राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर महानगर में कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 के समापन के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने सार्वजनिक जिंदगी के निजी और राजनीतिक अनुभवों साझा करते हुए कई जरूरी विषयों पर ध्यान दिलाया. उन्होंने मंच से धर्मांतरण से लेकर नक्सली और डीलिस्टिंग जैसे बड़े मुद्दों पर भी अपनी राय रखी, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके अरविंद नेताम ने आरएसएस के कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 के मंच पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एकता का संदेश दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं, जब भी वो अपनी समस्याएं लेकर सरकार और प्रशासन के पास जाते हैं, तो सुनवाई नहीं होती. संघ की तरफ मैं उम्मीदों से भरी नजरों से देख रहा हूं. वनवासियों के विस्थापन को रोकने के लिए समान भागीदारी को सुनिश्चित करने वाली पहलों की शुरूआत होनी चाहिए.
आदिवासियों की समस्याओं पर बोले नेताम
नेताम ने अपने संबोधन में कहा कि वनवासियों की जमीनों को स्थायी रूप से अधिग्रहित न करके उसे लीज पर लिया जाना चाहिए और काम के पूरा होने के बाद उस जमीन को वनवासियों को वापस लौटा देना चाहिए. इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए इसका निदान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो भी सरकार शासन में आई उसने दूसरों को दोष देना शुरू कर दिया और जब पहली आई और तो दूसरी को दोष देना, बस यही चलता रहता है. देश में इस दिशा में ठोस काम होना चाहिए. साथ ही संघ ही ऐसी व्यवस्था है जो इसे लेकर मदद कर सकती है.
कन्वर्जन को बताया बड़ी समस्या
कार्यक्रम में अरविंद नेताम ने आदिवासियों में कन्वर्जन, विस्थापन और नक्सलवाद को गंभीर समस्या बताया. उन्होंने कहा कि आज स्थिति काफी विकट है, इन परेशानियों से सभी आदिवासी जूझ रहे हैं. इसमें संघ और आदिवासी समाज दोनों को मिलकर काम करना चाहिए. सरकार विकास की आड़ में उद्योगपतियों की मदद कर रही है.
अरविंद नेताम ने कहा कि धर्मांतरण की समस्या को रोकने और जड़ से उखाड़ फैंकने क लिए डीलिस्टिंग एक बड़ा हथियार साबित हो सकता है, इसके लिए माहौल बनाने की कोशिश की जानी चाहिए. अब समाज इसके लिए मोबेलाइज हो भी रहा है. संघ और समाज मिलकर इस दिशा में काम करेगा तो इस दिशा में हमें रिजल्ट जरूर मिलेगा. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में नक्सल को खत्म करने के लिए लगातार काम चल भी रहा है. बस्तर में काफी हद तक यह कम भी हो चुका है. लेकिन अगर सरकार सोती रही तो यह समस्या फिर खड़ी हो जाएगी. नक्सलवाद की विचारधारा अभी भी कई लोगों में है, भविष्य में इस बात का ध्यान रखना है कि ये फिर उठ खड़ा न हो. इसके लिए एक साथ नीति बनाने की जरूरत है.
नेताम ने औद्योगिकरण की समस्या पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि यह बात सही है कि औद्योगिकरण के बिना इस देश का विकास नहीं हो सकता. मगर ऐसा लग रहा है कि जैसे उजड़ने का ठेका हम ही आदिवासियों के लिए है, सरकार को इस विषय को गंभीरता से सोचना चाहिए. उदारीकरण आए 30-35 साल हो गए, इस वजह से यह समस्या आज भी जारी है. इस वजह से बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है. आरएसएस को इस मुद्दे पर भी मिलकर काम करना चाहिए.
वहीं पूर्व मंत्री नेताम ने कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष में यहां आना एक गौरव का क्षण है. देश में संगठन की एकता अखंडता और सामाजिक समरसता के लिए संघ के अलावा किसी और ने काम नहीं किया है. उन्होंने देश की एकता को बनाए रखने को लेकर भी कई जरूरी बातें कही.
कौन हैं अरविंद नेताम जो बने RSS कार्यक्रम के मुख्य अतिथि?
बता दें कि अरविंद नेताम की गिनती छत्तीसगढ़ और देश के जाने-माने नेताओं में होती है मगर वो अब राजनीति से किनारा कर चुके हैं. वर्तमान में वो सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष हैं. वो लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे, साथ ही बीजेपी का भी हिस्सा बने. नेताम नेता के रूप में बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में भी रहकर राजनीति कर चुके हैं.
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