शेख हसीना सरकार का तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की स्थिति दिन-प्रतिदन बिगड़ती जा रही है. बांग्लादेश अल्पसंख्यक हिंदू सबसे ज्यादा हिंसा का शिकार हुए हैं. मुस्लिम कट्टरपंथियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वो वहां रह रहे हिन्दुओं पर अत्याचार तो कर ही रहे हैं. इसके साथ ही उनके पूजा स्थलों और आवासों को निशाना बनाया जा रहा है. और खास बात यह है कि मोहम्मद युनूस सरकार के नाक के नीचे यह सब हो रहा है. बावजूद इसके कार्रवाई नहीं हो रही है.बांग्लादेश हिंदू-बुद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, 4 अगस्त, 2024 से लेकर 31 दिसंबर, 2024 के दौरान यहां पर अबतक सांप्रदायिक हिंसा में कुल 32 हिंदुओं की मौत हो गई है. साथ ही महिलाओं के साथ हुए बलात्कार और उप्तीड़न के भी 13 मामले सामने आए हैं. इतना ही नहीं बांग्लादेश के करीब 133 हिंदू मंदिर को भी इस हिंसा का केंद्र बनाया गया.
काउंसिल के अनुसार, बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के महज 15 दिनों के अंदर यहां पर रहने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ 2010 घटनाएं हुई हैं. लेकिन बांग्लादेश सरकार ने 11 जनवरी, 2025 तक केवल 1769 केसों को दर्ज किया है. इनमें से 1415 मामलों को की जांच पूरी हो चुकी ह. और फिलहाल 354 मामलों की जांच पड़ताल चल रही है. बांग्लादेश सराकर ने इन सभी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई करते हुए 10 दिसंबर, 2024 70 लोगों को हिरासत में ले लिया है और 88 केस दर्ज किए हैं.
4 अगस्त, 2024 – 20 अगस्त, 2024 के बीच हुई घटनाएं
काउंसिल रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में हुए शेख हसीना सरकार के तख्ता पलट के बाद पहले के 15 दिनों में कुल 2010 घटनाएं हुई. जिनमें से 1705 अल्पसंख्यक इस घटना के शिकार हुए हैं. 69 पूजा स्थल, 157 परिवारों पर जानबूझकर हमले किए गए हैं. उनके साथ मारपीट, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं हुई हैं. 15 दिनों में कुल 9 की हत्या, 4 रेप और 953 घरों पर हमला किया गया है.
बांग्लादेश में तख्तापलट के पहले 15 दिनों में वहां पर रहने वाले हिंसा के दौरान कुल 9 हिंदुओं की मौत हुई थी. ये हत्याएं साधारण नहीं थी, बल्कि इनमें से ज्यादातर लोगों की हत्याएं दुश्मनी की वजह से हुई थी.
20 अगस्त से 31 दिसंबर, 2024 तक हुई कुल 64 घटनाएं
बांग्लादेश हिंदू बुद्धिस्ट क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार 20 अगस्त, 2024 के बाद बांग्लादेश की कमान मोहम्मद यूनुस ने संभाल ली थी. बांग्लादेश में 20 अगस्त, 2024 से लेकर 31 दिसंबर, 2024 तक कुल 174 घटनाएं हुई, जिनके पीछे का मकसद कम्युनल था. इन घटनाओ में कुल 23 लोगों का मर्डर हुआ था. साथ ही मंदिरों और पूजा स्थल से जुड़ी हुई 64 घटनाएं हुई. और महिलाओं के साथ रेप और उत्पीड़न के कुल मामले सामने आए हैं.
बांग्लादेश में लगातार हुई सांप्रदायिक हिंसा और तनाव का महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों पर काफी बुरा असर देखने को मिला है. रिपोर्ट के अनुसार इस समय बांग्लादेश में रहने वाले सभी अल्पसंख्यक डर में जी रहे हैं. लेकिन बांग्लादेश की सरकार इन सबी घटनाओं को सियासी दुश्मनी से हुई वारदात करार दे रही हैं और इन मामलों की गंभीरता से जांच भी नहीं कर रही है.
रिपोर्ट में इस बात का दावा किया जा रहा है बांग्लादेश की नई सरकार वहां पर रहने वाले अल्पसंख्यकों के साथ बुरा बर्ताव और भेदभाव कर रही है. इतना ही नहीं, सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाली टीचर्स को जबरन निशाना बनाकर उनसे इस्तीफा मांगा जा रहा है. हिंदू समुदाय से नाता रखने वाले लोग अभी तक अपने नौकरीपेशा पर वापस नहीं लौटे हैं. बांग्लादेशी सरकार पर पुलिस भर्ती, बांग्लादेश सिविल सर्विसेज में भर्ती के दौरान अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगाए गए हैं.
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को बनाया निशाना
बांग्लादेश में कट्टरपंथियों ने बीते एक हफ्ते के दौरान कुल 6 हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया है. इनमें से चटगांव के हथजारी में , 8 जनवरी को 4 और मंदिरों पर हमले किए गए थे. इसके अलावा 9 जनवरी को कॉक्स बाजार और 10 जनवरी को भीएक-एक हिंदू मंदिर में लूटपाट की गई थी.
UN का बड़ा दावा
संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश में हुई छात्र विरोधी हिंसा को लेकर एक कार्रवाई की थी. जिसकी हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें UN ने दावा किया है कि बांग्लादेश में हिंसा के दौरान 1400 लोगों की हत्या कर दी गई थी. और इनमें से ज्यादातर हत्या के पीछे सुरक्षाबलों की गोलीबारी जिम्मेदार है.
बताया जा रहा है कि बांग्लादेश की सुरक्षाबलों ने आंदोलन को दबाने के लिए बड़े स्तर पर गोलीबारी, गिरफ्तारियां और प्रताड़ना का सहारा लिया है. UN ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध की घोषणा करते हुए अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है.
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