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UCC: धर्म गुरूओं के प्रमाणपत्र की अनिवार्यता हर पंजीकरण में नहीं, लिव इन रजिस्ट्रेशन के समय देने होंगे ये दस्तावेज

यूसीसी के तहत लिव इन पंजीकरण के समय सिर्फ निवास, जन्म तिथि, आधार और किराएदारी के मामले में किराएदारी से संबंधित दस्तावेज ही प्रस्तुत करने होंगे.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Jan 30, 2025, 06:57 pm IST
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के नियम

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के नियम

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देहरादून: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कानून में धर्म गुरुओं के प्रमाणपत्र की अनिवार्यता हर पंजीकरण में नहीं है. इसके अलावा यूसीसी के तहत लिव इन पंजीकरण के समय सिर्फ निवास, जन्म तिथि, आधार और किराएदारी के मामले में किराएदारी से संबंधित दस्तावेज ही प्रस्तुत करने होंगे.

यूसीसी नियमावली कमेटी के सदस्य मनु गौड़ के अनुसार, जिन लोगों का पहले तलाक हो चुका है, उन्हें विवाह खत्म होने का कानूनी आदेश प्रस्तुत करना होगा. जिनके जीवन साथी की मौत हो चुकी है या जिनका पूर्व में लिव इन रिलेशनशिप समाप्त हो चुका है, उन्हें इससे संबंधित दस्तावेज पंजीकरण के समय देने होंगे.

उन्होंने कहा कि ऐसा सिर्फ उन्ही मामलों में करना होगा, जिसमें लिव इन जोड़े के बीच में कोई पूर्व का रिश्ता हो और वह रिश्ता, अनुसूची एक में दर्ज प्रतिषिद्ध श्रेणी में आता हो. सामान्यतौर पर उत्तराखंड में ऐसे रिश्तों में विवाह करने वाले लोग बहुत कम हैं. इससे साफ है कि उत्तराखंड में यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण में एक प्रतिशत कम मामलों में इसकी जरूरत पड़ेगी. साथ ही जिन समाजों में प्रतिषिद्ध श्रेणी के रिश्तों में विवाह होता है, वो भी धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं.

इस तरह इसका उद्देश्य किसी के भी पंजीकरण को रोकने के बजाय, उसे पंजीकरण में सहायता प्रदान करना है. ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य मनु गौड़ के मुताबिक धर्मगुरुओं के प्रमाणपत्र के फार्मेट को भी इसमें स्पष्ट तौर पर बताया गया है.

मूल या स्थायी निवास से संबंध नहीं

यूसीसी नियमावली कमेटी के सदस्य मनु गौड़ ने स्पष्ट किया है कि यूसीसी के तहत उत्तराखंड में एक साल से रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपना पंजीकरण करवा सकता है. इस समय अवधि का मूल निवास या स्थायी निवास से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं, ये लोग उत्तराखंड में सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. ऐसे लोग अब पंजीकरण कराने पर ही सरकारी सेवाओं का लाभ उठा पाएंगे. इससे उत्तराखंड के लोगों के संसाधनों पर दबाव कम ही होगा. यदि यह सिर्फ मूल और स्थायी निवासी पर ही लागू होता तो, अन्य राज्यों से आने वाले बहुत सारे लोग इसके दायरे से छूट जाते. वो दूसरे राज्यों में विवाह करते, यहां पर सरकारी योजनाओं के लाभ लेते हैं. उन्होंने बताया कि वैसे भी यूसीसी एक्ट में निवासी की परिभाषा सिर्फ सिर्फ यूसीसी से संबंधित विषयों के लिए दी गई है, इसके लिए भी पांच श्रेणियां तय की गई हैं. इसका मकसद उत्तराखंड में रहने वाले सभी लोगों को यूसीसी के तहत पंजीकरण की सुविधा देने के साथ ही सरकार के डेटा बेस को ज्यादा समृद़ध बनाना है. यह एक तरह से वोटर कार्ड की तरह ही है, जिसका मूल निवास या स्थायी निवास से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने स्पष्ट किया है कि यूसीसी के तहत भरे जाने वाले फार्म में चूंकि कई सारे विकल्प दिए गए हैं, इसलिए फार्म 16 पेज का हो गया है. बावजूद इसके फार्म को ऑनलाइन तरीके से भरने में पांच से दस मिनट का ही समय लगेगा. इसे हर तरह से फूलप्रूफ बनाया जाना था. इसलिए फार्म को विस्तृत रखा गया है, ऑफ लाइन तरीके से भी इसे अधिकतम आधा घंटे में भरा जा सकता है. वेबपोर्टल में आधार डालते ही विवरण खुद ही आ जाएगा, इसलिए ऑनलाइन पंजीकरण बेहतर सुविधाजनक है.

हिन्दुस्थान समाचार

ये भी पढ़ें- NCW के 33वें स्थापना दिवस समारोह में शामिल होंगे उपराष्ट्रपति धनखड़, 4 महिला पैरालंपियन को किया जाएगा सम्मानित  

Tags: UttarakhandUniform Civil CodeUCCLive In RelationshipUCC RegistrationReligious Gurus
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