बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के नेशनल पार्क के जंगल में बीती 9 फरवरी को हुई मुठभेड़ में 31 नक्सली मारे गए थे. इन नक्सलियों में से 28 की शिनाख्त हो गई है. ये नक्सली एक कराेड़ दस लाख के इनामी थे. शेष 3 मारे गये नक्सलियों की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं.
पुलिस अधीक्षक बीजापुर डॉ. जितेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि नेशनल पार्क एरिया में हुई मुठभेड़ में 11 महिला और 17 पुरुष नक्सलियों की पहचान हुई है. मारे गए 28 नक्सलियों के शव विधिवत परिजनों को सुपुर्द किए गए हैं. इस मुठभेड़ में नेशनल पार्क एरिया में 29 वर्ष से आतंक का पर्याय रहे हुंगा कर्मा का भी अंत हो गया है. कुल एक कराेड़ दस लाख के इनामी नक्सली इस मुठभेड़ में मारे गए हैं.
बीजापुर पुलिस की गुरुवार देर शाम दी गई जानकारी के अनुसार पश्चिम बस्तर डिवीजन सचिव डीवीसीएम 29 वर्षीय हूंगा कर्मा ऊर्फ सोनकू वर्ष 1996 में नक्सल संगठन में सक्रिय था. उसके विरुद्ध बीजापुर जिले के विभिन्न थानों में हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, लूट, अपहरण, कैम्प हमले और पुलिस पार्टी पर हमला जैसे मामले दर्ज थे. उसके खिलाफ 8 अपराध पंजीबद्ध और 3 स्थाई वारंट लंबित पाया गया है. उस पर 8 लाख रुपये का इनाम घोषित था. इसके अलावा अन्य 27 नक्सलियों पर 2 से 5 लाख रुपये तक के इनाम घोषित थे.
पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेन्द्र ने बताया कि मारे गये नक्सली जिनकी शिनाख्त हाे गई, उनमें 8 लाख का इनामी डीवीसीएम हुंगा कर्मा, पांच -पांच लाख के इनामी एसीएम सुभाष ओयाम, एसीएम सन्नू उइका, एसीएम मनीराम कुहरामी, अमर मंडावी, एसीएम भरत ठाकुर, एसीएम सरोज अवलम उर्फ रोजा, एसीएम आयते माड़वी, एसीएम सोनू हपका, मोटू उर्फ केशा पोटाम, मंगू हेमला, राजू मज्जी, संजय कुम्मा, सुखमती पोयाम, मैनी पुनेम, मीना कुंजाम शामिल हैं. इसी तरह मारे गए नक्सलियों में दो-दो लाख के इनामी मैनी मोड़ियम, वेड़जा पेंटाराम, मेट्टा हनमैया, सन्नू मज्जी, रमेश कुमार कुड़ियम, सोनू माड़वी, शांति पोड़ियामी, शशिकला कुड़ियम, सजंती उर्फ संजनी मड़कम, इनामी मल्ली कड़ती, हिड़मा माड़वी और ज्योति हेमला की पहचान की गई है.
मुठभेड़ के बाद यह बात सामने आ रही है कि सेंड्रा इलाके में जहां मुठभेड़ हुई वहां पर आम लोगों के आने जाने पर सख्त पाबंदी है. इस इलाके में नक्सलियों की मर्जी के बगैर परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. ऐसे मुश्किल इलाके में जवानों ने 31 नक्सलियाें को ढेर कर दिया. बताया जा रहा है कि नक्सलियों की बटालियन नंबर 1, मद्देड़ एरिया कमेटी और नेशनल पार्क एारिया कमेटी की संयुक्त बैठक यहां पर हो रही थी. किसी बड़े हमले की याेजना के लिए तीन दिनों से नक्सली यहां बैठक कर रहे थे.
इन तरीकों से होती है पहचान
बीजापुर जिले में इस आपरेशन से जुड़े अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ने बताया कि नक्सलियों की पहचान के लिए तीन प्रकार के तरीके अपनाए जाते हैं. इन में पहला है नक्सलियों के पूर्व कैडर के लोगों (जो लोग आत्समर्पित कर चुके हैं) से पहचान कराकर संबंधित के दस्तावेज मिलाए जाते हैं. दूसरा तरीका है डीआरजी के जवानों के पास उपलब्ध जानकारी और साक्ष्यों से शिनाख्त करायी जाती है. तीसरी प्रक्रिया में सरपंचों, गांव के लोगों और फोटो उजागर होने के बाद परिजनों के शव लेने के आने आदि माध्यमों से पहचान करायी जाती है.
उन्होंने बताया कि नक्सलियों के सबसे सुरक्षित और सक्रिय क्षेत्र बक्सर संभाग में नक्सल बटालयिन को तकरीबन 90 फीसदी तक खत्म कर दिया गया है. इससे नक्सली अब वहां से भागेंगे नहीं तो वे खत्म कर दिए जाएंगे या फिर वे आत्मसर्मपण करेंगे. इसके अलावा अब उनके पास और कोई विकल्प नहीं बचा है.
पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुन्दरराज पी. ने मारे गए 31 नक्सलियों में से 28 की शिनाख्त के बारे में बताया कि वर्ष 2025 में बस्तर रेंज में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में अब तक दो एके 47, पांच 7.62 एमएम एसएलआर , दो 5.56 एमएम इंसास एवं तीन 303 रायफल सहित कुल 77 हथियार बरामद हुए हैं l इसी तरह वर्ष 2024 में वर्ष में बस्तर रेंज में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में अब तक तीन एलएमजी रायफल,दस एके 47, ग्यारह 7.62 एमएम एसएलआर, ग्यारह 5.56 एमएम इंसास और पंद्रह 303 रायफल सहित कुल 286 हथियार बरामद हुए हैं.
हिन्दुस्थान समाचार
यह भी पढ़ें – वर्षों से प्रयागराज के लोगों की दबी हुई भावनाओं को अब नई दिशा मिली: CM योगी आदित्यनाथ
यह भी पढ़ें – ट्रेड, डिफेंस से लेकर टेक्नॉलोजी और एनर्जी तक…PM मोदी को अमेरिकी दौरे से क्या-क्या मिला? जानें
कमेंट