बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस चीन दौरे पर गए और वहां दोनों देशों के बीच 9 समझौते भी हुए. दोनों देशों के संयुक्त बयान में बताया गया कि बांग्लादेश ने तीस्ता रिवर कॉम्प्रीहेंसिव मैनेजमेंट एंड रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट (टीआरसीएमआरपी) में चीनी कंपनियों को आमंत्रित किया. तीस्ता प्रोजेक्ट को लेकर यह भारत के लिए झटका हो सकता है, क्योंकि तीस्ता नदी परियोजना से भारत की सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हुई हैं. तो आइए क्या है तीस्ता परियोजना जो भारत के लिए बेहत खास है.
क्या है तीस्ता नदी परियोजना?
तीस्ता नदी, पूर्वी हिमालय के पौहुनरी पर्वत से निकलकर सिक्किम-पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश जाकर ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती है. इस परियोजना का उद्देश्य बाढ़ पर अंकुश लगाना, कटाव रोकना और जमीन हासिल करना है. परियोजना के तहत नदी के बांग्लादेश वाले हिस्से में एक बैराज का निर्माण किया जाना है. कई जगहों पर नदी की चौड़ाई कम करना और कई जगहों पर गहराई बढ़ाना भी परियोजना में शामिल है.
नदी को लेकर भारत-बांग्लादेश के बीच क्या विवाद है?
बांग्लादेश तीस्ता नदी के पानी का आधा हिस्सा चाहता है, खासकर गर्मियों में जब नदी का बहाव कम हो जाता है.वहीं, भारत का प्रस्ताव है कि नदी का 37.5 प्रतिशत पानी बांग्लादेश, 42.5 प्रतिशत भारत और बाकी 20 प्रतिशत पर्यावरणीय प्रवाह के लिए रखा जाए.
भारत ने पश्चिम बंगाल में सिंचाई के लिए नहरें भी बनाना चाहता है. बांग्लादेश का कहना है कि इससे उसके क्षेत्र में नदी का प्रवाह और कम हो जाएगा.
परियोजना में चीन का दखल भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
तीस्ता नदी परियोजना से भारत की सुरक्षा चिताएं जुड़ी हुई हैं. दरअसल, ये परियोजना ‘चिकन नेक’ के नजदीक है. ये पश्चिम बंगाल में लगभग 28 किलोमीटर का वो हिस्सा है, जो पूर्वोत्तर भारत के 7 राज्यों को बाकी देश से जोड़ता है. इसके पास ही में बांग्लादेश और नेपाल भी हैं. ऐसे में अगर इस परियोजना में चीन शामिल होता है तो भारत के लिए सुरक्षा चिंताएं बढ़ सकती हैं.
परियोजना को लेकर भारत-बांग्लादेश के बीच वार्ता कहां पहुंची?
सन 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ढाका दौरे पर तीस्ता समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने थे, लेकिन तत्कालीन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण ऐसा नहीं हो सका.
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश गए थे. वहां उन्होंने समझौते पर सहमति का भरोसा दिया था, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है.
ये भी पढ़ें- जयपुर के तेजाजी मंदिर में तोड़-फोड़, जानिए असमाजिक तत्वों ने किन-किन मंदिरों को पहुंचाया नुकसान
कमेंट