महाकुम्भ नगर: प्रयागराज का महाकुम्भ नगर अब केवल इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि डिजिटल प्लेटफार्मों पर भी अपनी एक अलग पहचान बना रहा है. ‘ये प्रयागराज है’ गीत को संगम की पवित्र धारा और ऐतिहासिक दृश्यों के साथ जोड़कर श्रद्धालु रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं. ये रील्स न केवल भारतीय दर्शकों की पहली पसंद हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों के दिलो-दिमाग पर छायी हुई है. संगीत और दृश्यों का बेहतर संयोजन और प्रस्तुतिकरण सोशल मीडिया की पहली पसंद बना हुआ है. हर बीतते दिन के साथ इस गीत के लाइक्स और व्यूज़ की गिनती नये रिकार्ड बना रही है.
‘ये प्रयागराज है’ गीत तीर्थों के तीर्थ प्रयागराज की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को समर्पित है. भारत की सीमाओं को तोड़ते हुए यह गीत अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा एवं ध्वनि से दुनिया के तमाम देशों में बसे सनातनियों में नयी ऊर्जा का संचार कर रहा है. संगीत जगत में इसकी अनुगूंज अब सोशल मीडिया और वैश्विक संगीत मंचों पर सुनाई दे रही है.
गीत की विशेषता केवल इसकी संगीतमय लयबद्धता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रयागराज की सनानत संस्कृति में महता, आध्यात्मिकता, पवित्रता और गौरवमयी इतिहास के विभिन्न पक्षों को उजागर और जीवंत करता है. गीत के एक-एक शब्द में प्रयागराज की धार्मिक आभा, सांस्कृतिक वैभव और ऐतिहासिक स्थलों की गरिमा को सुंदर एवं सजीव वर्णन किया गया है.
इस गीत में त्रिवेणी संगम की महिमा, कुम्भ मेले की अपार आध्यात्मिकता, अक्षयवट की शाश्वतता, ऐतिहासिक किलों की वीरगाथा और प्रयागराज के अद्वितीय सांस्कृतिक परिदृश्य को शब्दों और सुरों की अलौकिक छवि उभरकर सामने आती है. यह गीत केवल संगीत का मात्र एक स्वरूप नहीं, बल्कि प्रयागराज की आत्मा का संगीतमय प्रतिबिंब है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता की लहर
यह गीत भारतीय जनमानस के साथ ही साथ विदेशों में बसे सनातियों के मन में भी अपनी विशेष जगह बना चुका है. सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य पर इस गीत को लाखों की संख्या में व्यूज और लाइक्स प्राप्त हो रहे हैं. विशेष रूप से अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व के देशों में रचने-बसने वाले भारतीय इसे अपनी जड़ों से जुड़ने के सेतु के रूप में देख रहे हैं. गीत की लोकप्रियता का प्रमाण यह है कि यह न केवल संगीत प्रेमियों के लिए एक रचनात्मक उपहार बनकर उभरा है, बल्कि प्रयागराज की भव्यता और इसकी आध्यात्मिक पहचान को विश्व मंच पर मजबूती से स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो रहा है.
गौरव गीत बना वैश्विक पहचान
लोक गायक मनोज गुप्ता कहते हैं, ‘ये प्रयागराज है’ मात्र एक गीत नहीं, बल्कि यह प्रयागराज की पवित्र धरती से निकला हुआ एक दिव्य उद्गार है. जो इसकी ऐतिहासिक गरिमा, आध्यात्मिक शक्ति और आधुनिक उत्कर्ष को एक साथ पिरोता है. यह गीत न केवल प्रयागराज की महिमा को स्वरों में समेटता है, बल्कि संपूर्ण विश्व को इसकी अलौकिक विरासत से जोड़ने का कार्य कर रहा है. ‘ये प्रयागराज है’ गीत प्रयागराज की आत्मा की गूंज है, जो अब समूचे विश्व में गूंज रही है. इसकी अनुगूंज समय और सीमाओं से परे बह रही है.’
गीत ‘ये प्रयागराज है’
प्रथम यज्ञ भूखंड धरा पे आयी काया आगाज है. है पावन संगम की धरती ये प्रयागराज है. ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है. कण-कण में भगवान बसे हैं पग-पग स्वर्ग से धाम यहां, गंगा यमुना सरस्वती निचरन पखारे यहां, तीर्थराज प्रयागराज है, तीर्थ राज प्रयाग है,धर्म का है ये मुकुट सनातनियों का नाज है, है पावन संगम की धरती ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है.
अर्ध कुम्भ और महाकुम्भ से होता है श्रृंगार जहांऋषियों और मुनियों को दिखता है. अलग-अलग किरदार जहां तीर्थ राज प्रयाग है. कल्प वास और अमृत बून्द सनातनियों का नाज है. है पावन संगम की धरती ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज हैये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है, ये प्रयागराज है.
हिन्दुस्थान समाचार
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