भारतीय नौसेना को जल्द ही दो और आधुनिक युद्धपोत मिलने वाले हैं. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस हिमगिरि और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अंद्रोथ का समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा होने की घोषणा की है. दोनों युद्धपोतों ने तीन मार्च को कॉन्ट्रैक्टर सी ट्रायल (सीएसटी) पूरा किया, जो किसी भी जहाज के निर्माण की अंतिम प्रक्रिया मानी जाती है.
इन सुविधाओं से है लैस
INS हिमगिरि, प्रोजेक्ट 17-ए के तहत बनाए जा रहे युद्धपोतों में से एक है. इसका निर्माण जीआरएसई कर रहा है और यह छह हजार 670 टन के विस्थापन के साथ भारत में बना अब तक का सबसे बड़ा फ्रिगेट है. इस युद्धपोत को ब्रह्मोस एंटी-शिप और एंटी-सर्फेस मिसाइलों के साथ-साथ बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस किया गया है.
इससे पहले, प्रोजेक्ट 17-ए का पहला फ्रिगेट आईएनएस नीलगिरि मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स ने बनाया गया था, जिसे इस साल 15 जनवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना में शामिल किया था. INS अंद्रोथ, आठ एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट्स में से एक है, जिसे जीआरएसई तैयार कर रहा है. यह युद्धपोत छोटे आकार का है, लेकिन इसमें आधुनिक हथियारों से लैस शक्तिशाली क्षमताएं हैं.
इसलिए हुए है डिजाइन
इसे तटीय इलाकों में पानी के अंदर छिपे खतरों का पता लगाने और नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है. जीआरएसई के मुताबिक आईएनएस अर्नाला का भी परीक्षण पूरा हो चुका है और इसे जल्द ही नौसेना को सौंप दिया जाएगा. इस युद्धपोत को रक्षा मंत्री पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया था, क्योंकि इसे ‘सबसे शांत युद्धपोत’ के रूप में डिजाइन किया गया था.
भारत की समुद्री क्षमता होगी मजबूत
आईएनएस हिमगिरि और आईएनएस अंद्रोथ के समुद्री परीक्षणों के दौरान जीआरएसई, भारतीय नौसेना और विभिन्न मान्यता प्राप्त एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. परीक्षण के दौरान जहाजों की गति, संचालन क्षमता और ऑन बोर्ड सिस्टम का परीक्षण किया गया. इन सफल परीक्षणों के बाद दोनों युद्धपोतों को जल्द ही नौसेना को सौंप दिया जाएगा, जिससे भारत की समुद्री सुरक्षा और मजबूत होगी.
हिन्दुस्थान समाचार
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