भारत में मोदी सरकार आने के बाद यानि 2014 के बाद बिजली आपूर्ति में तेजी से वृद्धि हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 22.6 घंटे तो शहरी क्षेत्रों में 23.4 घंटे बिजली आपूर्ति हो गई है. यह सारी जानकारी केंद्रीय ऊर्जा बिजली मनोहर लाल ने दी है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में औसत बिजली आपूर्ति 2014 में 12.5 घंटे से बढ़कर 2025 में 22.6 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 2025 में 23.4 घंटे हो गई है.
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), पीएम सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान जैसी पहलों की मदद से पिछले 10 वर्षों में बिजली की पहुंच में काफी वृद्धि हुई है.उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य देश भर में शत-प्रतिशत घरों तक बिजली पहुंचाना है. ऊर्जा मंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य हर किसी को हर समय बिजली उपलब्ध कराना है और सरकार का लक्ष्य देश भर में 100 प्रतिशत घरों में बिजली पहुंचाना है.”
उन्होंने बताया कि जीवाश्म आधारित बिजली क्षमता 168 गीगावाट से बढ़कर जनवरी 2025 में 246 गीगावाट हो गई है, जो लगभग 46 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है. इसके अलावा, गैर-जीवाश्म आधारित बिजली क्षमता 2014 में लगभग 80GW से बढ़कर 2025 में लगभग 220 GW हो गई है, जो लगभग 180 प्रतिशत की वृद्धि है. मंत्री ने आगे कहा कि ट्रांसमिशन नेटवर्क 2014 में 2.91 लाख सर्किट किमी (सीकेएम) से बढ़कर 2025 में 4.92 लाख सीकेएम हो गया है.
मंत्री ने बताया कि भारत बिजली का शुद्ध निर्यातक बन गया है और 2025 में शुद्ध निर्यात 1,625 एमयू होगा. उन्होंने कहा कि 2014 में भारत बिजली का शुद्ध आयातक था. मंत्री ने कहा कि देश में ऊर्जा की कमी 2014 में 4.2 प्रतिशत से घटकर 2025 में 0.1 प्रतिशत रह गई है तथा वर्तमान ऊर्जा की कमी को दूर करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
विद्युत वितरण कम्पनियों (डिस्कॉम) के घाटे के बारे में मंत्री ने कहा कि कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) घाटा 2014 में 22.62 प्रतिशत से घटकर 2025 में 15 प्रतिशत हो गया है और 2030 तक इसे और घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया जाएगा.
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