देशभर में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. पिछले एक दशक में भारत के लोगों में साफ-सफाई को लेकर बड़े पैमाने पर जागरूकता आई है. PM मोदी ने ‘न गंदगी करूंगा और न ही करने दूंगा’ का जो संकल्प साल 2014 में भारतीयों को दिलाया था. वह अब सिद्ध होता नजर आ रहा है.
लोगों में गंदगी के खिलाफ नफरत इस कदर बढ़ गई कि अब स्वच्छता अभियान एक जन आंदोलन में परिवर्तित हो गया है. हर कोई अब साफ-सफाई, स्वच्छता पर ध्यान देने लगा है.
स्वच्छता अभियान का असर है कि देश में शिशु और बाल मृत्यु दर में कमी आई है. नेचर जर्नल में छपी एक रिसर्च में बताया गया है कि साल 2011 से 2020 के बीच हर साल 60 हजार से 70 हजार बच्चों की जान शौचालय बनने की वजह से बच पाई है. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने इस रिसर्च को अपने एक्स अकाउंट पर शेयर किया था. इतना ही नहीं स्वच्छता के कारण गांवों में परिवारों को हर साल औसतन 50 हजार रुपये की बचत हो रही है, जो पहले बीमारियों के इलाज पर खर्च हो जाते थे.
अगर हम पिछले 10 सालों में परिवर्तन की बात करें तो ग्रामीण भारत खुले में शौच से मुक्त हो गया है. महिलाओं को सम्मान की जिंदगी मिली है. स्कूल में टॉयलेट बन जाने से अब बच्चियां स्कूल नहीं छोड़ती. यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. भारत को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए समय-समय पर विशेष पहले शुरू हुई. जो इस अभियान को गति देने में काफी सहायक सिद्ध हुई. हम आपको उन्हीं कार्यक्रमों के बारे में ही बताने जा रहे हैं.
‘बाल स्वच्छता अभियान’- इस अभियान को 14 नवंबर, 2014 यानी बाल दिवस के मौके पर शुरू किया गया था. अभियान का उद्देश्य बच्चों में स्वच्छता की आदत को विकसित करना और उन्हें स्वच्छता के महत्व के बारे में बताना. जैसे कि हाथ धोना, दांत साफ करना, और नहाने की आदतें विकसित करना. जिससे वे स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित हो सकें.
दरवाजा बंद कैपेंन- भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने साल 2017 में ‘दरवाजा बंद’ कैपेंन की शुरूआत की थी. इसका मुख्य मकसद, भारतीयों को खुले में शौच से मुक्ति और शौचालयों के उपयोग करने के लिए प्रेरित करना था. इसमें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को ब्रांड एम्बेसडकर बनाया गया था. वो एड फिल्म के माध्यम से लोगों को शौचालय का उपयोग करने और दरवाजा बंद करने का संदेश देते थे. जिससे लोगों में टॉयलेट यूज करने की हैबिट बन सके.
सीटी बजाओ अभियान- इस अभियान का उद्देश्य खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करना है और सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ाना है. सीटी बजाओ अभियान में लोग खुले में शौच करने वालों को सीटी बजाकर ऐसा करने से रोकते हैं. इस अभियान का प्रचार एड फिल्म के माध्यम से किया गया था. इसने ओडीएफ भारत के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई है.
‘टॉयलेट- एक प्रेम कथा’ फिल्म- शौचालय के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भारतीय सिनेमा ने भी अपना योगदान दिया है. ऐसी ही एक मूवी टॉयलेट-एक प्रेम कथा साल 2017 में आई. जिसमें अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर ने मुख्य भूमिका निभाई है. “टॉयलेट: एक प्रेम कथा” फिल्म मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की अनीता नर्रे की वास्तविक कहानी पर आधारित है. अनीता ने अपने पति के घर वापस जाने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि उसके ससुराल में शौचालय नहीं था. यह फिल्म में घर शौचालय की जरूरत और डिग्निटी ऑफ वुमेंस को बढ़ावा देना है.
स्वच्छता ही सेवा अभियान कार्यक्रम- यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन है. इसका उद्देश्य स्वच्छता के प्रति लोगों को एकजुट करना है. इसके तहत सफाई अभियान, जागरूकता रैलियां और सामुदायिक स्वच्छता कार्यक्रम किए जाते हैं. ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान एक सतत अभियान है जो पूरे साल चलता है. इसमें सभी मिलकर श्रमदान करते हैं. स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत, सभी से स्वच्छता को अपनी दिनचर्या में शामिल करने और साफ-सफाई के प्रति जागरूक रहने का आग्रह किया जाता है.
स्वच्छता पखवाड़ा- स्वच्छता पखवाड़ा के जरिए भारत सरकार ने स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाने और लोगों को स्वच्छता के महत्व को समझाना शुरू किया. यह अभियान हर साल आयोजित किया जाता है और इसमें विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया जाता है. स्वच्छता पखवाड़ा 15 दिनों का होता है. इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्वच्छता के मुद्दों और प्रथाओं पर गहन ध्यान दिया जाए, ताकि हर कोई स्वच्छता के महत्व को समझ सके और अपने आसपास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रख सके.
प्लास्टिक से रक्षा: यह कैंपेन प्लास्टिक प्रदूषण के खतरे के बारे में जागरूकता फैलाने और प्लास्टिक के उपयोग को कम कर उसके उचित प्रबंधन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है. प्लास्टिक से रक्षा कैंपेन का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना और पर्यावरण की रक्षा करना है. साथ ही प्लास्टिक के रिसाइकल और विकल्पों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करना है.
स्वच्छ तीर्थ: इस पहल का उद्देश्य देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों और उनके आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छता बनाए रखना है. यह धार्मिक स्थलों की पवित्रता और स्वच्छता के महत्व पर जोर देता है.
ये कैंपेन विभिन्न माध्यमों जैसे टेलीविजन, रेडियो, सोशल मीडिया, होर्डिंग और जमीनी स्तर पर गतिविधियों के माध्यम से लोगों तक पहुंचते हैं और स्वच्छ भारत के संदेश को प्रभावी ढंग से फैलाते हैं.
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