भारत की सड़कों पर जल्द ही टेस्ला की इलेक्ट्रिक कारें धूम मचाती नजर आ सकती हैं. एलन मस्क की अगुवाई वाली टेस्ला ने भारत में अपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. महाराष्ट्र इस प्रोजेक्ट के लिए टेस्ला की पहली पसंद बनकर उभरा है. साथ ही, टाटा मोटर्स के साथ संभावित सहयोग की चर्चाएं भी जोरों पर हैं. यह कदम भारत के ईवी बाजार में एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रहा है. अगर बात करें टेस्ला की तो टेस्ला कई रणनीतिक लाभों के कारण महाराष्ट्र को अपने ईवी प्लांट के लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में देख रही है. हालांकि, पश्चिम बंगाल सरकार ने भी टेस्ला को अपने यहां फैक्ट्री लगाने के लिए आमंत्रित किया था. संभावित पश्चिम बंगाल निवेश स्थलों की सूची में नहीं है. क्योंकि पश्चिम बंगाल की आर्थिक गिरावट के कई कारण हैं.
1. एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने 2015-16 से 2022-23 तक सात वर्षों के दौरान 3 मिलियन नौकरियां खो दीं. जबकि महाराष्ट्र ने असंगठित उद्यमों में 2.4 मिलियन कर्मचारी जोड़े. इस प्रकार यह सबसे खराब और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है.
2. 2019-2024 के बीच की अवधि में, 39 सूचीबद्ध कंपनियों सहित 2200 कंपनियां पश्चिम बंगाल से स्थानांतरित हुईं.
3. 2016 में, राज्य पर्यावरण विभाग की मंजूरी वाले कार्यात्मक उद्योगों की कुल संख्या 60,980 थी. 2021 में, यह आंकड़ा घटकर 39,359 हो गया.
4. 29 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा जारी एक नए कार्य पत्र में पाया गया है कि पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा बड़ा राज्य है. जिसकी प्रति व्यक्ति आय 1990-1999 दशक की तुलना में 2000-2019 के बीच धीमी गति से बढ़ी है.
5. 1960-61 में सकल घरेलू उत्पाद में पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी 10.5% थी. 2023-24 में यह घटकर 5.6% रह गई.
6. पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से एक था जिसने नई पेंशन योजना को नहीं अपनाया, विकास व्यय के अनुपात के रूप में पेंशन का हिस्सा 20 प्रतिशत से अधिक हो गया था.
महाराष्ट्र ही टेस्ला की पहली पसंद क्यों?
महाराष्ट्र का पुणे शहर पहले से ही टेस्ला के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां कंपनी का एक कार्यालय और कई सप्लायर मौजूद हैं. सरकारी अधिकारियों ने चाकन और चिखली में संभावित साइट्स का प्रस्ताव दिया है, जो पुणे के नजदीक हैं और प्रमुख ऑटोमोटिव हब के रूप में जाने जाते हैं. यहां मर्सिडीज-बेंज, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, वोक्सवैगन और बजाज ऑटो जैसे बड़े मैन्युफैक्चरर मौजूद हैं.
पश्चिम बंगाल में कई ऐसी चीजें हुईं. जिससे ये पता चलता है कि पश्चिम बंगाल के औद्योगिक विकास में कई तरह से गिरावट आई.
ब्रिटानिया ने किया था ऐतिहासिक कोलकाता फैक्ट्री बंद का एलान
24 जून 2024 को ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने कोलकाता के तारातला इलाके में स्थित अपनी ऐतिहासिक फैक्ट्री को बंद करने की घोषणा कर दी थी… 1947 में स्थापित ब्रिटानिया फैक्ट्री न केवल कंपनी के पोर्टफोलियो में सबसे पुरानी थी, बल्कि भारत में इसकी दूसरी सबसे बड़ी उत्पादन इकाई के रूप में ऐतिहासिक महत्व भी रखती थी… इस निर्णय से न केवल शहर की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है, बल्कि कई श्रमिकों के भविष्य पर भी अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे.. ऐसे में भाजपा ने यूनिट के बंद होने के लिए तृणमूल कांग्रेस को दोषी ठहराया,…
IFB Agro कंपनी को बनाया गया निशाना
12 अप्रैल, 2022 को IFB Agro कंपनी ने बताया कि 15 जून, 2022 को राज्य उत्पाद शुल्क विभाग द्वारा उसे निशाना बनाया गया, कंपनी की दानकुनी इकाई का लाइसेंस निलंबित कर दिया कंपनी को सत्ताधारी पार्टी के समर्थित गुंडों द्वारा अनुचित माँगों और जबरन वसूली का सामना करना पड़ा… इस दौरान उद्योगपति ने खुलासा किया कि बंगाल में व्यवसायी भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को भुगतान करते हैं…
बाटा कंपनी ने कोलकाता छोड़ा
2003 में बाटा कंपनी ने कोलकाता छोड़ दिया… इसके कई कारण थें… यहां पर विकास के अवसरों की कमी थी…इसी साल, फिलिप्स इंडिया, इन्फार इंडिया और शॉ वालेस जैसी प्रमुख कंपनियां राज्य से बाहर चली गई… बाटा का बंगाल से 68 साल पुराना रिश्ता था…
पिछले पांच वर्षों में पश्चिम बंगाल से करीब 2,200 से अधिक कंपनियों ने स्थानांतरित किया है. 2,227 कार्यालयों के बाहर निकलने में विनिर्माण, वित्त, कमीशन एजेंसियां और व्यापार जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं. पश्चिम बंगाल, एकमात्र बड़ा राज्य है जिसकी प्रति व्यक्ति आय 1990-1999 की तुलना में 2000-2019 के बीच धीमी गति से बढ़ी है. पंजाब और पश्चिम बंगाल, जो वास्तविक प्रति व्यक्ति वृद्धि में राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं, जिन्होंने पूंजीगत व्यय पर सबसे कम निवेश किया. पश्चिम बंगाल उन राज्यों में से एक था जिसने नई पेंशन योजना को नहीं अपनाया. एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, पश्चिम बंगाल ने 2015-16 से 2022-23 तक सात वर्षों के दौरान 30 लाख नौकरियाँ खोईं, जबकि महाराष्ट्र ने असंगठित उद्यमों में 2.4 मिलियन कर्मचारी जोड़े, इस प्रकार पश्चिम बंगाल सबसे खराब और महाराष्ट्र सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है.
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