22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास बैसरन घाटी में इस्लामिक आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला किया. यह हमला हिन्दू पर्यटकों को लक्ष्य बनाकर किया गया. आतंकियों ने पर्यटकों से पहले उनका नाम और धर्म पूछा. इसके बाद उन्होंने पहचान पत्र देखे और कुछ मामलों में पुरुषों से उनके पैंट उतारने को कहा ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि वे मुस्लिम नहीं हैं. इसके अलावा, कुछ पर्यटकों से इस्लामी आयतें पढ़ने को भी कहा गया. जो लोग इन परीक्षणों में मुस्लिम नहीं पाए गए, उन्हें गोली मार दी गई. इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई, जिनमें अधिकांश हिंदू पर्यटक थे. हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली है. इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दुओं को निशाना बनाकर किया गया यह हमला पहली बार नहीं हुआ बल्कि इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर समेत देश के कई हिस्सों में ऐसे अटैक हो चुके हैं.
आईए जानते हैं कि भारत में कब-कब और कहां-कहां हिन्दू पहचान के आधार पर हत्याएं की गईं?
तिनसुकिया हत्याकांड असम (1 नवंबर 2018)

1 नवंबर 2018 को असम के तिनसुकिया जिले के खेरबाड़ी गांव में पांच बंगाली हिंदू पुरुषों को अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मार दी. हमलावर सेना की वर्दी में थे और पीड़ितों को घर से बाहर बुलाकर नदी किनारे लाइन में खड़ा कर गोलियां चलाई गईं. मारे गए सभी मजदूर वर्ग के लोग थे. संदेह उल्फा (I) पर गया, लेकिन संगठन ने जिम्मेदारी से इनकार किया. यह हत्याकांड एनआरसी (NRC) और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) के विरोध की पृष्ठभूमि में हुआ, जिससे बंगाली समुदाय में भय फैल गया. अब तक किसी को इस हत्याकांड के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है. पुलिस जांच जारी रही, लेकिन कोई ठोस सबूत या गिरफ्तारी नहीं हुई.
26/11 मुंबई हमला (26 नवंबर 2008)

26/11 मुंबई हमला, 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किया गया था. दस आतंकियों ने मुंबई में ताज होटल, CST स्टेशन, नरीमन हाउस सहित कई स्थानों पर हमला किया. हमले में 170 से अधिक लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए. इस हमले में आतंकी अजमल कसाब गिरफ्तार हुआ, जिसे बाद में फांसी की सजा दी गई.
इस हमले में नरीमन हाउस में यहूदी परिवारों और अन्य जगहों पर आतंकियों ने धर्म पूछकर लोगों को मारा. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकियों ने जिन लोगों को बंदी बना रखा था, उनका धर्म पूछा और हिंदू पहचान वालों को प्राथमिक रूप से निशाना बनाया.
1990 के दशक में हिन्दू पहचान वाले कश्मीरी पंडितों का नरसंहार
वर्ष 1989-90 के दौरान कश्मीर घाटी में इस्लामी उग्रवाद में तेजी आई और उस समय बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदुओं (जिन्हें कश्मीरी पंडित कहा जाता है) को जान से मारने, जबरन इस्लाम अपनाने या घाटी छोड़ने की धमकियां दी गईं. इस स्थिति के कारण लगभग 3 से 5 लाख कश्मीरी पंडितों ने डर और असुरक्षा की भावना के चलते घाटी से पलायन किया. इस पलायन को कश्मीरी पंडितों के नरसंहार या निर्वासन के रूप में देखा जाता है और यह भारत के आधुनिक इतिहास की एक अत्यंत संवेदनशील और विवादास्पद घटना है.
उस दौरान, दीवारों पर धमकी भरे संदेश लिखे गए, मस्जिदों के लाउडस्पीकर से चेतावनियां दी गईं, कुछ हत्याए और अपहरण की घटनाएं भी हुईं. इस दौर में कश्मीरी पंडितों से जुड़े ऐसे लोगों की हत्याएं की गई, जिसकी गूंज भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सुनाई दीं.
1. नीलकंठ गंजू की हत्या (4 नवंबर 1989)

नीलकंठ गंजू, जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश थे, जिन्होंने 1968 में आतंकी मकबूल भट को फांसी की सजा सुनाई थी. 4 नवंबर 1989 में श्रीनगर में आतंकियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी. इस हत्या के बाद, उनका शव दो घंटे तक श्रीनगर हाई कोर्ट के सामने पड़ा रहा. इस हत्याकांड की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के नेता यासीन मलिक ने ली थी.
2. टीका लाल टपलू की हत्या (13 सितंबर 1989)

टीका लाल टपलू, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रमुख व्यक्ति थे. 13 सितंबर 1989 को श्रीनगर में उनके घर के बाहर आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. उनकी हत्या के बाद, कश्मीरी पंडितों में भय का माहौल फैल गया और यह घटना बड़े पैमाने पर पलायन का कारण बनी.
3. लस्सा कौल की हत्या (13 फरवरी 1990)

लस्सा कौल, दूरदर्शन कश्मीर के निदेशक थे. 13 फरवरी 1990 को उन्हें श्रीनगर में उनके कार्यालय के बाहर आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. उनकी हत्या का कारण उनके भारत समर्थक कार्यक्रमों को माना गया.
4. पी.एन. भट्ट की हत्या (27 दिसंबर 1990)

पी.एन. भट्ट, एक वकील, समाजसेवी और लेखक थे. 27 दिसंबर 1990 को श्रीनगर में उनके घर के पास आतंकियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. इस हत्या के बाद, तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया.
सरकारी सुरक्षा तंत्र उस समय इस संकट को प्रभावी ढंग से रोकने में पूरी तरह से विफल रहा और परिणाम यह हुआ की अधिकांश कश्मीरी पंडित परिवार घाटी से जम्मू, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में शरण लेने को मजबूर हुए.
वर्ष 1989-90 में ही नहीं इस्लामी उग्रवाद ने कश्मीर घाटी में हिंदुओं को चुनचुन कर साफ किया बल्कि यह सिलसिला आज भी जारी है. इसी का एक रूप आज पहलगाम में सबके सामने हैं. जहां हिन्दू पहचान के आधार पर हत्याएं की गईं.
आइए जानते हैं कुछ और घटनाएं जो हिन्दू आईडेंटिटी के आधार पर अंजाम दी गईं:-
किश्तवाड़ नरसंहार (3 अगस्त 2001)
3 अगस्त 2001 की रात अज्ञात आतंकवादियों ने किश्तवाड़ के लाधा गांव में घुसकर 17 हिंदू ग्रामीणों की बेरहमी से हत्या कर दी. हमलावरों ने उन्हें पहले एक स्थान पर इकट्ठा किया और फिर करीब से गोली मारी. किश्तवाड़ का यह नरसंहार जम्मू-कश्मीर के सबसे भयानक धार्मिक-आधारित नरसंहारों में से एक था, जिसने न केवल हिंदू समुदाय को डराया, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े किए.
संग्रामपोरा नरसंहार (21 मार्च 1997)
बडगाम जिले के संग्रामपोरा गांव में इस्लामी आतंकवादियों ने 21 मार्च 1997 में 7 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी. हमलावरों ने पीड़ितों को उनके घरों से बाहर निकालकर गोली मार दी. इस घटना का उद्देश्य घाटी में सांप्रदायिक सौहार्द को बाधित करना और आतंकवाद को बढ़ावा देना था. पुलिस ने इस मामले को अनसुलझा घोषित किया था.
गुल हत्याकांड (1 जून 1997)
जम्मू-कश्मीर के रामबन के गुल गांव में 1 जून 1997 को अज्ञात हथियारबंद आतंकवादियों ने 15 से अधिक हिंदू ग्रामीणों की निर्मम हत्या कर दी. हमलावरों ने ग्रामीणों को पहचान के आधार पर निशाना बनाया, जिससे यह एक स्पष्ट सांप्रदायिक नरसंहार बन गया. इस हत्याकांड का उद्देश्य था क्षेत्र से हिंदू जनसंख्या को डराकर भगाना.
नदिमर्ग हत्याकांड (23 मार्च 2003)
23 मार्च 2003 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में स्थित नदिमर्ग गांव में एक भीषण नरसंहार हुआ. जिसमें 24 कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. हमलावरों ने भारतीय सेना की वर्दी पहनकर गांव में प्रवेश किया, जिससे गांववाले भ्रमित हो गए और उन्हें सुरक्षा बल समझ बैठे. आतंकियों ने घर-घर जाकर निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बुजुर्गों को गोली मार दी. मारे गए लोगों में कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे. इस दौरान कश्मीरी पंडितों को उनकी पहचान पूछकर गोली मारी गई. इस हत्याकांड को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों द्वारा अंजाम दिया गया माना जाता है. हमले के पीछे मकसद कश्मीर घाटी में रह रहे शेष बचे कश्मीरी पंडितों को डराकर भगाना और यहां से हिन्दू पहचान खत्म करना था.
श्रीनगर- स्कूल में दो शिक्षकों की गोली मारकर हत्या (7 अक्टूबर 2021)
स्कूल की प्रधानाध्यापिका सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या 7 अक्टूबर 2021 को श्रीनगर के ईदगाह क्षेत्र में स्थित गवर्नमेंट बॉयज हायर सेकेंडरी स्कूल, संगम में आतंकवादियों द्वारा की गई थी. हमलावरों ने सुबह लगभग 11:15 बजे स्कूल परिसर में घुसकर दोनों शिक्षकों को नज़दीक से गोली मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई. इस घटना ने कश्मीर घाटी में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदू और सिख शिक्षकों के बीच भय का माहौल पैदा कर दिया था.
बडगाम तहसील में कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की दिनदहाड़े हत्या (12 मई 2022)
12 मई 2022 को जम्मू और कश्मीर के बडगाम जिले के चडूरा तहसील कार्यालय में कार्यरत 35 वर्षीय कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट्ट कर दी गई. आतंकवादियों ने कार्यालय के भीतर घुसकर उनको गोली मारी. इस हत्या के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय में आक्रोश फैल गया. बडगाम, श्रीनगर, गांदरबल और शोपियां में विरोध प्रदर्शन और कैंडल मार्च आयोजित किए गए. राहुल भट्ट राजस्व विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे और 2011 में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत नियुक्त हुए थे. इस घटना के बाद प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कार्यरत लगभग 350 कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दिया, क्योंकि उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता थी.
कन्हैयालाल तेली, उदयपुर (28 जून 2022)

28 जून 2022 को राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल तेली की हत्या दो मुस्लिम युवकों मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने की थी. आरोपियों ने हत्या का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था, जिसमें दोनों हत्या आरोपियों ने बताया था कि कन्हैयालाल ने भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट की थी, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं. बता दें कि उस दौरान नूपुर शर्मा के एक बयान को मुस्लिम कट्टपंथी, पैगंबर मोहम्मद के अपमान से जोड़कर बवाल कर रहे थे और जब कन्हैयालाल ने नूपुर शर्मा का समर्थन किया तो उनकी गला काटकर हत्या कर दी गई.
मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है. एनआईए ने इस केस में कुल 11 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है, जिनमें दो पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल हैं.
फरवरी 2024 में, जयपुर स्थित विशेष एनआईए अदालत ने 9 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोप तय किए. इन धाराओं में हत्या, आपराधिक साजिश, धार्मिक भावनाओं को आहत करना और आतंकवादी गतिविधियां शामिल हैं.
अमरावती हत्या कांड (उमेश कोल्हे हत्याकांड)- 21 जून 2022

महाराष्ट्र के अमरावती के रहने वाले 54 वर्षीय फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे ने सोशल मीडिया पर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट साझा की थी, जिनका पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर विवाद हुआ था. इसके कुछ दिन बाद ही 21 जून जब वे रात में अपने स्कूटर से घर लौट रहे थे, तब दो लोगों ने उन्हें रोका और उनका गला रेत दिया. हत्यारों ने उनकी सोशल मीडिया पोस्ट और हिंदू पहचान के आधार पर उन्हें निशाना बनाया था. पुलिस चार्जशीट के अनुसार, हत्या सुनियोजित थी और इस्लामिक धार्मिक कट्टरता से प्रेरित थी. इस मामले में कुल 7 लोग गिरफ्तार हुए थे. मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अपने हाथ में लेते हुए हत्या को एक आतंकी कृत्य मानकर UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत केस दर्ज किया.
एनआईए ने 16 दिसंबर 2022 में 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. चार्जशीट में आरोप लगाया गया कि आरोपी तबलीगी जमात से प्रभावित कट्टरपंथी इस्लामवादी थे, जिन्होंने पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान का बदला लेने के लिए उमेश कोल्हे की हत्या की.
मामले की वर्तमान स्थिति (मई 2025 तक)
- 12 जुलाई 2023 में, विशेष अदालत ने आरोपी यूसुफ खान की जमानत याचिका खारिज कर दी, यह मानते हुए कि उनके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया (Prima Facie) सत्य प्रतीत होते हैं. दूसरे आरोपियों की जमानत याचिकाओं को अदालत द्वारा खारिज किया गया.
- मामले के एक गवाह ने दावा किया कि उन्हें सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण धमकियां मिलीं और माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया.
- मई 2025 तक अमरावती हत्याकांड में किसी भी आरोपी को जमानत नहीं मिली है. सभी आरोपियों की जमानत याचिकाएं विभिन्न अदालतों ने खारिज की हैं. विशेष अदालतों ने यह निर्णय आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य और गंभीर आरोपों के आधार पर लिया है.
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