राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने रविवार (23 मार्च 2025) को अपनी सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास किया. इस प्रस्ताव में आरएसएस ने दुनिया में शांति और समृद्धि लाने के लिए एक संगठित हिंदू समाज के निर्माण की बात की. यह प्रस्ताव तीन दिन (21-22-23 मार्च) तक चले कार्यक्रम के समापन पर पेश किया गया. इसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा महासचिव बीएल संतोष सहित आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया.
पारित प्रस्ताव की मुख्य बातें
अब बात अगर पारित प्रस्ताव की करें तो, इसमें मुख्य रूप से कहा गया है कि भारत एक प्राचीन और समृद्ध संस्कृति वाला देश है और इसमें एकजुट दुनिया बनाने की अद्भुत शक्ति है. आरएसएस ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य पूरी मानवता को विभाजन और विनाश की प्रवृत्तियों से बचाना है और सभी जीवों के बीच शांति और एकता की भावना को और बढ़ावा देना है. इसके अलावा, आरएसएस ने यह बताया कि हिंदू समाज को अपने वैश्विक उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए संगठित और सामूहिक जीवन की जरूरत है, जो ‘धर्म’ पर आधारित आत्मविश्वास से भरा हुआ हो.
प्रस्ताव में भेदभाव को नकारने पर जोर
साथ ही प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि सभी प्रकार के भेदभावों को नकार कर, एकजुट आचरण और पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाते हुए, हमें एक आदर्श समाज का निर्माण करना चाहिए. यह समाज भौतिक समृद्धि के साथ-साथ आध्यात्मिकता से भी भरा होगा, जो समाज की समस्याओं का समाधान करेगा और चुनौतियों को कम करेगा.
प्रतिनिधि सभा का स्वयंसेवकों से आग्रह
इसके साथ ही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने सभी स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि वे पूरे समाज को सद्भाव शक्ति के नेतृत्व में एकजुट कर, दुनिया के सामने एक संगठित और सामंजस्यपूर्ण भारत का आदर्श प्रस्तुत करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करें.
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