नई दिल्ली: कांग्रेस ने ऐलान किया है कि दिल्ली में सरकार बनने पर अल्पसंख्यक आयोग में जैन समाज से एक सदस्य अवश्य शामिल किया जाएगा. इसके साथ ही राजस्थान की तर्ज पर दिल्ली में जैन कल्याण आयोग का गठन किया जाएगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री आदित्य जैन ने आज यहां दिल्ली प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में संवाददाता सम्मेलन में यह ऐलान किया. उन्होंने पंजाब के अमृतसर में कल बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा क्षतिग्रस्त किए जाने की घटना का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र और पंजाब में जो सरकारें हैं, वह बाबा साहेब के आदर्शों में विश्वास नहीं रखती हैं. घटना के एक दिन बाद भी पंजाब सरकार ने न तो कार्रवाई की और न ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का अभी तक कोई बयान आया है. तमाम मुद्दों पर ट्वीट करने वाले प्रधानमंत्री भी चुप हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि देश के गृहमंत्री राज्यसभा में बाबा साहेब पर “आपत्तिजनक” टिप्पणी करते हैं तो उस पर भी प्रधानमंत्री कोई कार्रवाई नहीं करते हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने संविधान में अल्पसंख्यक दर्जे को आजादी दी थी. डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में राहुल गांधी के प्रयास से अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 27 जनवरी, 2014 को जैन समाज को यह दर्जा दिया था. इसे जैन समाज संवैधानिक अधिकार दिवस के रूप में मनाता है. कांग्रेस ने मुस्लिम, बुद्धिस्ट, पारसी, सिख और जैन को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया लेकिन यह अत्यंत खेद का विषय है कि दिल्ली में 23 अगस्त 2023 से अल्पसंख्यक आयोग बंद है. नरेन्द्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने भी महसूस किया था कि बौद्ध और जैन हिन्दू धर्म के अंग हैं, इसलिए वह वहां की विधानसभा में एक विधेयक लाए थे और पारित किए थे.
कांग्रेस नेता ने कहा कि दिल्ली में 10 साल के दौरान यहां की आप सरकार से मांग की जाती रही कि अल्पसंख्यक आयोग की कार्यकारिणी में जैन समाज का सदस्य होना चाहिए लेकिन उन्होंने इस पर कोई निर्णय नहीं किया. जैन धर्म के तीर्थों पर हमेशा संकट के बादल मंडराते रहे हैं. इंदिरा गांधी ने अपने शासन काल में जैनियों को 4.5 एकड़ जमीन दी थी लेकिन मौजूदा केंद्र और दिल्ली सरकार ने कुछ नहीं किया. श्रवणबेलगोला में महामस्तिकाभिषेक के लिए कर्नाटक सरकार ने 237 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी, जिससे सभी देश-विदेश के लोग उसमें शामिल हुए. प्रधानमंत्री भी गए लेकिन उन्होंने कोई धनराशि आवंटित नहीं की.
उन्होंने कहा कि गजट के मुताबिक जैन समाज की संपत्तियों में लॉ ऑफ टेनेंसी लागू नहीं होता. उसकी प्रबंध समिति में सरकार का दखल नहीं होता है. इसके बावजूद इस मामले में आज संविधान की जो धाराएं हैं, उनका केंद्र और राज्य सरकार ध्यान नहीं रख रही हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में अगर कांग्रेस की सरकार बनेगी तो आयोग की कार्यकारिणी में जैन समाज का एक सदस्य होगा और राजस्थान की तर्ज पर जैन कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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