इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के चीन के समर्थन में दिए गए बयान पर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. सोमवार को भाजपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने सैम पित्रोदा के बयान को गलवान घाटी में बलिदान हुए जवानों का अपमान बताया.
#WATCH | दिल्ली: कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा की टिप्पणी पर भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “…कांग्रेस पार्टी के चीन के साथ हुए करार का इजहार सैम पित्रोदा ने दिन दहाड़े कर दिया है… गंभीर बात ये है कि जिस प्रकार की बात सैम पित्रोदा ने कही है वह भारत की अस्मिता, कूटनीति और… pic.twitter.com/3GLnoXrY74
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 17, 2025
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सैम पित्रोदा के बयान में बोल जरूर सैम पित्रोदा के अपने हैं लेकिन संगीत जॉर्ज सोरोस का है. सैम पित्रोदा राहुल गांधी के गुरु हैं. राहुल गांधी ने पीपुल्स लिबरेशन पार्टी ऑफ चाइना के साथ एक गुप्त संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं. राजीव गांधी ने चीन से फंड लिया था. जवाहर लाल नेहरू ने अक्साई चिन और यूएनएससी में भारत की सीट चीन को दे दी. कांग्रेस और चीन की दोस्ती काफी पुरानी है. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले कर्ज के दबाव में यह बोल रहे हैं. क्या यह गलवान के शहीदों का अपमान है या नहीं ?
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत विश्व पटल पर शक्तिशाली हो रहा है. ऐसे में अनेक शक्तियां इसे रोकने की साजिश रच रही हैं. ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा का बयान चीन के संबंध का इजहार कर रहा है. यह भारत की आस्मिता पर गहरा आघात है. उन्होंने कहा है कि चीन के साथ कोई विवाद नहीं है. यह कोई आइसोलेटेड विचार नहीं है. राहुल गांधी ने भी इसी तरह के कई बयान दिए हैं.
सुधांशु ने आरोप लगाया कि भारत में चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए गठबंधन किया जा रहा है. गौरव गगोई का संबंध इससे भी पता चलता है. विदेशी शक्ति के लिए कांग्रेस की मोहब्बत की दुकान है. साथ ही ये भारत में लड़ाने का काम करते हैं. राहुल गांधी के बयान भारत की संप्रभुता को प्रभावित करने के लिए है.
उल्लेखनीय है कि इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने कहा था कि मैं चीन से खतरे को नहीं समझ पा रहा हूं. मुझे लगता है कि इस मुद्दे को अक्सर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, क्योंकि अमेरिका में दुश्मन को परिभाषित करने की प्रवृत्ति है. मेरा मानना है कि अब समय आ गया है कि सभी देश आपस में सहयोग करें, न कि टकराव करें. हमारा दृष्टिकोण शुरू से ही टकराव वाला रहा है और इस रवैये से दुश्मन पैदा होते हैं, जो बदले में देश के भीतर समर्थन हासिल करते हैं. हमें इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है और यह मानना बंद करना होगा कि चीन पहले दिन से ही दुश्मन है. यह न केवल चीन के लिए, बल्कि सभी के लिए अनुचित है.
साभार – हिंदुस्थान समाचार
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