नई दिल्ली: बेंगलुरु के एयर फोर्स स्टेशन येलहंका में एशिया की सबसे बड़ी हथियारों की प्रदर्शनी ‘एयरो इंडिया’ में इस बार रूसी सुखोई-57 जेट धूम मचाएगा. यूक्रेन के साथ युद्ध में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किये गए एकमात्र पांचवीं पीढ़ी के दो स्टील्थ रूसी लड़ाकू विमान कर्नाटक की धरती पर उतर चुके हैं और 10 फरवरी को उद्घाटन के बाद बेंगलुरु के आसमान की शोभा बढ़ाएंगे. रूस ने आधिकारिक तौर पर भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 लड़ाकू विमानों की पेशकश की है, जिसमें भारत में प्लांट लगाकर संयुक्त उत्पादन करके स्वदेशी संस्करण विकसित करने का भी प्रस्ताव है.
भारत में रूसी दूतावास ने सुखोई-57 जेट के बेंगलुरु में आने और एयरो इंडिया में उड़ान भरकर एयर शो में शामिल होने के लिए पुष्टि की है. यह फाइटर जेट अपनी लुभावनी एयरोबेटिक्स के लिए जाना जाता है, जिसने जनवरी, 2010 में पहली उड़ान भरी थी. सुखोई-57 जेट अब अपनी उड़ान के 15 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है. इस बीच विमान में जरूरत के लिहाज से कई तरह के सुधार किये गए हैं और यूक्रेन में विशेष सैन्य अभियान के दौरान लड़ाकू विमानों ने हवाई और जमीनी लक्ष्यों को भेदने में प्रभावशाली प्रदर्शन किया है, जिसमें लंबी दूरी से सटीक हमले भी शामिल हैं. इनका इस्तेमाल चौबीस घंटे किसी भी मौसम की स्थिति में और जटिल वातावरण में किया जाता है.
रूसी कंपनी रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के मुताबिक स्टेल्थ क्षमताओं वाला यह विमान उन्नत एईएसए राडार प्रणाली से लैस है और इसमें क्रूज मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता है. सुखोई-57 को एक नया एएल-51एफ1 इंजन मिलने की उम्मीद है, जिसे आफ्टरबर्नर के बिना निरंतर सुपरसोनिक उड़ान के लिए डिजाइन किया गया है, इससे इसकी लड़ाकू क्षमता और बढ़ जाएगी. इस बीच अमेरिकी वायु सेना ने एयरो इंडिया-2025 में एफ-35 और अपग्रेड किए गए एफ-16 की प्रदर्शन उड़ानें रद्द कर दी हैं. 2023 के एयरो इंडिया में पहली बार पेश किए गए एफ-35 के इस साल प्रमुख आकर्षण होने की उम्मीद थी, लेकिन इसकी अनुपस्थिति सुखोई-57 की ओर ध्यान आकर्षित कर सकती है.
रूसी कंपनी एकमात्र 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की तकनीक, भारत को हस्तांतरित करने के लिए तैयार है. रोसोबोरोन एक्सपोर्ट के सीईओ अलेक्जेंडर मिखेव ने कहा कि हम भारत को सिर्फ़ सुखोई-57ई की डिलीवरी ही नहीं, बल्कि संयुक्त उत्पादन और भारतीय 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के विकास में मदद भी दे रहे हैं. रूस के सुखोई-57 ने यूक्रेन में आधुनिक पश्चिमी वायु रक्षा प्रणालियों के खिलाफ अपनी लड़ाकू प्रभावशीलता साबित की है. यह लंबी दूरी सहित सभी दूरी पर खतरों से निपट सकता है, जो एफ-35 विमान में क्षमता नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत-रूस सहयोग न केवल घरेलू उपयोग के लिए लड़ाकू विमान के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि इसके निर्यात का भी रास्ता खुलेगा.
हिन्दुस्थान समाचार
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