उनके अटल ब्यालीस वंशों को सौंपा गया. इस सम्बन्ध में सदगुरु कबीर साहब द्वारा यह वाणी कही गई है- चार गुरु संसार में, धर्मदास बड़े अंश. मुक्त राज लिख दीन्हिया, अटल ब्यालीस वंश.
उन्होंने बताया कि, सदगुरु कबीर साहब ने पंथ संचालन के संबंध में धर्मदास साहब को बतलाया कि पंथ स्थापना का श्रेय तुम्हें दिया गया है. लेकिन भविष्य में संसार की गुरुवाई का अधिकार सत्यपुरुष ने नौतम अंश चूरामनि नाम साहब को दिया जाता है, जिनसे बयालिस वंश पूरे होंगे. इस प्रकार का आदेश मिलने पर धर्मदास साहब के मन में वचन वंश चूरामणि नाम साहेब के ब्यालीस वंशों के नाम जानने की जिज्ञासा हुई. सदगुरु कबीर साहब ने बयालिस वंशों के नाम इस प्रकार बतलाये-सुदर्शन नाम, कुलपति नाम, प्रमोध गुरु, केवल नाम, अमोल नाम, सुरत सनेही नाम, हक्क नाम, पाक नाम, प्रगट नाम, धीरज नाम, उग्रनाम, दया नाम, गृन्धमुनि नाम, प्रकाशमुनि नाम, उदित मुनि नाम, . मुकुन्द मुनि नाम, अर्धनाम, उदय नाम, ज्ञान नाम, हंसमणि नाम, सुकृत नाम, अग्रमणि नाम, रसनाम, गंगमणि नाम, पारस नाम, जाग्रत नाम, भृंगमणि नाम, अकह नाम, कंठमणि नाम, संतोषमणि नाम, चात्रिक नाम, आदि नाम, नेह नाम, अज्रनाम, महानाम, निजनाम, साहेब नाम, उदय नाम, करुणा नाम, उर्ध्वनाम, दीर्घनाम, महामणि नाम. वर्तमान में प्रकाशमुनि नाम गद्दीनशीन हैं. नवोदित वंशाचार्य पंथ श्री उदित मुनि नाम साहब हैं.
उन्होंने बताया कि, ऐसी मान्यता है कि सत्यपुरुष के नौतम अंश (धर्मदास जी के वंश) से ही संसार की मुक्ति होगी. ये ब्यालीस वंश सदगुरु कबीर की अनुपस्थिति में पंथ का सही ढंग से सामयिक प्रचार एवं प्रसार करते रहेंगे. गुरुगद्दी कार्य पंथ संचालन का भार साधारण सांसारिक व्यक्ति वहन नहीं कर सकता, इसलिये सद्गुरु कबीर साहब ने वंश ब्यालीस के रूप में अपना अंश भेजना स्वीकार किया था.
महन्त राजकुमार ने बताया कि, महाकुम्भ में नित्य पूजा आरती, भजन, सत्संग और भेट बंदगी (गुरु चरण वंदना) और भण्डारे का आयोजन हो रहा है. भण्डारे में प्रतिदिन 20 से 22 हजार लोग भण्डारे में अन्न का प्रसाद पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि, कार्यक्रम 2 फरवरी तक चलेगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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