इस्लाम धर्म का खुद को ठेकेदार बताने वाले तुर्की का दिमाग भारत ने ठिकाने पर लगा दिया है. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद जब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की, तो तुर्की सबसे पहला ऐसा देश था, जो आतंक का समर्थन करते हुए पाकिस्तान के साथ खड़ा हो गया.
इतना ही नहीं एयर स्ट्राइक के बाद जब भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव शुरू हुआ तो उसमें तुर्की ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान की, जिसमें विशेष रूप से सोंगार ड्रोन की आपूर्ति की गई. तुर्की की इस भूमिका से भारत की जनता में आक्रोश पैदा हुआ. जिसके बाद तुर्की के खिलाफ बहिष्कार की लहर तेजी से फैली. पर्यटन, व्यापार और सामाजिक मंचों पर यह बहिष्कार अब साफ तौर पर दिखा भी.
आपको बता दें कि वर्ष 2023 में तुर्की में भीषण भूकंप आया था. उस दौरान भारत ने तत्काल सहायता भेजी थी. इसमें सेना के 250 जवान, 129 टन मेडिकल उपकरण, 30 बेड वाला मोबाइल अस्पताल ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत भेजा था. ये राहत सामग्री 6 विमानों में भरकर तुर्की भेजे गए थे. लेकिन बदले में तुर्की ने आतंक का समर्थन कर पीठ पर खंजर घोंपा है.
तुर्की के पाकिस्तान को समर्थन देने के बाद सोशल मीडिया पर भाईचारे के कसीदे पढ़ने से भारत में आक्रोश और बढ़ा, जिसके बाद तुर्की का हर स्तर पर बहिष्कार शुरू हो गया. आईए जानते हैं कि भारत में तुर्की के खिलाफ बहिष्कार कहां तक पहुंचा है.
पर्यटन पर पड़ा भारी असर
साल 2024 में 3.3 लाख भारतीय पर्यटकों ने तुर्की की यात्रा की, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था को 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान मिला. लेकिन अब प्रमुख ट्रैवल एजेंसियों जैसे EaseMyTrip, Cox & Kings, Ixigo और Flipkart Travel ने तुर्की के लिए बुकिंग्स बंद कर दी हैं. हाल के आंकड़ों के अनुसार मई 2025 में भारतीय पर्यटकों की बुकिंग्स में 80% की गिरावट दर्ज की गई है. इस्तांबुल और अंताल्या जैसे शहरों में लक्जरी वेडिंग और होटल व्यवसाय प्रभावित हुए हैं, जिससे तुर्की के पर्यटन क्षेत्र में नौकरियों का संकट पैदा हो गया है.
तुर्की का पर्यटन क्षेत्र जो उसकी जीडीपी का 12% हिस्सा और 30 लाख से अधिक नौकरियों का आधार है, इस बहिष्कार से गहरे संकट में है. इस्तांबुल और अंताल्या जैसे शहरों में लक्जरी वेडिंग और हाई-एंड होटलों का कारोबार बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है. जिससे इवेंट प्लानिंग और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में नौकरियों का नुकसान साफतौर पर नजर आ रहा है. स्थानीय तुर्की व्यवसायियों ने इसके पीछे की वजह भारतीय ग्राहकों की अचानक कमी को बताया है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, मई के महीने में भारत से तुर्की की लगभग 80% यात्राएं रद्द कर दी गई हैं. कोलकाता से लगभग 1,500 बुकिंग्स रद्द की गई हैं, जिससे अनुमानित 60-75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.
सिख वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में 35 लाख रूपये मूल्य की 7 तुर्की टूर पैकेज रद्द की गईं. वहीं ओडिशा में ट्रैवल एजेंसियों ने बताया कि तुर्की, अजरबैजान और चीन के लिए बुकिंग्स में भारी गिरावट आई है, क्योंकि इन देशों पर पाकिस्तान को हथियार और ड्रोन आपूर्ति करने का आरोप है.
वहीं, उत्तर प्रदेश में 15000 लोगों ने अब एक साथ भारत विरोधी देशों की यात्राएं निरस्त की हैं. 11 से 13 मई के बीच तीन दिनों में ही सिर्फ उत्तर प्रदेश के 15 हजार पर्यटकों ने अपने दूर पैकेज की बुकिंग रद्द करा दिया है.
वहीं भारत में गोवा विलास ने तुर्की नागरिकों के लिए ठहरने की सुविधा बंद कर दी, जबकि गो होमस्टेज ने तुर्की एयरलाइंस के साथ साझेदारी खत्म कर दी. यही नहीं, पूर्व बीएसएफ महानिदेशक प्रकाश सिंह ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से भारतीय एयरलाइंस जैसे IndiGo और तुर्की एयरलाइंस के बीच रूट-शेयरिंग समझौतों को खत्म करने की मांग की है.
व्यापारिक गतिविधियों को तगड़ा झटका:-
तुर्की से 17 लाख टन संगमरमर के ऑर्डर रद्द
भारत के संगमरमर आयात के केंद्र उदयपुर ने तुर्की से 17 लाख टन संगमरमर के ऑर्डर रद्द कर दिए. तुर्की भारत के 70% संगमरमर आयात की आपूर्ति करता है लेकिन भारत के कारोबारियों के इस कदम के बाद उसे झटका लगा है. अब व्यापारी इटली, स्पेन और वियतनाम जैसे विकल्प तलाश रहे हैं. व्यापारियों का कहना है, हम उस देश को एक पैसा नहीं देंगे जो हमारे दुश्मनों को हथियार देता है.
#WATCH | Udaipur, Rajasthan: Udaipur marble traders end business with Turkiye for siding with Pakistan amid the ongoing tensions between India and Pakistan.
Kapil Surana, President of Udaipur Marble Processors Committee, says, "Udaipur is Asia's biggest exporter of marbles. All… pic.twitter.com/s9pqwuLjrG
— ANI (@ANI) May 14, 2025
थोक बाजारों में तुर्की के उत्पादों की मांग 60% तक गिरी
यही नहीं, कृषि क्षेत्र में भी बहिष्कार का असर दिख रहा है. पुणे, मुंबई और दिल्ली के थोक बाजारों में तुर्की के सेब, हेजलनट्स और सूखे मेवों की मांग 60% तक गिर गई है. व्यापारी अब ईरान, अमेरिका और भारतीय किसानों से आपूर्ति ले रहे हैं. भारतीय सेब उत्पादक संघ ने तुर्की के सेब के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की है. साथ ही हिमाचल एप्पल ग्रोवर्स सोसायटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तुर्की से सेब के आयात पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है.
Big news : Himachal Apple Grovers Society writes to PM @narendramodi requesting a ban on importing Apple from Turkey.
Kudos to them for putting the nation first. India above everything — not just for the govt, but for every Indian! #BoycottTurkey pic.twitter.com/hN6fjaP2Qq
— Mr Sinha (@MrSinha_) May 14, 2025
पुणे के सेब व्यापारियों ने तुर्की के सेबों का बहिष्कार किया
पुणे के सेब व्यापारियों ने कहा कि उन्होंने तुर्की के सेबों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. पुणे के एपीएमसी बाजार में सेब व्यापारी सुयोग ज़ेंडे ने कहा, “हमने तुर्की से सेब खरीदना बंद करने का फैसला किया है क्योंकि यह पाकिस्तान का समर्थन करता है, और इसके बजाय हम हिमाचल और अन्य क्षेत्रों से सेब खरीदना पसंद करते हैं.
#WATCH | Pune, Maharashtra: Following Turkey's support for Pakistan amid recent tensions with India, Apple traders in Pune say they have decided to boycott Turkish apples
Suyog Zende, an apple trader at Pune's APMC market, says, "We have decided to stop buying apples from… pic.twitter.com/tldXdCF4p7
— ANI (@ANI) May 13, 2025
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहिष्कार की मांग
तुर्की के सरकारी मीडिया, जैसे TRT वर्ल्ड और अनादोलु एजेंसी, पर जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत विरोधी प्रचार फैलाने का आरोप लगा है. जिसके बाद TRT World का X अकाउंट भारत में निलंबित कर दिया गया. तुर्की की एनजीओ जैसे IHH और TİKA, जो भारत विरोधी अभियानों से जुड़ी हैं, भी जांच के दायरे में हैं. भारतीय संगठनों ने तुर्की के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान बंद करने की मांग की है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर #BoycottTurkey और #BoycottTurkeyAzerbaijan हैशटैग ने 14 मई 2025 तक 10 लाख से अधिक पोस्ट्स के साथ तूफान मचा दिया है. लोग तुर्की की यात्रा रद्द करने की व्यक्तिगत कहानियां साझा कर रहे हैं. मुंबई के एक परिवार ने बताया कि उनके 10 साल के बेटे ने पूछा, “पाकिस्तान की मदद करने वाले देश में हम क्यों जाएं?” यही नहीं प्रभावशाली हस्तियों को तुर्की से संबंधित पुराने ट्रैवल व्लॉग्स हटाने के लिए दबाव का सामना करना पड़ रहा है.
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