नई दिल्ली: दूरसंचार विभाग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के तहत देशभर में कुल 2,595 पीवीटीजी गांवों को बढ़ी हुई दूरसंचार कनेक्टिविटी के लिए चिह्नित किया गया है. इन क्षेत्रों में कुल 1,716 नए टावर लगाए जाने हैं, जिनमें से 519 टावर शुरुआती छह महीने के भीतर लगा लिये गए हैं.
संचार और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी. “पीवीटीजी बस्तियों में दूरसंचार कनेक्टिविटी” सम्बन्धी प्रश्न को सम्बोधित करते हुए. उन्होंने बताया कि इन प्रयासों का उद्देश्य ग्रामीण, दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में मोबाइल सेवाओं की पहुंच में सुधार करना है, जिसमें विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (पीवीटीजी), आदिवासी बस्तियों और यहां तक कि टोलों और मजरों जैसी छोटी बस्तियों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि जुलाई 2024 में जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अनुरोध के बाद किए गए सर्वेक्षण में इन गांवों की पहचान मोबाइल टावर लगाने की सख्त जरूरत वाले क्षेत्रों के रूप में की गई है. इसमें 15 राज्य शामिल होंगे और व्यापक कवरेज सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न योजनाएं शामिल होंगी. उन्होंने जानकारी दी कि 2,595 चिह्नित गांवों में से 901 गांवों को पहले ही मोबाइल से कवर किया जा चुका है, जिसके लिए 1,716 टावरों में से 519 को केवल छह महीने के रिकॉर्ड समय के भीतर स्थापित किया गया है, जो परियोजना में 35% पूर्णता दर को दर्शाता है.
मंत्री ने बताया कि नवंबर 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाओं से संतृप्त करने के लिए 24,104 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री जनमन के अंतर्गत डीबीएन वित्तपोषित योजनाओं के माध्यम से दूरसंचार विभाग द्वारा पीवीटीजी. गांवों या बस्तियों को मोबाइल कवरेज प्रदान करने का प्रावधान शामिल किया गया है. जनजातीय कार्य मंत्रालय ने दूरसंचार विभाग के साथ उन गांवों तथा बस्तियों की सूची साझा की है, जहां मोबाइल सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं.
झारखंड में पीवीटीजी बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए विशेष परियोजनाओं के बारे में विस्तार से बताते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2471 बस्तियों के लिए कुल 1,987 टावरों की पहचान की गई है. उन्होंने आदिवासी और वामपंथी प्रभावित क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की और इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री जनमन योजना जैसी पहल ग्रामीण आदिवासी बहुल क्षेत्रों में कनेक्टिविटी और समग्र विकास को बेहतर बनाने के लिए बनाई गई हैं.
सिंधिया ने दोहराया कि मोदी सरकार आदिवासी और दूरदराज के क्षेत्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें दूरसंचार बुनियादी ढांचा इस बड़े विकासात्मक दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके अतिरिक्त केंद्रीय मंत्री ने डिजिटल भारत निधि निधि के बारे में एक लिखित उत्तर भी प्रस्तुत किया. उसमें कुछ विशिष्ट योजनाओं का जिक्र है, जो देश के ग्रामीण, दूरदराज, पहाड़ी और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के अछूते गांवों को मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करती हैं.
इन विशिष्ट योजनाओं में 4जी संतृप्ति योजना,आकांक्षी जिलों के 7287 अछूते गांव, वामपंथी उग्रवाद चरण-II,वामपंथी उग्रवाद चरण-I उन्नयन, अरुणाचल प्रदेश और असम के 2 जिलों के अछूते गांव, मेघालय के अछूते गांव और राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच),आकांक्षी जिलों के 502 अछूते गांव, 354 अछूते गांव योजना, लक्षद्वीप द्वीप समूह तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के अछूते गांव और राष्ट्रीय राजमार्ग हैं.
हिन्दुस्थान समाचार
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