दादा साहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल, 1870 को महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था. उनका असली नाम धुंडिराज गोविन्द फाल्के था.
'लाइफ ऑफ क्राइस्ट' विदेशी मूलचित्र को देख उन्होंने निर्णय लिया कि वह भी फिल्म बनाएंगे.
दादा साहेब फाल्के ने भारत की पहली म्यूट फिल्म बनाई थी, जिसका नाम 'राजा हरिश्चंद्र' रखा गया था. इस फिल्म को बनाने में 15 हजार रुपए लगे थे. इसके अलावा उन्होंने कुल 125 फिल्में बनाई थी.
जिसके चलते बाद में दादा साहेब फाल्के को 'भारतीय सिनेमा का जनक' और 'पितामह' भी कहा जाता है.
बाद में इनके नाम ( दादा साबेह फाल्के) से ही एक अवार्ड की शुरुआत हुई. जिसे एक 'लाइफ टाइम अचीवमेंट' के तौर पर उस इंसान को दिया जाएगा, जिसका भारतीय सिनेमा में काफी योगदान रहा है. यह भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा अवॉर्ड है.
इस अवार्ड की शुरुआत 1969 में हुई थी. इस अवार्ड के साथ दस लाख रुपए कैश, एक शॉल और स्वर्ण कमल भी भारत सरकार की ओर से दिया जाता है.
1969 में भारतीय अभिनेत्री 'देविका रानी' इस दादा साहेब फाल्के अवार्ड को लेने वाली पहली महिला थी.