फ्रांस में मुस्लिम कट्टरपंथ एक बड़ा खतरा बनकर मंडरा रहा है. ऐसे में इससे जुड़ा एक और विवाद चर्चा में हैं. इस बार डच मुस्लिम ब्रांड मेराकी ने फ्रांस में अपना स्टोर खोलने से पहले विज्ञापन का वीडियो जारी किया. जिसमें एफिल टावर को मुस्लिम पोशाक और हिजाब पहनाते हुए दिखाया गया है. इसे लेकर फ्रांस की जनता में गुस्सा है.
Dutch fashion brand Merrachi has stirred controversy in France with its latest advertisement featuring the Eiffel Tower draped in a hijab.#Merrachi #EiffelTower #ControversialAd #Barlamantoday pic.twitter.com/WZt1X4vXB6
— Barlaman Today (@BarlamanToday) March 17, 2025
सिटीजन पॉलिटिकल मूवमेंट के सह-संस्थापक, फिलिप म्यूरर, ने एक्स पर लिखा, “हमें शांत नहीं बैठना चाहिए, इस ब्रांड के स्टोर पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है और फ्रांस में उनकी ऑनलाइन बिक्री को रोका जाना चाहिए.”
La marque Merrachi pose un voile islamique sur la Tour Eiffel.
✅Il faut être implacable: interdire les magasins de cette marque et couper l’accès à leur site de vente internet en France.
Se faire respecter.
On attend la réaction de @BrunoRetailleau et de son gouvernement pic.twitter.com/qkF34HkoFh— Philippe Murer 🇫🇷 (@PhilippeMurer) March 11, 2025
फ्रांस यूरोप के सबसे बड़ी मुस्लिम जनसंख्या वाले देशों में से एक है. यहां लगभग 6 मिलियन (60 लाख) लोग इस्लाम को मानने वाले हैं. इसमें लाखों लोग ऐसे हैं जो क्रिश्चियन से इस्लाम में धर्मांतरित कराए गए. वर्तमान में फ्रांस की कुल जनसंख्या लगभग 66.65 (6 करोड़ 60 लाख 50 हजार) है. देखा जाए तो यहां करीब 10 प्रतिशत के आसपास मुस्लिम जनसंख्या है. यहां ईसाई के बाद दूसरा सबसे बड़ा धर्म इस्लाम है.
फ्रांस यूरोप में इस्लामिक आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित देश बना हुआ है, आंकड़ों के अनुसार 1979 से 2021 तक कुल 82 इस्लामी हमले हुए और 332 मौतें हुईं.
बढ़ते इस्लामिक आतंकवाद के खतरे को देखते हुए फ्रांस में कट्टरपंथी विरोधी कानून 24 मार्च 2021 को पारित किया गया. इस कानून का मुख्य उद्देश्य इस्लामिक कट्टरपंथ को रोकना और आतंकवादी प्रचार पर अंकुश लगाना है.
आज की स्थित यह है कि फ्रांस ही नहीं यूरोप के 44 में से करीब दो दर्जन देश ऐसे हैं, जहां इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद गंभीर खतरा बना हुआ है. ब्रिटेन, स्वीडन, नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, हंगरी, आस्ट्रिया, ग्रीस, डेनमार्क, चेक और स्लोवाकिया आदि जैसे देशों में इनका असर साफ दिखाई दे रहा है.
कुछ दशक पहले अमेरिका और पश्चिमी देश ‘ग्लोबलाइजेशन’ के सबसे बड़े पैरोकार थे, मगर अब भूमंडलीकरण का गुब्बारा फूट रहा है, जिसने उनकी नींद उड़ा दी है. बढ़ती इस्लामिक धार्मिक कट्टरता, असमानता और घटते रोजगारों की मके कारण भूमंडलीकरण से उनका मन उचट गया है और फिर राष्ट्रवाद मजबूत हो रहा है.
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