नई दिल्ली: जनजातीय कार्य मंत्रालय को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में “जनजातीय गौरव वर्ष” पर आधारित अपनी प्रेरणादायक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध झांकी के लिए 76वें गणतंत्र दिवस परेड में केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों की ओर से सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार दिया गया है.
झांकी में एक भव्य साल के पेड़ के साथ आदिवासी लोकाचार को खूबसूरती से दर्शाया गया था, जो ताकत, स्थिरता एवं आदिवासी समुदायों तथा प्रकृति के बीच के गहरे संबंध का प्रतीक है. केंद्रीय विषय “जल, जंगल, जमीन” ने भारत की आदिवासी विरासत के कालातीत ज्ञान और स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को प्रदर्शित किया.
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर, केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सम्मान भगवान बिरसा मुंडा की विरासत और भारत के आदिवासी समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को श्रद्धांजलि है. मंत्रालय पीएम-जनमन, धरती आबा अभियान और एकलव्य स्कूलों जैसी पहलों के माध्यम से आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि उनका समग्र विकास सुनिश्चित हो सके. यह सम्मान एक ऐसे विकसित भारत के हमारे दृष्टिकोण की पुष्टि करता है जहाँ हर आदिवासी की आवाज़ सुनी जाती है और उसका जश्न मनाया जाता है.
जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके ने पुरस्कार के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह पुरस्कार हमारे राष्ट्र के लिए जनजातीय समुदायों के अमूल्य योगदान को मान्यता देता है. उनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी और हम उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए समर्पित हैं.
जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव विभु नायर ने टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार जीतना जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिए अत्यंत गौरव का क्षण है. झांकी में जनजातीय गौरव वर्ष का सार समाहित है, जो हमारे जनजातीय समुदायों के लचीलेपन और योगदान को दर्शाता है.
हिन्दुस्थान समाचार
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