सर्वोच्च न्यायलय ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब देने के लिए 7 दिनों का समय दिया है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने दो टूक कहा है कि अगले आदेश तक वक्फ की संपत्ति में कोई बदलाव नहीं होगा. इसका मतलब है वक्फ की स्थिति जैसे पहले थी वैसी ही रहेगी. वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी. इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी. तब तक वक्फ संपत्तियों और बोर्ड में यथास्थिति बनी रहेगी.
वक्फ कानून पर लगातार दूसरे दिन सुनवाई के दौरान गुरुवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वक्फ संशोधन कानून के विवादित प्रावधान फिलहाल लागू नहीं होंगे. यानी फिलहाल इस कानून पर यथास्थिति बनी रहेगी. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने केंद्र सरकार के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
Petitions challenging validity of the Waqf (Amendment) Act, 2025 | Supreme Court takes on record the statement of Solicitor General that Centre will respond within seven days. SC says, Solicitor General assures the court that no appointments will be made to the Council and Board.… pic.twitter.com/268WDzhvIT
— ANI (@ANI) April 17, 2025
अगली सुनवाई के दौरान केवल 5 रिट याचिकाकर्ता ही कोर्ट में उपस्थित रहेंगे. अदालत ने कहा कि सभी पक्ष आपस में तय करें कि उनकी 5 आपत्तियां क्या-कया हैं. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं हैं. मेहता ने कहा कि आप एक ऐसा कानून रोकने जा रहे हैं, जिसे संसद ने पास किया है. मैं देश के सॉलिसिटर जनरल के तौर पर बहुत जिम्मेदारी से ये बात कह रहा हूं. मेहता ने कहा कि मैंने कोर्ट की बातों पर ध्यान दिया है, लेकिन सिर्फ कुछ धाराओं को देखकर पूरे कानून पर रोक लगाना सही नहीं होगा. मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस कानून को बनाने से पहले लाखों लोगों से बात की है, हम जनता के प्रति जवाबदेह हैं. कई गांवों की जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है. ऐसे में आम लोगों के हितों का भी ध्यान रखने की जरूरत है। कोर्ट का इस कानून पर तुरंत रोक लगाना बहुत सख्त कदम होगा.
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या 1995 के कानून के तहत वक्फ में रजिस्टर्ड संपत्तियों पर अभी कोई कार्रवाई नहीं होगी. तब मेहता ने जवाब दिया कि यह बात खुद कानून में शामिल हैं. तब चीफ जस्टिस ने कहा कि ठीक है, लेकिन फिलहाल वक्फ बोर्ड या वक्फ काउंसिल में कोई नई नियुक्ति न की जाए. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे सामने जो स्थिति है, उसके आधार पर हम आगे बढ़ रहे हैं। हम नहीं चाहते कि स्थिति पूरी तरह से बदल जाए, हम कानून पर रोक नहीं लगा रहे हैं. कोर्ट ने वक्फ कानून पर केंद्र सरकार को सात दिनों के भीतर इस पर जवाब देने को कहा है, केंद्र का जवाब आने तक वक्फ संपत्ति की स्थिति नहीं बदलेगी. इसके साथ ही अगले आदेश तक नई नियुक्तियां नहीं होंगी.
इससे पहले 16 अप्रैल को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान संकेत दिया था कि ‘वक्फ बाय यूजर’ की व्यवस्था को हटाने और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों को नामित करने की व्यवस्था पर अंतरिम रोक लगा सकता है. चीफ जस्टिस ने कहा था कि संसद से पारित कानून पर बिना विस्तार की सुनवाई के कोर्ट रोक नहीं लगा सकती है, लेकिन वक्फ बाय यूजर के प्रावधान को देखते हुए कोर्ट ऐसा कर सकती है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जारी हिंसा पर चिंता जताई थी. कोर्ट ने कहा था कि जब मामला कोर्ट में लंबित है, इस तरह की हिंसा नहीं होनी चाहिए.
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