गंदगी के विरूद्ध स्वच्छ भारत मिशन के तहत भारतीयों ने युद्ध छेड़ रखा है. बापू के स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने के लिए हर कोई साफ-सफाई में जुटा है. आम लोगों में अब गंदगी के खिलाफ नफरत और सफाई के प्रति जागरूकता आई है. अब शहरों के बीच स्वच्छता को लेकर प्रतिस्पर्धा होने लगी है. भारत सरकार ने 2016 में स्वच्छ सर्वेक्षण की शुरूआत की. जिसके बाद स्वच्छता के लिए हेल्दी कॉम्पिटिशन राज्यों के बीच होने लगा है. स्थानीय नगर निकाय अब अपने शहर की रैकिंग में सुधार के लिए सफाई व्यवस्था दुरूस्त करने लगे हैं. इसके लिए सफाई कर्मचारी शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के लिए जी-जान से जुटे हैं.
9 सालों से हो रहा है स्वच्छ सर्वेक्षण
2016 से शुरू हुए इस स्वच्छ सर्वेक्षण में तीन कैटेगिरी होती है. पहली श्रेणी में एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर, दूसरे में एक लाख से कम आबादी वाले शहरों को शामिल किया जाता है. तीसरा पुरस्कार स्वच्छ राज्य को दिया जाता है. इसके आलावा गंगा किनारे बसे शहरों की अलग से रैंकिग जारी की जाती है.
भारत का स्वच्छता सर्वेक्षण दुनिया का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता सर्वेक्षण है. शहरों में स्वच्छता बनाए रखने के लिए 2016 में इसकी शुरुआत की गई थी. तब इसमें सिर्फ 73 प्रमुख शहरों को शामिल किया गया था. 2023 में 4500 से ज्यादा शहरों को लिस्ट में रखा गया था. 2024 में इस सर्वेक्षण में 4,800 शहरों को शामिल किया गया था. बता दें यह सर्वेक्षण, क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा किए जाते हैं.
इंदौर को लगातार 7 सालों से सबसे स्वच्छ शहर
मध्य प्रदेश का इंदौर शहर ने लगातार 7 सालों से भारत का सबसे स्वच्छ शहर होने का खिताब प्राप्त किया है. 2017 से 2023 तक, इंदौर लगातार सात सालों तक इस सर्वेक्षण में पहले स्थान पर रहा. 2023 में तो सूरत ने इंदौर के साथ संयुक्त रूप से पहले स्थान पर रहा. 2024 के सर्वेक्षण की बात करें तो शीर्ष 10 स्वच्छ शहर (मिलियन प्लस श्रेणी) में इंदौर (मध्य प्रदेश), सूरत (गुजरात), नवी मुंबई (महाराष्ट्र) को क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तीसरा पुरस्कार मिला है.
ये भी पढ़ें- स्वच्छ भारत मिशन: महिलाओं के स्वाभिमान के लिए मील का पत्थर साबित हुई योजना
ये भी पढ़ें- स्वच्छ भारत मिशन: जनजागरूकता अभियान का प्रभाव और सफलता की कहानियां
कमेंट