स्वच्छ भारत अभियान पिछले 10 वर्षों में एक जन आंदोलन बनकर उभरा है. हर कोई अपने देश को स्वच्छ बनाने के लिए श्रमदान दे रहा है. यह जनता जनार्दन की ही ताकत है कि इस अभियान का असर इस कदर हुआ कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती यानि 2 अक्टूबर 2019 को भारत खुले में शौच से मुक्त हो गया. गंदगी के खिलाफ चले इस व्यापक अभियान से जन सामान्य के अंदर स्वच्छता को लेकर जागरूकता तो आई ही. इसके साथ ही यह गंभीर बीमारियों को परास्त करने का एक हथियार भी बना है. हम स्वच्छ भारत की ऐसी ही कुछ सफल स्टोरी आपके साथ शेयर कर रहे हैं.
थैंक्यू नेचर अभियान- देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित झाला गांव के युवाओं ने गांव को स्वच्छ बनाने के लिए यह मुहिम शुरू की. ‘थैंक्यू नेचर’ या ‘धन्यवाद प्रकृति’ अभियान के तहत ग्रामीण युवा रोजाना दो घंटे सफाई करते हैं और गांव की गलियों में बिखरे कूड़े को समेटकर उसे गांव से बाहर एक तय स्थान पर डाला जाता है. इससे गांव तो स्वच्छ हो रहा है साथ ही ग्रामीण लोग, स्वच्छता के प्रति जागरूक भी हो रहे हैं. झाला गांव के इन स्वच्छता प्रहरियों (sanitary guards) का जिक्र पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी किया था.
समुद्र तट पर सफाई की मुहिम- केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के माहे में समुद्र तट को साफ करने के लिए स्वच्छता की जबरदस्त मुहिम चलाई जा रही है. यहां एक राम्या नाम की महिला समुद्र तटों को साफ सुथरा बना रही हैं. उनका जिक्र भी पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में किया था. इसके अलावा मुंबई, गोवा में कई सामाजिक संगठनों और एनजीओ ने समुद्र तटों पर सफाई के लिए विशेष अभियान चलाया हुआ है. जिससे यहां आने वाले सैलानी और लोकल लोगों में जागरूकता बढ़ी है.
‘शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं’ पहल- हरियाणा में सरकार ने साल 2018 में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए एक खास पहल शुरू की थी. शौचालय निर्माण और उसके महत्व को जन सामान्य तक पहुंचाने के लिए बिलबोर्ड, पोस्टर और रेडियो विज्ञापनों के माध्यमों का सहारा गया. ‘शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं’ और शौचालय नहीं तो मैं नहीं जाऊंगी, जैसे स्लोगन का इस्तेमाल किया गया.
इतना ही नहीं विवाह से पहले लड़की पक्ष ने यह शर्त रखा करते थे कि अगर लड़के वालों के यहां शौचालय नहीं है तो उस घर में अपनी बेटी की शादी नहीं करेंगे. ऐसे राज्य में जहां लिंगानुपात (Sex Ration) का असंतुलन हो वहां स्वच्छता के अपने अधिकार का दावा विशेष मायने रखता है.
पिंक टॉयलेट- कर्नाटक के गडग जिले में साल 2022 में 32 ग्राम पंचायतों में पिंक टॉयलेट का निर्माण किया गया. इसका मकसद किशोरियों (Teenage) के लिए सुलभ और सुरक्षित रूप से शौचालय की सुविधा उपलब्ध करना है. इन वॉशरूम में पर्याप्त जल आपूर्ति, प्रकाश व्यवस्था, चेंजिंग रूम जैसी सारी फैसिलिटी हैं. इस प्रकार की सुविधा सबसे पहले के.एच. पाटिल गर्ल्स सीनियर प्राइमरी स्कूल में उपलब्ध कराई गई थी और सफल परीक्षण के बाद इसे अन्य गांवों में भी शुरू किया गया.
महिलाएं बनी स्वच्छता नायिकाएं- छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में ग्राम पंचायत बुडार की महिलाओं ने ग्रामीणों में स्वच्छता की ललक जगाई है. जिले की सबसे बड़ी पंचायत अब पूरे देश के लिए स्वच्छता और कचरा प्रबंधन की मिसाल बनकर उभरी है. अंजली बाई, हिरामनी, लीलावती और मिततल बाई इस अभियान की अगुवाई कर रही हैं. यह महिलाएं प्रत्येक बुधवार और शनिवार को घर-घर जाकर कचरा एकत्र करती हैं. जिसके बाद इस कचरे को सॉलिड एंड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट (SLWM) सेंटर में ले जाती हैं, जहां कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जाता है. इन स्वच्छता नायिकाओं ने लगभग 350 किलोग्राम सूखा कचरा और 57 किलोग्राम प्लास्टिक बेचकर समूह के लिए ₹22,000 की अतिरिक्त आय अर्जित की है.
बता दें इस आय का उपयोग स्वच्छता सुविधाओं को और ज्यादा बेहतर बनाने में किया जा रहा है. आपको जानकर खुशी होगी कि इन दीदियों और ग्रामीणों की मेहनत के दम पर बुडार ग्राम पंचायत 14 अगस्त 2024 को ओडीएफ प्लस मॉडल पंचायत घोषित हो गई है.
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