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स्वच्छ भारत मिशन: महिलाओं के स्वाभिमान के लिए मील का पत्थर साबित हुई योजना

इस मिशन ने जहां गंदगी मुक्त राष्ट्र की दिशा में कदम बढ़ाए तो वहीं रिकॉर्ड स्तर पर शौचालय बनाकर महिलाओं को स्वाभिमान और सुरक्षा की गारंटी भी दी. देश में गत 10 वर्षों में रिकॉर्ड तकरीबन 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया. इतना ही नहीं स्कूल-कॉलेजों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए. जिससे इन शैक्षणिक संस्थानों में बच्चियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई.

Editor Ritam Hindi by Editor Ritam Hindi
Apr 16, 2025, 03:17 pm IST
स्वच्छ भारत मिशन से महिलाओं की स्वाभिमान में वृद्धि

देश में करीब 12 करोड़ शौचालय का निर्माण (फोटो- सोशल मीडिया)

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स्वच्छ भारत मिशन ने भारतीयों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है. पिछले एक दशक में यह एक राष्ट्रव्यापी अभियान बन चुका है. स्वच्छ भारत मिशन, दुनिया की सबसे बड़ी और सफल सार्वजनिक पहलों में से एक है. इस परिवर्तनकारी प्रोग्राम से हिन्दुस्तान में स्वच्छता की क्रांति आई. इस अभियान का असर जनमानस के हृदय और विवेक पर इस कदर हुआ कि सबने साथ मिलकर गंदगी के खिलाफ मुहिम शुरू कर दी.

समाज के हर वर्ग ने अपने गांव और शहर को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया. जिसके बाद देशवासियों ने बापू की 150वीं जयंती (2019) पर ‘खुले में शौच मुक्त’ (ODF) भारत बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इस मिशन ने जहां गंदगी मुक्त राष्ट्र की दिशा में कदम बढ़ाए तो वहीं रिकॉर्ड स्तर पर शौचालय बनाकर महिलाओं को स्वाभिमान और सुरक्षा की गारंटी भी दी.

देश में गत 10 वर्षों में रिकॉर्ड तकरीबन 12 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया. इतना ही नहीं स्कूल-कॉलेजों में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय बनाए गए. जिससे इन शैक्षणिक संस्थानों में बच्चियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई.

ऐसा होता था 2014 से पहले का भारत

2014 से पहले ग्रामीण भारत में 39 प्रतिशत घरों में ही शौचालय की सुविधा थी. बाकी के परिवार इस सुविधा से वंचित थे खासकर ग्रामीण महिलाएं. हमारी माताएं और बहनें खुले में शौच जाने के लिए मजबूर थी. वह शौच के लिए अंधेरे का इंतजार करती है और जब तक अंधेरा नहीं होता था तबतब वह शौच के लिए नहीं जाती थी. आप कल्पना कर सकते हैं कि उस दौरान उनके शरीर को कितना कष्ट होता होगा. उनके शरीर में कितनी बीमारियों पनपती होंगी. वहीं जब वो खुले में शौच के लिए जाती थी तो जंगली जानवरों के हमले करने का डर रहता था. सुरक्षा का खतरा भी बना हुआ था.

PM मोदी ने लाल किले से उठाया था मुद्दा

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद 15 अगस्त 2014 को पहली बार जब लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित किया तो उन्होंने शौचालय और गंदगी का मुद्दा उठाया. पीएम मोदी ने कहा था कि 21वीं सदी में आज भी हमारी महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. क्या हम मां बहनों की इज्जत के लिए कम-से-कम शौचालय का निर्माण नहीं कर सकते? PM मोदी ने लाल किले से स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा की. साथ ही भारत के सभी स्कूलों में बच्चियों के लिए अलग से टॉयलेट बनाने के लिए एक साल का टारगेट सेट किया.

10 सालों में इतने स्कूलों में बने छात्राओं के लिए टॉयलेट

देश के सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और प्राइवेट स्कूलो में 97.5 प्रतिशत से ज्यादा स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो चुकी है. वहीं दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी के 100 प्रतिशत स्कूलों में बच्चियों के लिए अलग शौचालय है. यह जानकारी केंद्र सरकार ने नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट में दी थी.

2019 में ODF हुआ था भारत

स्वच्छ भारत अभियान 2 अक्टूबर 2014 को शुरू हुआ था. इसके बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय और स्वच्छता और पेयजल मंत्रालय ने राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों की सहयोग से यह अभियान को ग्राउंड जीरो पर लागू किया. मिशन मोड में चले शौचालय बनाने के इस अभियान ने 5 सालों के भीतर हिन्दुस्तान को खुले में शौच से मुक्त कर दिया. शहरी क्षेत्रों में, लक्ष्य लिक्विड और ठोस कचरे के वैज्ञानिक मैनेजमेंट को सुनिश्चित करना था, जिसे 2020 तक हासिल कर लिया गया.

शौचालयों का मतलब ‘इज्जत घर’

उत्तर प्रदेश में शौचालयों को इज्जत घर नाम दिया गया है. पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शौचालय का नाम इज्जत घर रखने पर सीएम योगी की सराहना की थी. पीएम ने कहा था जिस घर में इज्जत घर होगा वो घर की गरिमा बनाए रखेगा.

16 अक्टूबर 2017 को केंद्र ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर सुझाव दिया कि शौचालयों को ‘इज्जत घर’ कहा जाए. पत्र में भाषाई विविधता वाले क्षेत्रों में इसी के बराबर सम्मानित नाम रखने का सुझाव भी दिया गया था.

‘स्वच्छ भारत मिशन’ का दूसरा चरण

स्वच्छता अभियान के पहले चरण की सफलता के बाद सरकार ने 2020 में इस मिशन का दूसरा चरण लॉन्च किया. दूसरे चरण में सरकार का लक्ष्य सभी गांवों को ODF से ODF प्लस में परिवर्तित करना है. यानि कि गांवों के ODF स्थिति को बनाए रखना और सभी कचरों के वैज्ञानिक मैनेजमेंट को सुनिश्चित करना. बता दें कि 2 सितंबर 2024 तक कुल 5,52,456 ODF प्लस गांव हैं. इसके अलावा, 4,94,497 गांवों में लिक्विड कचरे का वैज्ञानिक मैनेजमेंट सिस्टम मौजूद है. इसके आलावा 3,88,534 गांवों में ठोस कचरे का मैनेजमेंट सिस्टम है.

स्वच्छ भारत मिशन को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि डब्ल्यूएचओ ने भारत सरकार के इस अभियान की जमकर प्रशंसा की थी. WHO ने बताया था कि इस अभियान से प्रेरणा लेकर विभिन्न देश स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं. WHO के अनुसार, 2014 की तुलना में 2019 में डायरिया से 300,000 कम मौतें हुईं. वहीं यूनिसेफ के अनुसार, शौचालय रहित लोगों की संख्या 550 मिलियन से घटकर 50 मिलियन हो गई है. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वच्छ भारत अभियान के लिए बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा 24 सितम्बर 2019 को ‘ग्लोबल गोलकीपर’ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.

ये भी पढ़ें- स्वच्छ भारत मिशन: जनजागरूकता अभियान का प्रभाव और सफलता की कहानियां

ये भी पढ़ें- स्वच्छ भारत मिशन: गंदगी से मुक्ति, खुले में शौच को अलविदा

Tags: 'Global Goalkeeper' AwardPM ModiModi SarkarSwachh Bharat MissionODFToilets
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