औरंगजेब विवाद के बाद अब राजपूत राजा राणा सांगा को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. कुछ वक्त पहले समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन की तरफ से बयान दिया गया था कि “राणा सांगा ने बाबर को भारत में आमंत्रित किया था”. इस बयान को लेकर हर जगह बवाल मचा है और इसका जमकर विरोध किया जा रहा है. इतिहास के पन्नों में झांकने पर राणा सांगा के बारे में कई सारी बातें पता चलती है और यह भी पता चलता है कि एक धर्म विशेष समुदाय का वोट पाने के लिए राजनीतिक दल के नेता किस हद तक गिर सकते हैं. तो आइए जानते हैं मेवाड़ के महान राजा राणा सांगा के जीवन से जुड़ी खास बातें.
इतिहास में राणा सांगा का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है. जब बात मेवाड़ की रियासत की हो और वहां राणा का उल्लेख न हो ऐसा हो नहीं सकता. वो मेवाड़ के एक शक्तिशाली राजा थे जिन्होंने 16वीं शताब्दी में शासन किया था, इस दौरान यह स्थान (मेवाड़) अपने समय का सबसे शक्तिशाली स्थान बन गया था. राणा सांगा का जन्म 12 अप्रैल 1482 को चित्तौरगढ़ में हुआ था जोकि अपनी पिता की मौत के बाद 1509 में उत्तराधिकारी बनें.
राणा रांगा किसी शेर से कम नहीं थे, जिनकी एक चित्कार दुश्मन की नींद उड़ाने के लिए काफी थी. साल 1517 में राणा और दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच खातोली का युद्ध लड़ा गया था. इसमें राणा ने इब्राहिम लोदी को बुरी तरह पराजित किया और वो धौलपुर में अपने घुटने टेकने को मजबूर हो गया.
राणा सांगा का कुशल सैन्य नेतृत्व
राणा सांगा की सबसे बड़ी खासियतों में से एक उनका कुशल सैन्य नेतृत्व था, जो उनके दुश्मनों को पल भर में ही चित्त कर देती थी. उनका सैन्य नेतृत्व और प्रशिक्षण कमाल का था. इतिहासकारों की मानें तो उन्होंने दिल्ली मालवा, गुजरात के सुल्तानों के साथ 18 युद्ध लड़े और सभी में उन्हें जीत हासिल हुई.
-राणा सांगा पहले ऐसे शासन थे जिन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ राणा सांगा ने सभी राजपूतों को एकजुट करने का काम किया था.
-राणा सांगा ने मुगल बादशाहों के आक्रमण से दिल्ली, गुजरात, मालवा जैसे कई राज्यों की रक्षा की थी. उनका डर इतना था कि दुश्मन मेवाड़ पर हमला करने से पहले सौ बार सोचता था.
-उन्होंने इब्राहिम लोधी, महमूद खिलजी और बाबर के खिलाफ कई लड़ाइयां भी लड़ी थीं.
-1526 में बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई लड़ी गई थी. इसमें इब्राहिम लोदी की हार हुई थी और दिल्ली पर कब्जा कर मुगल साम्राज्य की स्थापना की गई थी.
-साल 1527 को बाबर और राणा सांगा के बीच ऐतिहासिक खानवा का युद्ध लड़ा गया था. यह युद्ध मध्यकालीन इतिहास की प्रमुख घटना में से एक था. इसी के दौरान पहली बार बाबर में जिहाद का नारा दिया था. इसमें राणा सांगा की हार हुई थी.
-राणा सांगा ने विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ सभी राजपूतों को एकजुट करने का काम किया था. उस वक्त हर कोई स्वतंत्र होकर लड़ना पसंद करता था.
-इतिहासकारों की मानें तो एक युद्ध के दौरान राणा सांगा के शरीर पर 80 घाव हुए थे, इसमें उनकी एक आंख, एक हाथ और पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था मगर इसके बावजूद वो लड़ाई लड़ते रहे थे.
-30 जनवरी साल 1528 में जहर देने की वजह से राणा सांगा की कालपी में मौत हो गई थी.
अपने कामों की वजह से इतिहास के इस सूरमा का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है. वो मेवाड़ के एक शक्तिशाली राजपूत राजा थे. हालांकि जिस बात को लेकर इन दिनों विवाद हो रहा है इस पर इतिहासकार एकमत नहीं है. 16वीं सदी की शुरुआत में भारत का राजनीतिक परिदृश्य अत्यंत जटिल और अस्थिर था.
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