कनाडा में भले ही प्रधानमंत्री का चेहरा बदल गया है. ट्रूडो की जगह मार्क कार्नी ने ली है लेकिन कनाडा की भारत विरोधी नीति अभी भी नहीं बदली है. एक बार फिर कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. कनाडा में 28 अप्रैल 2025 को आम चुनाव होने वाले हैं. लेकिन सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी ने इस बार भारतीय मूल की सांसद चंद्रा आर्य का टिकट काट दिया है. इसके पीछे की वजह क्या है वह सबसे महत्वपूर्ण है.
आर्य हमेशा से कनाडा में भारत के खिलाफ होने वाली अलगाववादी नीतियों का विरोध करते रहे हैं और इसके खिलाफ मुखर रहे हैं. जो ट्रूडो और लिबरल पार्टी को पसंद नहीं आया, इसलिए आर्य को चुनाव लड़ने से रोका गया. टिकट कटने पर आर्य ने कहा कि मेरे चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की असल वजह ये है कि उन्हें मेरे कनाडाई हिन्दुओं के लिए मुखर होने और खालिस्तानी कट्टरता के खिलाफ मेरे रुख से है.
बता दें कि लिबरल पार्टी, वही पार्टी है जिससे ट्रडो प्रधानमंत्री रह चुके हैं और उन्होंने भारतीय एजेंसियों को अलगाववादी पन्नू की हत्या का आरोप लगाया था. जबकि आर्या हमेशा से इसका विरोध करते नजर आए और हमेशा भारत का पक्ष लेते रहे हैं.
आर्य पर क्या लगाए आरोप?
द ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट के अनुसार, लिबरल पार्टी ने आरोप लगाया है कि चंद्रा आर्या के भारत के साथ करीबी संबंध हैं. और आर्य ने पिछले साल बिना कनाडाई सरकार को जानकारी दिए भारत की यात्रा कर पीएम मोदी से मुलाकात की थी. जबकि उस समय भारत और कनाडा के संबंध बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे थे.
इस पर आर्या का कहना है कि मैं एक सांसद हूं और इसके कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई राजनयिक प्रमुखों से मेरी मुलाकात होना स्वाभाविक है. इसके लिए मैंने कभी सरकार से अनुमति नहीं ली.
अलगाववादी पन्नू ने ट्रूडो से की थी आर्या की शिकायत
आर्य ने कनाडा में अलगाववादी तत्वों के खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाई है. अक्टूबर में अमेरिका स्थित अलगावावदी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से आर्य के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था और आर्य को पार्टी से बाहर करने को कहा था.
चंद्रा आर्य के बारे में जानें
चंद्र आर्य मूल रूप से कर्नाटक के तुमकुरु के सिरा तालुक के निवासी हैं. कौसाली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से बिजनेस मैनेजमेंट में पढ़ाई के बाद 2006 में आर्य कनाडा चले गए थे.ओटावा में उन्होंने निवेश सलाहकार के रूप में काम शुरू किया और बाद में एक रक्षा कंपनी में 6 साल तक कार्यकारी के रूप में कार्य किया. वे इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर्स के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. साल 2015 में आर्य ने पहली बार फेडरल इलेक्शन लड़कर संसद पहुंचे. इसके बाद 2019 और 2021 में सांसद बने.
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