उत्तराखंड में फर्जी मदरसों के खिलाफ कार्रवाई लगभग पिछले 20 दिनों से चल रही है. इसमें अब तक पचास से अधिक मदरसों पर ताला लग चुका है. अभी तक यह कार्रवाई देहरादून, ऊधम सिंह नगर और पौड़ी जिले में हुई है. आगे भी ये जारी रहेगी. अब यहां पर सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि धामी सरकार को यह कदम उठाना पड़ा. दूसरा सबके मन में ये भी कि उत्तराखंड में अवैध मदरसों का कितना बड़ा मकड़जाल है. इन मदरसों की फाइनेंसिंग कहां हो रही है? यहां पढ़ने के लिए जो बाहर से छात्र लाए जा रहे हैं वो किस देश या प्रदेश से जुड़े हैं. तो आइए सबसे पहले बात करते हैं कि धामी सरकार को मदरसों की जांच के लिए कदम क्यों उठाना पड़ा.
यह कहानी शुरू होती है कि देहरादून के आजाद कॉलोनी के एक मदरसे से. जहां कुछ महीने पहले जब बाल संरक्षण सुधार आयोग (एनसीपीसीआर) ने छापा मारा तो वहां बाहरी राज्यों के बच्चे भी मिले और संचालक के खिलाफ शिकायतें भी. उसके बाद जब पुलिस ने इस मामले की जांच की तो आरोप सही पाए गाए. इस दौरान मदरसा संचालक के खिलाफ अवैध फंडिंग का मामला भी सुर्खियों में रहा.
केंद्रीय गृह मंत्रालय को खुफिया विभाग की रिपोर्ट
इसके अलावा इस प्रकरण से कुछ महीने पहले पुलिस के खुफिया विभाग ने भारत के गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें उसने उत्तराखंड में 1300 से अधिक मदरसे संचालित होने की बात कही थी. इनमें से 415 मदरसे पंजीकृत थे और शेष गैर कानूनी रूप से संचालित हो रहे है. गैर कानूनी रूप से संचालित मदरसों की बड़ी संख्या उधम सिंह नगर, देहरादून और हल्द्वानी जिले में पाए गए.
मदरसों में बाहर से आए बच्चों का अधूरा विवरण
जांच के दौरान जो जानकारी सामने आई वह चौंकाने वाली थी. इन मदरसों में कई हजार बच्चे ऐसे पाए गए जो बाहरी थे, वो कहां से आए, इसका कोई पुख्ता रिकॉर्ड नहीं मिला. कहा तो ये भी गया कि इन छात्रों में बांग्लादेशी भी हो सकते हैं. सबसे बड़ी ये कि ये जो बाहर आए मदरसे के छात्र हैं कल को उत्तराखंड के मूल निवासी होने का दावा करेंगे. जो कि डेमोग्राफी के लिए एक बड़ी चुनौती है.
मदरसों में जांच के मुख्य बिंदु
ऐसे में अब धामी सरकार ने राज्य के सभी मदरसों की जांच का आदेश दिया है. जिसका उद्देश्य 4 मुख्य बातों पर केंद्रित है- मदरसों का पंजीकरण, वित्त पोषण का स्रोत और संस्थानों में पढ़ने वाले अन्य राज्यों के छात्रों का विवरण, साथ ही फर्जी मदरसों की पहचान कर पर उनके खिलाफ कार्रवाई.
बहरहाल, धामी सरकार की यह कार्रवाई साफ संदेश देती है कि उत्तराखंड में अब कहीं भी, चाहे वह पहाड़ हो या मैदान, अवैध रूप से मदरसों का संचालन नहीं होने दिया जाएगा. जहां भी इस तरह के अवैध मदरसे चल रहे होंगे, वहां तुरंत ताला जड़ने की कार्रवाई की जाएगी.
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