गोधरा नरसंहार: जानें 22 साल बाद भी क्यों इस दिन को याद कर लोगों की कांपती हैं रुह?

27 फरवरी का ये दिन कौन भूल सकता है वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा में एक ऐसी दुखद घटना हुई थी जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.

इस घटना ने इस्लामिक कट्टरपंथ के उस घृणित चेहरे को उजागर किया था, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में आज भी होती रहती है. 

आज यानि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर इस्लामिक कट्टरपंथियों के द्वारा साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के S-6 डिब्बों में आग लगा दी गई थी, जिससे अयोध्या से लौट रहे 59 तीर्थयात्री जिन्दा जल गए थे. जिसमें 25 महिलाएं, 25 बच्चे और 9 पुरुष शामिल थे.

ये बात किसी से छिपी नहीं है कि गोधरा कांड की घटना को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया. पहले से ही अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों के ऊपर हमला करने की योजना बना ली गई थी. 

मामले के आरोपी सलीम पानवाला और महबूब अहमद ने कारसेवकों के खिलाफ मुस्लिम लड़कियों के कथित दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाकर शोर मचाना शुरू किया. जिसके बाद 900 से अधिक मुस्लिम भीड़ लाठी, लोहे की पाइप, छड़, धारिया, गुप्तियों, एसिड बल्ब और जलते हुए मशाल लेकर ट्रेन पर हमला कर दिया.

इस मामले की जांच फास्ट ट्रैक कोर्ट ने की और वर्ष 2011 में कोर्ट ने ये बात मानी कि गोधरा कांड को पहले से योजना के तहत अंजाम दिया गया.गोधरा कांड में शामिल 31 दोषियों को 9 साल बाद दोषी ठहराया गया था.

साल 2011 में SIT कोर्ट ने इस कांड में शामिल 11 दोषियों को फांसी की सजा तो वहीं 20 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. लेकिन वर्ष 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था.