नई दिल्ली: पुणे में गिलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के पुष्ट और संदिग्ध मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय हरकत में आ गया है. सोमवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुणे और राज्य के स्वास्थ्य़ अधिकारियों की सहायता के लिए विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय टीम का गठन किया है. इस उच्च स्तरीय बहु-विषयक टीम में सात सदस्य हैं. यह टीम राज्य के स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम करेगी और जमीनी स्थिति का जायजा लेगी. इसके साथ आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की सिफारिश करेगी.
सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि महाराष्ट्र के लिए केंद्रीय टीम में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) दिल्ली, निमहंस बेंगलुरु, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्रीय कार्यालय और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे से लिए गए सात विशेषज्ञ शामिल हैं. एनआईवी, पुणे के तीन विशेषज्ञ पहले से ही स्थानीय अधिकारियों की सहायता कर रहे थे. अब केंद्रीय टीम का विस्तार किया गया है. यह टीम राज्य के स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम करेगी और जमीनी स्थिति का जायजा लेगी और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की सिफारिश करेगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति की निगरानी करके और राज्य के साथ समन्वय करके सक्रिय कदम उठा रहा है.
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम बीमारी से पहले संदिग्ध मरीज की मौत की खबर आई है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जीबीएस से जुड़ी पहले संदिग्ध मरीज की मौत सोलापुर से रिपोर्ट हुई है. आधिकारिक प्रेस नोट जारी कर विभाग ने इसकी जानकारी दी है, जिसके मुताबिक प्रदेश में जीबीएस के 101 बीमारों में 68 पुरुष और 33 महिलाएं हैं. 19 बच्चे हैं, जिनकी उम्र 9 साल से कम है. 16 मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा गया है. जीबीएस एक दुर्लभ नर्व्स डिजीज है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर हमला करता है. इसके कारण अचानक सुन्नपन और मांसपेशियों में कमजोरी हो जाती है. इससे लकवा या कभी-कभी मौत भी हो सकती है.
हिन्दुस्थान समाचार
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