देश की राजधानी दिल्ली अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जानी जाती है. हर किसी का प्लान होता है कि वो राजधानी को एक बार जरुर एक्सप्लोर करें. दिल्ली में आने वाले पर्यटक/कंटेट क्रेटयर्स वैसे तो हिस्टोरिकल प्लेसिस और लोकल मार्केट्स की सैर करते हैं. वहीं दिल्ली में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. जहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं और आध्यात्मिक शांति का अनुभव करते हैं. ऐसे ही शानदार और मनमोहक दृश्य वाले मंदिरों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. जहां जाकर आप भगवान की भक्ति में लीन तो होंगे ही साथ ही बेहतरीन आर्किटेक्चर का दीदार भी कर सकेंगे.
अक्षरधाम मंदिर- पूर्वी दिल्ली में यमुना किनारे बना अक्षरधाम मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है. यह भारत के लोकप्रिय हिंदू मंदिरों में से एक है. यह मंदिर भगवान स्वामीनारायण यानी भगवान विष्णु को समर्पित है. मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ-साथ राधा-कृष्ण, राम-सीता और शिव परिवार की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं.
इस भव्य मंदिर में 234 नक्काशीदार खंभे, 9 गुंबद और 20,000 मूर्तियाँ हैं. और इसे गुलाबी बलुआ पत्थर, सफेद संगमरमर से बनाया गया है. मंदिर को बनाने में स्टील और कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. यह 141 फुट ऊंचा, 316 फुट फैला और 356 फुट लंबा है. अक्षरधाम मंदिर का पूरा परिसर 100 एकड़ भूमि में फैला हुआ है. इस हिंदू मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है. अरक्षरधाम मंदिर में 10 द्वार हैं जो वैदिक साहित्य के अनुसार, 10 दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा यज्ञ कुंड भी है. जिसे यज्ञपुरुष कुंड के नाम से जाना जाता है. खास बात यह है कि इस कुंड तक पहुंचने के लिए 2,870 सीढ़ियां है.
मंदिर का समय- अक्षरधाम मंदिर सुबह 9.30 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है. हालांकि मंदिर में प्रवेश शाम 6 बजे तक ही होता है. बता दें कि मंदिर में प्रवेश निःशुल्क यानी फ्री है. वहीं सोमवार के दिन मंदिर बंद रहता है.
इन वस्तुओं की अनुमति नहीं- कैमरा, मोबाइल फोन, संगीत डिवाइस, यूएसबी, पेन ड्राइव, हथियार, पालतू जानवर, सामान, मोबाइल फोन, खाद्य और पेय, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, खिलौने और छाता लाने की अनुमति नहीं है.
नजदीक मेट्रो स्टेशन- अक्षरधाम (ब्ल्यू लाइन)
झंडेवालान देवी मंदिर- मध्य दिल्ली में स्थित झंडेवालान देवी मंदिर एक सिद्धपीठ है. मां झंडेवाली यानी माता लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर 100 साल प्राचीन है. मंदिर में पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है. नवरात्र में तो मंदिर 24 घंटे खुला रहता है. मान्यता है कि यहां माता के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है.
पौराणिक कथा के अनुसार, 100 साल पहले दिल्ली के एक व्यापारी श्री बद्री भगत को सपने में माता ने दर्शन दिए थे और कहा था कि बंजर जमीन में तुम्हें मेरी मूर्ति मिलेगी. इतना ही नहीं माता ने यह भी बताया था कि वहां एक झंडा होगा. जब व्यापारी भगत ने वहां जाकर देखा तो उसी जगह उन्हें झंडे के नीचे माता की मूर्ति मिली. जिसके बाद मूर्ति को स्थापित किया गया और जबसे इस इस मंदिर का नाम झंडेवाला देवी मंदिर पड़ा.
मंदिर में झंडेवाली माता की मूर्ति के अलावा, स्वयंभु शिवलिंग, गणेश जी, बजरंगबली और मां सरस्वती की प्रतिमा विराजमान हैं.
टाइमिंग- गर्मियों में सुबह 4 बजे से 1 बजे तक, शाम को 4 बजे से रात 10 बजे तक दर्शन होते हैं.
सर्दियों में सुबह 5:30 मिनट से दोपहर 1 बजे तक और शाम को 4 बजे से 9:30 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है.
नजदीक मेट्रो स्टेशन- झंडेवालान (ब्ल्यू लाइन)
कालकाजी मंदिर- साउथ दिल्ली में मौजूद कालकाजी मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. यह मंदिर सिद्धपीठ माना जाता है. यह मंदिर अरावली पर्वत की सूर्यकूट पहाड़ी पर स्थित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर 3 हजार साल से ज्यादा पुराना है. और इस पीठ का स्वरूप हर काल में बदलता रहता है. बताया जाता है कि यहीं पर मां दुर्गा के महाकाली का स्वरूप धारण कर असुरों का संहार किया था. वहीं, भगवान कृष्ण ने भी यहां आकर मां भगवती के दर्शन किए थे. मंदिर का केंद्रीय कक्ष पूरी तरह से संगमरमर से बना है, जो इसकी भव्यता को दर्शाता है.
कालकाजी मंदिर में 12 द्वार है, जो 12 महीनों का प्रतीक हैं. इन सारे द्वारों के पास माता के विभिन्न रूपों की तस्वीरें लगी हुई हैं. इस मंदिर को सबसे पहले बाबा बालकनाथ ने बनवाया था. इतिहासकारों के अनुसार, मंदिर का पुराना हिस्सा साल 1764 में मराठाओं ने बनवाया था. 1816 में इस मंदिर का निर्माण अकबर सेंकड ने करवाया था.
इसी स्थान पर महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के साथ मां भगवती की पूजा की थी. युद्ध जीतने के बाद भी पांडवों ने यहां माता की आराधना की थी.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन- कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन (मेजेंटा लाइन)
छत्तरपुर मंदिर- आद्या कात्यायिनी मंदिर, दिल्ली के छत्तरपुर में स्थित है. छतरपुर माता मंदिर में मां दुर्गा के छठे स्वरूप माता कात्यायनी (Maa Katyayani) की भव्य और दिव्य मूर्ति स्थापित है. यह मंदिर दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध और बड़े मंदिरों में से एक है और यह दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है. मंदिर में भगवान विष्णु, शिव, गणेश, हनुमान तथा भगवान राम सीता इत्यादि अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं.मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है इसकी बनावट और सजावट बहुत ही आकर्षक है.
यह मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है. मंदिर परिसर में एक पेड़ है जहां श्रद्धालु धागे और रंग-बिरंगी चूड़ियां बांधते हैं. मानना है कि ऐसा करने से सभी मुराद पूरी होती है. छतरपुर मंदिर की स्थापना 1974 में बाबा संत नागपाल जी द्वारा की गई थी, जिनका देहांत 1998 में हो गया था.
नजदीक मेट्रो स्टेशन- छत्तरपुर (येलो लाइन)
लक्ष्मी नारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर)- दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर जिसे, बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर 7.5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. इस मंदिर का निर्माण साल 1938 में उद्योगपति राजा बलदेव बिड़ला ने बनावाया था. राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने इस मंदिर का उद्घाटन किया था. उनके अनुरोध पर सभी जाति-धर्मों के लोगों को मंदिर में जाने की अनुमति दी गई.
बिड़ला मंदिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है. सोमवार को छोड़कर बाकी सभी दिन पर्यटकों के लिए खुला रहता है. मंदिर में एंट्री सभी के लिए मुफ्त है. मंदिर के गीता भवन में प्रवचनों दिए जाते हैं. यहां भगवान विष्णु के सुदर्शनचक्रधारी कृष्ण की मूर्ति लगी हुई है.
मेट्रो स्टेशन- राम कृष्ण आश्रम मार्ग (ब्ल्यू लाइन)
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