ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर दिल्ली में बाबा भैरों नाथ के कई मंदिर है. इन मंदिरों में बाबा के दर्शन करने के लिए हमेशा भक्तों की भारी भीड़ रहती है. लेकिन राजधानी की धरती पर ऐसे भी मंदिर है जहां भक्त बाबा भैरों को प्रसन्न करने कि लिए शराब चढ़ाते हैं. मान्यता है कि यहां बाबा से प्रार्थना करने वाले भक्तों की हर मुराद पूरी होती है. खास बात यह है कि इन मंदिरों का महाभारत काल के पांडवों से खास कनेक्शन है. चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
बटुक भैरों नाथ मंदिर
बटुक भैरों नाथ मंदिर दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित नेहरू पार्क में स्थित है. बताया जाता है कि यह मंदिर साढ़ें 5 हजार साल पुराना है. और इसे पांडवों ने बनवाया था. मंदिर में भगवान भैरों नाथ का चेहरा और बड़ी- बड़ी आंखे नजर आती है. यहां बाबा भैरव को प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाई जाती है. कहा यह भी जाता है कि यहां जो भी दारू भैरों बाबा की प्रतिमा पर चढती है वह मंदिर के नीचे बने एक कुएं में चली जाती है.
किलकारी बाबा भैरों नाथ मंदिर
यह मंदिर प्रगति मैदान स्थित पुराने किले के नजदीक है. यहां भी भक्त दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं. मान्यता है कि भगवान कृष्ण की सलाह पर पांडवों ने खुद इस मंदिर को बनाया था. वहीं यहां जो भगवान भैरव की मूर्ति है. उसे पांडव पुत्र भीम काशी से लेकर आए थे.
पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों ने अपने किले की सुरक्षा के लिए कई बार यज्ञ का आयोजन करवाया था लेकिन राक्षस यज्ञ को बार-बार भंग कर दिया करते थे. तब भगवान वासुदेव ने उन्हें सुझाव दिया था कि किले की सुरक्षा के ले भगवान भैरों को वहां स्थापित करें.
जिसके बाद महाबली भीम बाबा को लाने के लिए काशी गए. वहां उन्होंने बाबा भैरव की अराधना की और बाबा से इंद्रप्रस्थ चलने की विनती. भैरों नाथ ने शर्त रखी कि भीम जहां भी उन्हें पहले रख देंगे वह वही विराजमान हो जाएंगे. जिसके बाद बाबा की शर्त मानते हुए भीम उन्हें अपने कंधे पर बिठा कर इंद्रप्रस्थ ले आए. लेकिन पुराने किले के पास आकर भीम ने बाबा को नीचे उतार दिया. जिसके बाद वह वहीं स्थापित हो गए. लेकिन शर्त के अनुसार बाबा आगे नहीं गए.
भीम ने काफी विनती की और कहा कि वह अपने भाइयों को वचन देकर आएं है कि उन्हें लेकर आएंगे. जिसके बाद भैरों नाथ ने किले की सुरक्षा के लिए अपनी जटा काट कर भीम को दी और कहा कि इन्हें वह किले में स्थाति पर दें और यही से वो किलकारी मार कर किले की सुरक्षा करेंगे. वहीं स्थान आज किलकारी बाबा भैरों नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है.
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