केंद्र की मोदी सरकार संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है. वहीं इस विधेयक का कुछ मुस्लिम संघठन और विपक्ष का दल विरोध कर रहे हैं. इस बीच ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन और अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हम गंगा-जमुनी तहजीब वाले देश में हैं. यहां विभिन्न संस्कृतियों के लोग मिलजुलकर रह रहे हैं और यही हमारी शक्ति है.
सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि मोदी जी ने ये सुनिश्चित किया है कि ‘सौगात-ए-मोदी’ देश के 22 लाख लोगों तक पहुंचे. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि वक्फ बिल में संशोधन की जरूरत है. उम्मीद है कि इस बिल से पारदर्शिता आएगी. विरोध और समर्थन करना लोकतंत्र का हिस्सा है. संवैधानिक तरीके से अगर कोई विरोध कर रहा है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन मेरा मानना है कि वक्फ में बदलाव की जरूरत है.
#WATCH | Ajmer | On 'Saugat-e-Modi' kits distributed before Eid, Chairman of All India Sufi Sajjadanshin Council and successor of the spiritual head of Ajmer Dargah, Syed Naseruddin Chishty says, "We are fortunate that we are living in a country which has Ganga-Jamuni culture.… pic.twitter.com/OEBj3TZHFL
— ANI (@ANI) March 31, 2025
सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने साफ कहा, “संशोधन का मतलब यह कतई नहीं है कि मस्जिदें या संपत्तियां छिन जाएंगी. यह कहना गलत होगा. यह लोकतंत्र का हिस्सा है. सरकार को कोई जल्दबाजी नहीं है, जेपीसी में चर्चा के बाद बड़ी तसल्ली से यह बिल लाया गया है.”
चिश्ती ने दावा किया कि उन्हें पूरा यकीन है कि संशोधन के बाद वक्फ के काम में पारदर्शिता आएगी और वक्फ की संपत्ति सुरक्षित की जाएगी, अतिक्रमण हटेगा और वक्फ का किराया बढ़ेगा जो कौम के लिए काम आएगा.
उन्होंने कहा कि जहां कई मुस्लिम धर्मगुरु इस बिल का समर्थन कर रहे हैं, वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस पर आपत्ति जता रहा है. चिश्ती ने कहा कि इस बिल के विरोध में काली पट्टी बांधने को क्यों कहा गया, संशोधित कानून तो अभी सदन में आया ही नहीं है, पहले उसे आ जाने दीजिए, तब गुमराह कीजिए कि हमारी मस्जिद ले ली जाएगी. उन्होंने कहा कि जब संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने कह दिया कि हम कोई मस्जिद नहीं लेंगे, फिर भी इस तरह गुमराह क्यों किया जा रहा है.
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