Mahakumbh 2025: महाकुम्भ जब 13 जनवरी को शुरू हुआ था, तब 40-45 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने को अनुमान था. लेकिन श्रद्धालुओं का आंकड़ा 14 फरवरी को 50 करोड़ की संख्या पार कर चुका है. अभी मेले को खत्म होने में 11 दिन शेष बचे हैं. श्रद्धालुओं का संगम की धरती पर आना लगातार जारी है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि यह आंकड़ा 55-60 करोड़ के बीच रहेगा.
हालांकि श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या को लेकर कई तरह के सवाल भी उठते हैं. एक बड़ा सवाल यह है कि इस धार्मिक आयोजन में स्नान करने वालों यानी भीड़ के आंकड़े जुटाए कैसे जाते हैं? प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए अब अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन भीड़ के आंकड़े पहले भी आया करते थे और स्नान पर्वों पर भीड़ के तमाम रिकॉर्ड बनते और टूटते रहे हैं. आंकड़ों पर सवाल भी हमेशा उठते रहे हैं.
गिनती की 1882 में हुई थी शुरूआत : इतिहास के पन्ने में उल्लेखित रिकॉर्ड के मुताबिक कुम्भ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की पहली बार गिनती ब्रिटिश हुकूमत ने सन 1882 में की थी. उस वक्त प्रयागराज कुम्भ में आने वाली हर सड़क पर बैरिकेड्स लगा दिए जाते थे. फिर हर आने वाले की गिनती होती थी. रेलवे स्टेशन के टिकट को भी जोड़ा जाता था. उस कुम्भ में करीब 10 लाख लोग शामिल हुए थे. इसके बाद यह संख्या हर कुम्भ में बढ़ती चली गई. लेकिन, गिनती का तरीका यही रहा.
कैसे हो रही है अब गिनती : महाकुम्भ-2025 हाईटेक हो गया है. डिजिटल कैमरों के जरिए गिनती करना थोड़ा-सा आसान हुआ है. मेला प्रशासन ने पूरे शहर में 2700 कैमरे लगाए हैं. इनमें 1800 कैमरे मेला क्षेत्र में लगे हैं. 1100 स्थाई और बाकी के 700 अस्थाई कैमरे हैं. 270 से ज्यादा कैमरे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई से लैस हैं. इन कैमरों की रेंज में जैसे ही कोई व्यक्ति आता है, उसकी गिनती हो जाती है. ये स्टेशन, मेला क्षेत्र के एंट्री पॉइंट, संगम एरिया और अखाड़ों के साइड में लगाए गए हैं. एआई बेस्ड कैमरे मिनट दर मिनट आंकड़े अपडेट करते हैं.
एआई कैमरों की अहम भूमिका : महाकुम्भ मेला एसएसपी और मेला अधिकारी की मानें तो एआई कैमरे भीड़ की गिनती करने में इस बार अहम भूमिका निभा रहे हैं. मेला प्रशासन भीड़ की कुल तीन तरह से गिनती करता है. पहला-मेला क्षेत्र में कितने लोग मौजूद हैं? दूसरा-कितने लोग चल रहे हैं? तीसरा-कितने लोग स्नान कर रहे हैं? जो व्यक्ति मेले में मौजूद हैं, वह दिन में एक बार काउंट होगा. लेकिन अगर वही अगले दिन फिर आता है तो वह दोबारा भी काउंट होगा. पहली बार एआई के जरिए गिनती की जाती है. यह एक इमर्जिंग टेक्नोलॉजी है, जिसका पहली बार इतने बड़े स्तर पर प्रयोग हो रहा है. करीब 225 एआई कैमरे लगे हैं. जो भी इसकी रेंज में आता है, उसकी गिनती होती है. मेला क्षेत्र में और मेला क्षेत्र में पहुंचने वाले रास्तों पर इन्हें लगाया गया है. इसके अलावा पुराने तरीके से भी गिनती हो रही है, वह गणित के एक फॉर्मूले के आधार पर की जा रही है. हालांकि कोई भी तरीका किसी भी जगह सौ प्रतिशत एरर फ्री नहीं होता.
शहर में प्रवेश करने वाली भीड़ : गिनती का एक तरीका शहर में प्रवेश करने वाली भीड़ से जुड़ा है. जैसे प्रयागराज शहर में प्रवेश करने के कुल सात प्रमुख रास्ते हैं. प्रमुख स्नान पर्व पर गाड़ियों को रोका जाता है. उस दिन शहर के अंदर प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को यह माना जाता है कि वह कुम्भ में शामिल होने आया है. यही भीड़ मेला क्षेत्र में कुल 12 रास्तों से पहुंचती है. वहां भी क्षेत्रफल, घनत्व को मानक बनाकर एक मीटर में प्रति घंटे गुजरती भीड़ को आधार मानकर गिनती होती है. बाहर से आने वाले लोगों की संख्या के बाद ट्रेन से आने वाले लोगों की संख्या जोड़ी जाती है. मेले के लिए बनाई गई पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को जोड़ा जाता है.
भीड़ की गिनती का सांख्यिकीय तरीका : कुम्भ में पहली बार साल 2013 में सांख्यिकीय विधि से भीड़ का अनुमान लगाया गया था. इस विधि के अनुसार एक व्यक्ति को स्नान करने के लिए करीब 0.25 मीटर की जगह चाहिए और उसे नहाने में करीब 15 मिनट का समय लगेगा. इस गणना के मुताबिक एक घंटे में एक घाट पर अधिकतम साढ़े बारह हजार लोग स्नान कर सकते हैं. इस बार कुल 44 घाट बनाए गए हैं, जिनमें 35 घाट पुराने हैं और नौ नए हैं.
मेला क्षेत्र में पहले से मौजूद साधु-संत और कल्पवासियों को भी सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़े में शामिल किया जाता है. हालांकि जो लोग शहर के ही होते हैं और गलियों के जरिए मेला क्षेत्र के घाटों तक पहुंचते हैं, उनकी गिनती नहीं हो पाती. वह अनुमानित संख्या में चले जाते हैं. जानकारों के मुताबिक हालांकि वास्तविक संख्या बता पाना अभी भी बहुत मुश्किल है, क्योंकि तमाम यात्री अलग-अलग जगहों से जाते हैं. यहां तक कि अलग-अलग घाटों पर भी जाते हैं. ऐसे में उनकी गिनती एक बार से ज्यादा ना हो, ऐसा कहना बहुत मुश्किल है.
प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार विनय मिश्र के अनुसार, पहले भीड़ को नापने का कोई मैकेनिज्म नहीं था, आज सीसीटीवी कैमरे और एआई तकनीक के माध्यम से गिनती की जा रही. तकनीक से आंकड़ों की प्रामाणिकता बढ़ी है. इस बार का महाकुम्भ ऐतिहासिक है, जिसे आने वाली कई पीढ़ियां याद करेंगी.
हिन्दुस्थान समाचार
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