छत्तीसगढ़ के बीजापुर-सुकमा में पिछले दिनों हुई दो बड़ी मुठभेड़ के बाद रविवार को 50 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें कुछ महिला नक्सली भी शामिल हैं. आत्मसमर्पण करने वाले 50 में से 13 नक्सलियों पर कुल 68 लाख रुपये का इनाम है. इन्होंने आज बीजापुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पुलिस अधीक्षक, डीआईजी, सीआरपीएफ और अन्य पुलिस अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण कराने में डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, केरिपु 85, 153, 168, 170, 196, 199, 222, 229 एवं कोबरा201, 202, 204, 205, 208, 210 का विशेष योगदान रहा है.
इस संबंध में बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि एक साथ इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने से नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है. आत्मसमर्पित नक्सलियों में पीएलजीए बटालियन नम्बर एक का 01 सदस्य, पीएलजीए कंपनी नम्बर दो के चार सदस्य, कंपनी नम्बर सात का एक सदस्य , कुतुल एरिया कमेटी, नेशनल पार्क एरिया कमेटी से एसीएम स्तर के 03 सदस्य, जनताना सरकार अध्यक्ष, केएएमएस अध्यक्ष, मिलिशिया कमाण्डर, मिलिशिया डिप्टी कमांडर, मिलिशिया प्लाटून सदस्य, मिलिशिया सदस्य एवं सावनार, कोरचोली, कमलापुर आरपीसी के अन्य सदस्य शामिल हैं. आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में जुड़ने वाले सभी नक्सलियों को प्रोत्साहन स्वरूप 25-25 हजार रुपये का चेक प्रदान किया गया है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नक्सलियों के आत्मसमर्पण के पीछे जिले में हो रहे विकास कार्य बड़ा कारण रहा. तेजी से बनती सड़कें, गावों तक पहुँचती विभिन्न सुविधाओं ने इन्हें प्रभावित किया है. संगठन के विचारों से मोहभंग एवं मिली निराशा, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद इनके आत्मसमर्पण का बहुत बड़ा कारण है. छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति ने कई नक्सलियों नई उम्मीद दी है और उन्हें संगठन के भीतर शोषण और क्रूर व्यवहार से बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया है. यह नीति उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटकर सामान्य जीवन जीने की आशा देती है. इसके अलावा सुरक्षाबलों के लगातार अंदरूनी क्षेत्रों में कैम्प स्थापित करने और क्षेत्र में चलाए जा रहे आक्रामक अभियानों ने भी माओवादियों को संगठन छोड़ने के लिए प्रेरित किया है.
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