देश में कोरोना वायरस के मामले कई महीनों बाद फिर से बढ़ने लगे हैं. एक्टिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बीते एक सप्ताह से हर दिन सक्रिय मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. देश में कोरोना के केस बढ़ने की बड़ी वजह नया सब वेरिएंट JN.1 माना जा रहा है. इस वेरिएंट के आने के बाद से कोविड को लेकर चिंता बढ़ गई है. सरकार के एक्सपर्ट्स, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की टीम और जीनोम सीक्वेंसिंग करने वाली लैब में इस वेरिएंट पर काम किया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि जेएन.1 को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट माना है, लेकिन कहा है कि इस वेरिएंट से गंभीर खतरा नहीं है. हालांकि दुनियाभर में वेरिएंट के बढ़ते मामलों से स्थिति अब सामान्य नहीं है.
सिंगापुर से लेकर अमेरिका और भारत में भी JN.1 वेरिएंट के केस लगातार बढ़ रहे हैं. शुरुआती दौर में इस वेरिएंट के मरीजों में हल्के लक्षण ही मिल रहे हैं. डब्ल्युएचओ ने कहा है कि कोविड वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है. इसी क्रम में अब JN.1 वेरिएंट आया है, जो BA.2.86 का ही सब वेरिएंट है. चूंकि भारत में अब कोविड के केस बढ़ रहे हैं तो वैक्सीन को लेकर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है. लोगों के मन में इस समय बड़ा सवाल यह है कि क्या मौजूदा वैक्सीन कोरोना के नए सब वेरिएंट JN.1 पर प्रभावी होगी? आइए जानते हैं कि इस बारे में एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं.
क्या मौजूदा वैक्सीन प्रभावी होगी?
मैक्स हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. राजीव डांग बताते हैं कि JN.1 वेरिएंट के अधिकतर मामले फ्लू की तरह ही हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस वेरिएंट को गंभीर नहीं माना है. डब्ल्यूएचओ और सीडीसी दोनों पुष्टि करते हैं कि मौजूदा कोविड वैक्सीन कोरोना वायरस के नए सब वेरिएंट JN.1 की रोकथाम में प्रभावी है. चूंकि JN.1 वेरिएंट ओमिक्रॉन का ही सब वेरिएंट है तो मौजूदा वैक्सीन इसके प्रभाव को कम कर सकती है.
वैक्सीनेशन से हॉस्पिटलाइजेशन और मौत के मामलों को कंट्रोल में रखा जा सकता है, हालांकि जिस हिसाब से कोविड के वायरस में लगातार बदलाव हो रहा है, उसको देखते हुए यूनिवर्सल वैक्सीन पर भी काम किया जा रहा है. भारत बायोटेक के वैज्ञानिक ऐसे वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं जो सभी वेरिएंट्स के खिलाफ असरदार होगी.
क्या एक और डोज लेने की है जरूरत?
दिल्ली के राजीव गांधी हॉस्पिटल में कोविड नोडल अधिकारी रहे डॉ. अजित जैन कहते हैं कि जेएन. वेरिएंट के लिए कोरोना वैक्सीन की एक और डोज लेने की फिलहाल जरूरत नहीं है. हालांकि कुछ मरीजों को एक और डोज लगाने की सलाह दी जा सकती है. इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के विशेषज्ञ ही कोई अंतिम निर्णय लेंगे. अभी ये देखना होगा कि इस वेरिएंट के मरीजों में कैसे लक्षण आते हैं. अभी केस कम हैं अगर केस बढ़ते हैं और JN.1 वेरिएंट के मामले ज्यादा आते हैं तब टीकाकरण को लेकर विचार किया जा सकता है.
फिलहाल यह भी देखना होगा कि लोगों में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी का स्तर कैसा है. अगर केवल केस बढ़ते हैं और हॉस्पिटसाइजेशन नहीं बढ़ता है तो इम्यूनिटी का लेवल ठीक है. फिलहाल लोगों को सलाह है कि वह कोरोना के लेकर सतर्क रहें और किसी तरह की लापरवाही न करें.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्या है कहना?
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि JN.1 वेरिएंट के मरीजों को फिलहाल अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ रही है. जिन लोगों को पहले से ही कोई गंभीर बीमारी है, उनको ही अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है. इस वेरिएंट के लक्षण खांसी-जुकाम और हल्के बुखार के ही हैं. दुनिया में जो वैक्सीन मौजूद है, वह इस वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी है.
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