International Mother Language Day जानें इसका इतिहास और महत्व
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता फैलाने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने के लिए हर 21 फरवरी को मनाया जाता है.
जिसके पश्चात पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली भाषी बहुसंख्यक छात्रों ने इसके खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया.
वर्ष 1946 के विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) अस्तित्व में आया. 1948 में पाकिस्तान सरकार ने उर्दू को राष्ट्रीय भाषा घोषित कर दिया.
जब तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसा दी. इस घटना में 16 लोगों की जान गई थी.
21 फरवरी 1952 में ढाका विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए एक विरोध प्रदर्शन किया था. यह विरोध प्रदर्शन बहुत जल्द एक नरसंहार में बदल गया.
भाषा के इस बड़े आंदोलन में बलिदान हुए लोगों की याद में नवंबर 1999 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी.
इस साल अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2024 की थीम है- “बहुभाषी शिक्षा पीढ़ीगत शिक्षा का एक स्तंभ है.”
2008 में महासभा ने बहुभाषावाद और बहुसंस्कृतिवाद के माध्यम से विविधता में एकता और वैश्विक समझ को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष की घोषणा की और यूनेस्को को वर्ष की प्रमुख एजेंसी के रूप में नामित किया.
विश्व में 7,000 से अधिक भाषाएं हैं इसमें 1635 मातृभाषाए. और 234 पहचान योग्य मातृभाषाएं हैं. जबकि अकेले भारत में लगभग 22 आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं.