एक स्वस्थ समाज के लिए बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई और बुजर्गों को दवाई यह बेसिक नीड होती है. सक्षम लोग तो मंहगे अस्पताल और मेडिकल स्टोर से दवा ले लेते हैं. लेकिन गरीब परिवार में अगर कोई सदस्य बीमार हो जाता है. तो एक व्यक्ति नहीं बल्कि पूरा परिवार बीमार हो जता है. परिवार की सारी योजनाएं धरी की धरी रह जाती है.
भारत सरकार ने ऐसे ही गरीब, वंचित लोगों को ध्यान में रखते हुए देशभर में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की शुरूआत की. इन सरकारी मेडिकल स्टोर पर कम कीमतों में जैनरिक दवाएं उपलब्ध होती है. बाजार में जिन दवाओं की कीमत 100 रूपये है. लेकिन प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र पर वही दवा 10 से 15 रूपये में मिल जाती है. यानी 50 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत तक कम रेट पर मरीजों को दवा मिलना सुनिश्चित हो रहा है. यह सभी दवाईयां, बाजार में बिकने वाली ब्रांडेड दवाइयों जितनी ही असरदार होती हैं. इनका पेटेंट किसी के पास नहीं होता, इन पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगता और ये कम दाम में मिल जाती है. जिससे गरीबों के लिए यह जन औषधि केंद्र वरदान साबित हो रहे हैं.
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कब शुरू हुई योजना?
साल 2008 में भारत सरकार ने जन औषधि परियोजना की शुरूआत की थी. वहीं मोदी सरकार आने के बाद साल 2015 में इसे व्यापक रूप से बढ़ाते हुए इसके नाम में बदलाव किया. ‘जन औषधि योजना’ को ‘प्रधानमंत्री जन औषधि योजना’ (PMJAY) के रूप में नया नाम दिया गया. वहीं एक साल बाद 2016 में, इस योजना को और गति देने के लिए, इसे प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना नाम मिला.
देशभर में 15 हजार से ज्यादा जन औषधि केंद्र
देश में इस समय 15 हजार से ज्यादा जन औषधि केंद्र खुल चुके है. वहीं सरकार ने 31 मार्च 2027 तक यानी आगामी 2 सालों में 25 हजार जन औषधि केंद्र खोलने का टारगेट रखा है. इन स्टोर पर बिक्री में पिछले 10 वर्षों में 200 गुना वृद्धि देखी गई है. जिससे 30 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है. वहीं एक दशक में जन औषधि केंद्रों की संख्या में 180 गुना वृद्धि हुई है.
भारतीय औषधि एवं चिकित्सा उपकरण ब्यूरो इन जन औषधि केंद्रों का क्रियान्वयन कर रहा है. यह औषधि विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कार्य करता है. वहीं फार्मास्यूटिकल्स विभाग के तहत राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मूल्य निर्धारण प्राधिकरण ब्रांडेड या जेनेरिक सभी दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करता है.
सरकार देशभर में जिले स्तर पर प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोल रही है और इसका प्रचार भी किया जा रहा है. जिससे देशभर के नागरिकों तक सस्ती और सुलभ दवाएं पहुंच सके. और जनता को यह बताना कि दवाइयां सिर्फ ज्यादा कीमतों पर ही अच्छी नहीं मिलती बल्कि कम कीमतों पर भी मिल जाती हैं.
रोजगार के भी अवसर
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में लोगों को सस्ती दवाएं तो मिलती ही है. इसके साथ ही यह केंद्र युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रहे हैं. बता दें प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने के लिए सरकार की ओऱ से 2 से ढ़ाई लाख रूपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है. वहीं इसके साथ ही हर दवा की बिक्री पर 20 प्रतिशत प्रॉफिट दिया जाता है और एक साल की ब्रिकी के बाद 10 प्रतिशत इंसेटिंव अलग से दिया जाता है. नक्सल प्रभावित इलाके और उत्तर-पूर्व राज्य में यह स्टोर खोलने पर युवाओं को 15 प्रतिशत तक इंसेंटिंव दिया जाता है.
कौन खोल सकता है जन औषधि केंद्र?
अगर किसी को प्रधानमंत्री जनऔषधि स्टोर खोलना है तो उसके पास डी. फार्मा या बी. फार्मा का सर्टिफिकेट होना जरूरी है. वहीं सेंटर खोलने के लिए 120 वर्गफुट की जगह भी होनी चाहिए. इसमे अप्लाई करने के लिए 5 हजार फीस देनी होगी. पहली कैटेगरी में फार्मासिस्ट, डॉक्टर या रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर जन औषधि केंद्र खोल सकता है. दूसरी कैटेगरी में ट्रस्ट, एनजीओ, प्राइवेट हॉस्पिटल हैं. तीसरी में उन एजेंसियों को मौका मिलता है, जिन्हें राज्य सरकार ने नॉमिनेट किया हो.
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