हाइलाइट्स
- रामनवमी पर रामलला का हुआ सूर्यतिलक
- 4 मिनट तक राम के मस्तिष्क पर रहीं सूर्य की किरणें
- पूरी दुनिया ने देखा अध्यात्म और विज्ञान का अद्भुत संगम
राम भारत की आस्था हैं, राम भारत का आधार हैं. राम भारत की चेतना है, राम भारत का चिंतन है और ऐसे मर्यादापुरुषोतम भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव, भारतवर्ष में बड़े ही हर्षोउल्लास और आनंद के साथ मनाया गया. राम की नगरी अयोध्या इस दौरान अपने आराध्य के प्रकटोत्सव के लिए सज-धजकर तैयार रही. मंदिर के कपाट सुबह साढ़ें तीन बजे ही खोल दिए गए है. भक्त अपने भगवान के दर्शन के लिए सुबह से ही लंबी कतारों में खड़े रहे. इस दौरान उनके चेहरे पर अलग तेज और आनंदित मुस्कान नजर आई. सभी की निगाहें राम के सूर्यतिलक पर थी.
जैसे ही घड़ी की सुई 12 बजे पर आई तो श्रद्धालु उत्सुक हो गए. ठीक 12 बजे रामलला का सूर्यतिलक हुआ. भगवान राम के ललाट पर 4 मिनट तक सूर्य की किरणें सुशोभित होती रहीं. पूरी दुनिया ने अध्यात्म और विज्ञान के इस अद्भुत संगम के देखा और इस अकल्पनीय क्षण के साक्षी बने. इसके बाद एक विशेष आरती भी की गई. इस दौरान रामलला ने रत्न जड़ित पीले रंग के कपड़े पहने और सोने का मुकुट धारण किए हुए भक्तों को दर्शन दिए.
Ayodhya's Ram Janmabhoomi temple witnesses 'Surya Tilak'
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अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में लोग रामनगरी पहुंचे. इस दौरान राम भक्तों पर सरयू के पवित्र जल को ड्रोन के माध्यम से फुहारों से बारिश कराई गई. इस ड्रोन पर जय श्री राम लिखा हुआ था.
भारी संख्या में लोगों ने अपने आराध्य के दर्शन किए और खुद को धन्य माना. मंदिर परिसर में जयश्रीराम और सियावर राम चंद्र की जय के जयकारे लगाए गए. पूरा परिसर इन जयकारों के गूंज उठा.
रामनवमी पर सुबह 3:30 बजे मंदिर के कपाट खोले दिए थे. राम मंदिर का श्रृंगार, आरती और दर्शन सहित मंदिर में कई तरह के कार्यक्रम चलते रहे. जैसे ही 12 बजे और भगवान रामलला का सूर्यतिलक हुआ तो भक्त आनंदित हो गए. भक्तों ने भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी… छंद गायन शुरू कर दिया.
इस तरह हुआ रामलला का सूर्य तिलक
रामलला के मस्तिष्क पर सूर्यतिलक कराने के लिए विज्ञान का सहारा लिया गया. इसरो और देश के विभिन्न आईआईटी के वैज्ञानिकों ने इसके लिए काफी मेहनत की. सबसे पहले मंदिर के ऊपरी हिस्से पर लगे शीशे पर सूर्य की किरणें गिरी. फिर यहां से परावर्तित होकर किरणें पीतल के पाइप में पहुंची. फिर इस पाइप में लगे दर्पण से टकराकर किरणें 90 डिग्री कोण में बदल गई. इसके बाद लंबवत पीतल के पाइप में तीन लेसों से होते हुए यह किरणें गर्भगृभ में लगे दर्पण से टकराई. फिर यहां से 90 डिग्री बनाते हुए 75 मिलीमीटर टीके के रुप में यह किरणें भगवान राम के मस्तिष्क पर सुशोभित हुई. इस राम नवमी से लेकर अगले 20 साल तक भगवान राम के जन्मोत्सव पर सूर्य की किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी. आने वाले 19 सालों तक हर वर्ष रामलला के सूर्य तिलक का समय बढ़ता जाएगा.
#WATCH | ‘Surya Tilak’ illuminates Ram Lalla’s forehead at the Ram Janmabhoomi Temple in Ayodhya, on the occasion of Ram Navami
'Surya Tilak' occurs exactly at 12 noon on Ram Navami when a beam of sunlight is precisely directed onto the forehead of the idol of Ram Lalla, forming… pic.twitter.com/gtI3Pbe2g1
— ANI (@ANI) April 6, 2025
श्रद्धालुओं के लिए शरबत की व्यवस्था
रामलला के दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालुओं के लिए कई तरह की व्यवस्थाएं की गई. गर्मी और धूप से बचने के लिए उनके लिए शरबत वितरित किया गया. साथ ही जगह-जगह बैठने का अरेंजमेंट किया गया.
भक्तों ने सरयू में किया पवित्र स्नान
अयोध्या पहुंचे रामभक्तों ने सरयू नदी में आस्था की डूबकी लगाई. इसके बाद उन्होंने राम मंदिर, हनुमान गढ़ी के साथ अन्य मंदिरों में दर्शन किए.
सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंध
रामनवमी और राम जन्मोत्सव को लेकर पूरे अयोध्या में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंध रही. रेलवे स्टेशन से लेकर मंदिर परिसर तक चप्पे-चप्पे पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान नजर आए. भीड़ प्रबंधन करने के लिए रेलवे स्टेशन के पास तीन होल्डिंग एरिया बनाए गए थे. रामनवमी मेला क्षेत्र को जोन और सेक्टरों में विभाजित किया गया. और इनमें जोनल मजिस्ट्रेट, सेक्टर मजिस्ट्रेट और राजपत्रित अधिकारियों की तैनाती की गई.
गर्मी को देखते हुए श्रद्धालु की सुविधा के लिए सभी अस्थायी हेल्थ सेंटर में ओआरएस की व्यवस्था की गई है. और डॉक्टरों की तैनाती भी गई है. वहीं 7 स्थानों पर 108 एम्बुलेंस की सुविधा भी दी गई है. सफाई-व्यवस्था के लिए नगर निगम की टीम को तैनात किया गया है.
पिछली साल भी हुआ था रामलला का सूर्यतिलक
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली बार 17 अप्रैल 2024 को रामनवमी पर भगवान राम का सूर्यतिलक किया गया था. सूर्य तिलक भगवान राम की दिव्यता और उनके सूर्यवंशी होने का प्रतीक है.
सूर्य तिलक का महत्व
दरअसल, भगवान राम के कुल देवता सूर्य है. उनका जन्म मध्य काल में अभिजीत मुहूर्त में हुआ था. राम के जन्म से सूर्यदेव काफी प्रसन्न थे. इसलिए वह अपने रथ के साथ ही अयोध्या पहुंच गए और वह वहां एक महीने तक रूके थे. सूर्यदेव के रामनगरी में रहने से यहां एक महीने तक रात ही नहीं हुई. भगवान राम का सूर्य तिलक उनके सूर्यवंश के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है.
500 साल बाद राम मंदिर का निर्माण
500 साल के इंतजार के बाद राम मंदिर का निर्माण हुआ. राम भक्तों को इसके लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा. कई कार सेवकों की तो मंदिर के आंदोलन में मौत तक हो गई. लेकिन बावजूद इसके सनातनियों की आस्था कम नहीं हुई. कोर्ट में लंबे समय तक चले वाद-विवाद के बाद आखिर फैसला मंदिर के पक्ष में आया. और अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनाया गया. पीएम मोदी ने 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा की. इसके बाद से मंदिर में रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए आते हैं.
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