पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के सिब्बी जिले में मंगलवार (11 मार्च 2025) दोपहर को हथियारबंद लोगों ने क्वेटा से पेशावर जा रही ट्रेन जाफ़र एक्सप्रेस पर हमला किया. इसमें करीब 500 यात्रियों को बंधक भी बनाया. हमले की जिम्मेदारी प्रतिबंधित संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली. आइए जानते हैं बलूच लिबरेशन आर्मी क्या है और अलग बलूचिस्तान की मांग को लेकर किस राह पर खड़ा है.
बीएलए इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय कई विद्रोही समूहों में सबसे मजबूत मानी जाती है. अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगे हुए खनिज संपदा से समृद्ध क्षेत्र बलूचिस्तान में बीजिंग ने ग्वादर बंदरगाह और अन्य परियोजनाओं में इनवेस्टमेंट किया है. पहले यह संगठन कम विद्रोही था, लेकिन बीते कुछ महीनों में इन्होंने नई रणनीतियों के साथ हमले तेज कर दिए हैं, जिससे काफी लोगों की जानें गईं और पाकिस्तानी सेना निशाने पर आई है. यह समूह चीनियों को भी निशाना बनाता है।
बीएलए का उद्देश्य
बीएलए पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित प्रांत बलूचिस्तान को स्वतंत्र देश के रूप में चाहता है, जो उत्तर में अफगानिस्तान और पश्चिम में ईरान से सटा हुआ है. यह बलूचिस्तान के कई विद्रोही समूहों में सबसे बड़ा है. ये दशकों से सरकार से लड़ रहे हैं. इनका दावा है कि पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तान के गैस और खनिज संसाधनों का अनुचित शोषण करती है. ये स्थानीय संसाधनों पर अपना दावा करते हैं. बलूचिस्तान का पहाड़ी सीमावर्ती क्षेत्र बलूच विद्रोहियों और इस्लामी आतंकवादियों के लिए सुरक्षित ठिकाना और प्रशिक्षण स्थल है.
बीएलए कैसे बना ज्यादा खतरनाक
वर्ष 2022 में सेना और नौसेना के ठिकानों पर हमले कर बीएलए ने सुरक्षा एजेंसियों को चुनौती दी. इसने महिला फियादीनों को तैयार किया और कराची विश्वविद्यालय में चीनी नागरिकों पर हमला और दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान में बमबारी की. हाल ही में कई बलूच समूहों के एक संगठन ने सभी को एक सैन्य ढांचे के तहत इकट्ठा करने की कोशिश की.
बीएलए किसे बनाता है टारगेट
बीएलए अक्सर बलूचिस्तान में बुनियादी ढांचे और सुरक्षा बलों को टारगेट करता है. यह कराची जैसे अन्य क्षेत्रों में भी हमले करता है साथ ही यह पाकिस्तान की सेना और चीनी लोगों, खासकर अरब सागर पर रणनीतिक ग्वादर बंदरगाह को निशाना बनाता है. बीएलए लगातार बीजिंग पर इस्लामाबाद के साथ मिलकर प्रांत का शोषण करने का आरोप लगाता आ रहा है.
बलूचिस्तान क्यों है खास?
बलूचिस्तान चीन के 60 अरब डॉलर के निवेश (सीपीईसी) का सबसे खास हिस्सा है. यहां रेको डिक जैसे खनन प्रोजेक्ट शामिल हैं, जिन्हें दुनिया की सबसे बड़ी स्वर्ण और तांबा खदान कहा जाता है. आज यह प्रांत अस्थिरता और सुरक्षा चिंताओं को लेकर सुर्खियों में है.
जब 1948 में भारत और पाकिस्तान अलग-अलग हुए तो उस समय बलूचों के लिए एक अलग देश की मांग के साथ विद्रोह की शुरुआत हुई थी. यह अभियान 1950 से 1970 के दशकों तक कई चरणों में चलता रहा. साल 2003 में परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल के दौरान विद्रोही गतिविधियां काफी बढ़ गईं और उन्होंने बलूची विद्रोहियों के विरुद्ध कई अभियान भी चलाए.
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